डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के भी गजब कारनामे हैं। चार लाख रुपये की लागत से 2017 में शुरू किया गया गुलाब जल बनाने का प्लांट केवल 20 लीटर गुलाब जल ही बना सका। इसके बाद ऐसा करना बीते जमाने की बात हो गई। अब तो मशीन तक उस कक्ष में नहीं हैं। कक्ष के बाहर ताला लटका है। हैरानी तो यह है कि जो 20 लीटर गुलाब जल बना, उसकी भी कहीं बिक्री नहीं हो पाई। फार्मेसी विभाग के छात्रों को पढ़ाई के साथ स्वरोजगार देने के उद्देश्य से दिसंबर 2017 में डिस्टिलेशन यूनिट विश्वविद्यालय के खंदारी कैंपस में इंजीनियरिंग संकाय की बिल्डिंग से सटे कक्ष में शुरू की गई थी। इसकी लागत चार लाख रुपये आई थी।
वर्ष 2018 में मंदिर, मस्जिद और शादी समारोह में उपयोग किए गए फूलों से गुलाब जल और इत्र बनाना शुरू हुआ। इससे करीब 20 लीटर गुलाब जल बनाया गया। इसके बाद छात्रों को प्रोजेक्ट नहीं दिए। इसके बाद कोरोना महामारी के दौरान कक्षाएं बंद हो गईं। तब से प्लांट बंद है।
मोटर हो गई चोरी
फार्मेसी के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. रवि शेखर ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते संस्थानों में कक्षाएं नहीं लग रही थीं। मंदिर-मस्जिदों से फूल भी नहीं मिले। इस दौरान प्लांट की मोटर चोरी हो गई। इसके बाद 2021 में इस प्लांट को फिर से शुरू करने के बारे में तमाम बातें कहीं गईं। मगर, कोई नतीजा नहीं निकला।
नहीं दिया गया प्रोजेक्ट
पहले फार्मेसी संकाय खंदारी कैंपस में चलता था। 2021-22 में वहां से फार्मेसी संकाय छलेसर कैंपस में आ गया। इसके बाद खंदारी कैंपस से कोई नाता ही नहीं रहा। वर्तमान में उस डिस्टिलेशन यूनिट से संबंधी कोई प्रोजेक्ट भी विद्यार्थियों को नहीं दिया जा रहा।
जिम्मेदारी फार्मेसी संकाय की
इंजीनियरिंग संकाय के डायरेक्टर प्रो. मनु प्रताप ने बताया कि इंजीनियरिंग संकाय में सिर्फ प्लांट को स्थापित करने की जगह दी गई थी। इसके संचालन की जिम्मेदारी फार्मेसी संकाय की थी।
,,