दुनियां – पूरी जिंदगी फिलिस्तीन की आजादी के नाम की, हानिया के बाद हमास को कौन चलाएगा? – #INA

हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया का नाम भी उन लोगों में शामिल हो गया है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी फिलिस्तीन को एक आजाद राष्ट्र देखने के संघर्ष में लगा दी. तेहरान में एक एयर स्ट्राइक में इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई है. हानिया ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान गए हुए थे.
इस्माइल हानिया का मारा जाना हमास के लिए बड़ा नुकसान है. क्योंकि गाजा जंग पर जो सीजफायर टॉक्स हो रही थी, वो हमास पॉलिटिकल ब्यूरो के साथ ही की जा रही थी और इसकी कमान हानिया संभाल रहे थे. इसके साथ-साथ वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमास का चेहरा थे. हाल के सालों में हानिया कतर की राजधानी दोहा में रह रहे थे.
दोहा में ही हमास की पॉलिटिकल विंग का दफ्तर है, लेकिन वे तुर्की, लेबनान, ईरान और मिस्र के बीच भी आते-जाते रहे हैं. इसके अलावा अरब के दूसरे देशों के साथ-साथ चीन-रूस ने भी क्षेत्र में शांति और गाजा सीजफायर को लेकर हानिया से ही बातचीत की है.
ईरान के सुप्रीम लीडर के साथ हानिया (फाइल फोटो)
ये बात भी सही है कि हानिया हमास की सैन्य विंग के नेता नहीं थे, तो उनकी मौत का असर गाजा में इजराइली इंवेजन का मुकाबला कर रही ‘अल-कस्साम ब्रगेड’ पर पड़ना मुश्किल है. मतलब कि गाजा में हमास उसी मजबूती के साथ लड़ाई जारी रख सकता है, जैसे वे पिछले 9 महीनों से रखे हुए है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमास को जल्द ही हानिया का बदल तलाश करना होना.
कौन लेगा हानिया की जगह?
हमास के नेताओं की हत्या कोई नई बात नहीं है. 2004 में हमास फाउंडर शेख अहमद यासीन की हत्या हो गई थी. इसके एक महीने बाद ही हमास के एक और नेता अब्देल अजीज अल-रंतिसी की हत्या भी इजरायल ने कर दी थी. ये बस समय की बात है कि इजरायल कैसे हमास के नेताओं तक पहुंचता है. पहले भी हमास ने अपने नेताओं के मारे जाने के बाद अपने ऑपरेशन जारी रखे हैं और नेतृत्व को बिना किसी विवाद से बदल लिया है.
हानिया की मौत के बाद उनके बेटे अब्दुल सलाम ने कहा, “हम एक क्रांति में हैं और दुश्मन के खिलाफ लगातार लड़ रहे हैं. ये लड़ाई हमास के नेताओं की हत्या के साथ खत्म नहीं होगी.” वहीं हमास के वरिष्ठ अधिकारी समी अबू जूहरी ने कहा, “हमास एक कांसेप्ट है और संस्था है, व्यक्ति नहीं है. हमास मौत की परवाह किए बिना इस रास्ते पर चलता रहेगा और हमें अपनी जीत का पूरा भरोसा है.”
हमास फाइटर्स (फाइल फोटो)
हमास नेताओं के बयान अभी भी बहुत जटिल सुनाई दे रहे हैं. 2017 में हानिया ने गाजा का नेतृत्व छोड़ पॉलिटिकल ब्यूरो की कमान संभाली थी. गाजा में उस वक्त उनकी जगह याह्या सिनवार ने ली थी और अभी तक गाजा में वे हमास का नेतृत्व कर रहे हैं. गाजा में इस वक्त भीषण जंग जारी है ऐसे में जानकार मानते हैं कि याह्या सिनवार का उनकी जगह लेना मुश्किल है.
इस लिस्ट में दूसरा नाम खालिद मेशाल का सामने आ रहा है. जो 1996 से 2017 तक हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो का नेतृत्व कर चुके हैं. अब देखना होगा कि इस मुश्किल समय में हमास का नेतृत्व कौन संभालता है. देखना ये भी होगा कि क्या हमास इस्माइल हानिया के बाद बिखर जाएगा और इजराइल अपने मकसद में कामयाब होगा या हर बार की तरह हमास अपने लीडर की मौत के बाद भी अपनी लड़ाई जारी रखेगा.
इजराइल की जेल से शुरू होकर, उसी के हमले पर खत्म
इस्माइल हानिया का जन्म 23 मई 1963 को गाजा के अल-शती रिफ्यूजी कैंप में हुआ था. उनके माता-पिता 1948 के नक्बा (Exile) के दौरान असकलान (Ashkelon) से विस्थापित होकर यहां आए थे. हानिया ने 1987 में गाजा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से अरबी लिटरेचर में ग्रेजुएशन पूरी की और 2009 इसी यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्ट्रेट के उपाधि से भी नावाजा.
इस्माइल हानिया (फाइल फोटो)
हानिया ने अपनी पढ़ाई के वक्त से ही एक्टिविज्म करना शुरू कर दिया था. कॉलिज में वे इस्लामिक ब्लौक से जुड़े, जो गाजा में मुस्लिम ब्रदरहुड की स्टूडेंट विंग थी. बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड से ही निकल कर हमास का जन्म हुआ है.
1989 में इस्माइल हानिया को इजराइल सेना ने गिरफ्तार भी किया. तीन साल बाद जब हानिया इजराइल की कैद से छूटे तो उन्होंने अपने फिलिस्तीनी संघर्ष को मजबूत करने के लिए हमास का हाथ थामा. इसके बाद से अपनी मौत होने तक 62 साल के हानिया हमास के लिए काम करते रहे और फिलिस्तीन आंदोलन का एक बड़ा चेहरा रहे.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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