धर्म-कर्म-ज्योतिष – Shardiya Navratri 2024: कल है नवरात्रि का चौथा दिन, क्या हैं मां कूष्मांडा की पूजा के नियम, जानें सुबह-शाम का शुभ मुहूर्त #INA

Navratri 4th Day: मां कूष्मांडा नवदुर्गा का एक स्वरूप हैं. उन्हें ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी माना जाता है. कूष्मांडा शब्द का अर्थ है ‘अंड के भीतर रहने वाली’. मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की थी. सिंह पर सवार  मां कूष्मांडा को आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है. उनके दाहिने हाथों में क्रमशः धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, और वरमुद्रा रहती है. उनके बाएं हाथों में क्रमशः चक्र, गदा, और अभय मुद्रा रहती है. मां कूष्मांडा का रंग लाल होता है, इसलिए उनकी पूजा के समय अगर आप लाल रंग का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करते हैं तो आपको इससे लाभ भी मिलता है. मां कूष्मांडा सभी रोगों का नाश करने वाली आयु और स्वास्थ्य की देवी हैं. उनकी पूजा से समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद मिलता है. 

मां चंद्रघंटा की पूजा का समय (Time to worship Maa Kushmanda)

नवरात्रि की पूजा खास शुभ मुहूर्त पर ही करना फलदायी होता है.अगर शास्त्रों के अनुसार आप उस दिन राहु काल के समय पूजा न करें तो ये आपके लिए अच्छा रहता है. आज नवरात्रि का चौथा दिन है.  पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और राहु काल का समय क्या होगा जब आपको किसी भी तरह का शुभ कार्य करने से पहले बचना चाहिए पहले वो जान लें. 

आज राहुकाल दोपहर बाद 4 बजकर 33 मिनट से शुरू हो रहा है और 6 बजकर 1 मिनट तक का है. इस समय से पहले या बाद में पूजा करना शुभ होगा. 

सुबह की पूजा का समय

  • अभिजित मुहूर्त 11:45 ए एम से 12:32 पी एम
  • अमृत काल 02:25 पी एम से 04:12 पी एम

शाम की पूजा का समय

आज सूर्यास्त का समय 06 बजकर 01 मिनट है. आप शाम की पूजा इस समय के बाद कर सकते हैं. 

मां कूष्मांडा की पूजा के नियम (Maa Kushmanda Puja Niyam)

मां कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है. इस दिन कुमकुम, फूल, फल, मिठाई आदि चढ़ाए जाते हैं. मां कूष्मांडा का मंत्र है ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः. ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी  हमें सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन में नई ऊर्जा का आशीर्वाद देती हैं. अगर आप उनकी पूजा नियमपूर्वक करते हैं तो मान्यता है कि इससे आपकी मनोकामनाएं भी जल्द पूरी होती हैं. 

पूजा करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजाघर को साफ करके वहां का वातावरण भी शांत  करें. अब सबसे पहले एक साफ चौकी पर माता की मूर्ति स्थापित करें. मां कूष्मांडा को फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप आदि चढ़ाकर आप उनके मंत्र जाप करें “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः”. इसके बाद आप मां कूष्मांडा को अष्टगंध चढ़ाएं.  माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं और भोग में आम, अनानास, सेब आदि फल अर्पित करें. पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें. बस ध्यान रखें कि पूजा करते समय मन एकाग्र हो और मां कूष्मांडा के प्रति आपकी श्रद्धा हो. पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का शोर या विवाद न करें और पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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