खबर फिली – आमिर खान ने बदल दिया था ऑस्कर में गई इस फिल्म का क्लाइमैक्स, नहीं तो ऐसी हो ती फिल्म की एंडिंग – #iNA @INA

आमिर खान की ‘रंग दे बसंती’ फिल्म इंडस्ट्री की ऐसी फिल्मों में शुमार है जिसे आज भी देख लो तो एक साथ सारे इमोशन्स जाग जाते हैं. इस फिल्म ने 4 नेशनल अवॉर्ड भी जीते थे. इसे भारत की तरफ से ऑस्कर में भी भेज गया था. राकेश ओमप्रकाश मेहरा के डायरेक्नश में बनी ‘रंग दे बसंती’ युवाओं में देश प्रेम के तेवर को दिखाती है. डायरेक्टर ने इस फिल्म को देश के युवाओं को ध्यान में रखकर बनाया है, जिसमें कुछ ऐसे युवाओं की कहानी को दिखाया गया है कि जो वक्त आने पर देश के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटते.

आमिर खान, कुणाल कपूर, शरमन जोशी, सिद्धार्थ, सोहा अली खान, आर माधवन और एलिस पैटन जैसे कलाकारों से सजी ‘रंग दे बसंती’ बॉक्स ऑफिस पर की हिट रही थी. ​​फिल्म के किरदार, साउंडट्रैक और कहानी अभी भी लोगों के दिलों पर छाई हुई है. इसके अलावा, फिल्म का क्लाइमैक्स दिल छु लाने वाला है, जिसने ऑडियंस को काफी इमोशन कर दिया था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आमिर खान ने फिल्म का क्लाईमैक्स चेंज करवाया था.

आमिर ने चेंज कराया था क्लाइमैक्स

हालांकि, एक खुलासा करते हुए आमिर खान ने कभी शेयर किया था कि कैसे उन्होंने क्लाइमैक्स सीन को बदल दिया था. आमिर ने बताया कि फिल्म की स्क्रिप्ट में जो पहले से ही क्लाइमैक्स लिखा था, उसे और ज्यादा इम्पैक्टफुल और रियल बनाने के लिए उन्होंने ये चेंज कराया था.

आमिर को नहीं पसंद आई थी क्लाइमैक्स की स्क्रिप्ट

यूट्यूब चैनल सिनेमाएनरियल के एक इंटरव्यू में आमिर खान ने फिल्म के क्लाइमैक्स के बारे में बात की. आमिर ने कहा, “पहले क्लाइमैक्स ये था कि हम रक्षा मंत्री को मार देते हैं और शहर से भागने की कोशिश करते हैं और फिर हम में से हर एक को अलग-अलग जगहों पर गोली मार दी जाती है. इसके लिए मैंने मेहरा से पूछा, ‘मुझे आपकी स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई लेकिन मुझे क्लाइमैक्स समझ में नहीं आया क्योंकि वो क्यों भाग रहे हैं? क्या उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ गलत किया है?’ तो उन्होंने कहा, ‘हां, वे क्यों भाग रहे हैं?’”

फिल्म के क्लाइमैक्स के लिए आमिर ने डायरेक्टर से कहा, “पूरी फिल्म में भगत सिंह को दिखाया गया है, तो भगत सिंह भागे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी मर्जी से गिरफ्तारी ली और फिर जो कुछ भी कहना था, कह किया. इसलिए इन लोगों को भी भागना नहीं चाहिए. मेरे पास एक कहानी है जो मैंने कई साल पहले लिखी थी. मेरे क्लाइमैक्स के हिसाब से दो लोग होते हैं, जो ऐसी सिचुएशन में फंस जाते हैं जहां उन्हें लोगों से कम्यूनिकेट करने की जरूरत है. इसलिए वे एक टीवी स्टूडियो में घुस जाते हैं और उसे टेकओवर कर लेते हैं. फिर वो लाइव होते हैं, जिससे लोगों से अपनी बात कहना शुरू कर सकें.”

इसके बाद ‘रंग दे बसंती’ का क्लाइमैक्स फिल्म का एक ऐसा यादगार पल बन गया, जिसने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी. इस क्लाइमैक्स की वजह से ‘रंग दे बसंती’ एक ऐसी फिल्म बन गई, जिसे आज भी याद किया जाता है.


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