धर्म-कर्म-ज्योतिष – Death in Hinduism: हिंदू धर्म में ये है मृत्यु का विज्ञान, वश में कर लेंगे बढ़ती उम्र #INA
Death in Hinduism: हिंदू धर्म में मृत्यु को अंत नहीं बल्कि आत्मा की यात्रा का एक नया चरण माना जाता है. वेदों, उपनिषदों और पुराणों में मृत्यु से जुड़े विज्ञान और आध्यात्मिक सिद्धांतों का विस्तृत विवरण मिलता है. हिंदू धर्म में मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है. यह धर्म हमें मृत्यु को समझने और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की शिक्षा देता है. आत्मा, कर्म और पुनर्जन्म के विज्ञान को आधार बनाकर मानव जीवन को एक गहरी दृष्टि भी प्रदान करता है. हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा अजर-अमर है. भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा:
“न जायते म्रियते वा कदाचिन् नायं भूत्वा भविता वा न भूयः.”
अर्थात आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है. यह केवल शरीर छोड़कर नए शरीर में प्रवेश करती है. यह विचार मृत्यु को एक प्राकृतिक प्रक्रिया और पुनर्जन्म के चक्र का हिस्सा मानता है.
मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा
हिंदू धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा संसार के बंधनों से मुक्त होती है. कर्मों के आधार पर स्वर्ग, नर्क या पुनर्जन्म का निर्णय होता है. यदि आत्मा मोक्ष प्राप्त कर लेती है, तो यह पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाती है. हिंदू दर्शन के अनुसार, मृत्यु के समय प्राण (जीवन शक्ति) शरीर छोड़ देता है, और शरीर पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) में विलीन हो जाता है. मत्यु को गहरी नींद (सुषुप्ति) की तरह समझा जाता है, जिसमें आत्मा अपने भौतिक शरीर से मुक्त हो जाती है. योगियों के लिए मृत्यु एक साधना है. योग और ध्यान के माध्यम से वे शरीर छोड़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित कर सकते हैं.
मृत्यु से जुड़े धार्मिक संस्कार
मृत व्यक्ति के शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है जिसमें अग्नि को माध्यम मानकर आत्मा को परमात्मा तक पहुंचाने की प्रार्थना की जाती है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है. तीर्थ स्थान पर अस्थि विसर्जन किया जाता है जिसे आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है.
मृत्यु का विज्ञान
हिंदू धर्म न केवल मृत्यु को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखता है, बल्कि इसे विज्ञान के रूप में भी मान्यता देता है. कर्म और ऊर्जा का सिद्धांत ये है कि हमारे कर्म ऊर्जा का निर्माण करते हैं जो मृत्यु के बाद आत्मा के अगले जीवन को प्रभावित करता है. मेडिटेशन और आत्मा की शुद्धि की बात करें तो ध्यान के माध्यम से मृत्यु के अनुभव को समझने और आत्मा की शुद्धि पर जोर दिया गया है. सांस और जीवन का भी विज्ञान है. योग में कहा गया है कि मृत्यु के समय सांस का धीमा होना आत्मा के शरीर से निकलने की प्रक्रिया को दर्शाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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