दुनियां – शरीर ही नहीं, दिमाग पर भी असर… अखिर स्पेस स्टेशन में कितनी सुरक्षित हैं सुनीता विलियम्स? – #INA

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की वापसी अगले साल फरवरी में होगी. मतलब अंतरिक्ष से 250 दिन बाद लौटेंगी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इतने दिन स्पेस में रहते हुए क्या उनकी सेहत पर कोई असर पड़ेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है. अगर ऐसा कोई संकट है तो फिर धरती पर लौटने के बाद उन्हें कौन सी बीमारियां होने का डर है? आखिर अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहते हुए इंसान के शरीर को क्या क्या नुकसान हो सकता है?
5 जून 2024 वो तारीख है जब भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और अमेरिकी एस्ट्रोनॉट बैरी विलमोर को अंतरिक्ष में भेजा गया. स्टारलाइनर की पहली मानवयुक्त टेस्ट फ्लाइट के जरिए दोनों ISS यानी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजे गए लेकिन कैप्सूल के प्रोपल्शन सिस्टम में गड़बड़ियों के कारण 88 दिनों से वो वहीं फंसे हुए हैं.
करीब 180 दिनों का इंतजार और
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा जो अपडेट दे रही है उस हिसाब से कम से कम छह महीने सुनीता विलियम्स धरती पर वापस नहीं आने वाली हैं. अभी तो यही कहा जा रहा है कि अगले साल फरवरी में उनके लौटने की संभावना है. मतलब उन्हें कम से कम 180 दिनों का इंतजार और करना होगा. वो भी पक्का नहीं है कि तब वो लौट पाएंगी या नहीं लौट पाएंगी या फिर वापसी की कोई नई तारीख आ जाएंगी, लेकिन इतना जरूर तय है कि जब वो लौटेंगी तो शरीर में कई दिक्कतें और परेशानियां होंगी.
पहले के अध्ययनों के बाद चिंताएं बढ़ीं
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कई साइड इफेक्ट्स हैं जो खतरनाक भी हो सकते हैं. लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने को लेकर इससे पहले किए गए अध्ययनों से ये साबित हुआ है कि शरीर पर विपरीत असर पड़ता है. इसलिए सुनीता विलियम्स को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. अब जान लेते हैं कि आखिर उन्हें किस तरह की बीमारियों का खतरा पैदा हो सकता है.

हड्डियों में कमजोरी: रिसर्च को खंगालने पर पता चला कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने पर मांसपेशियों और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. हर महीने 1 से 2 प्रतिशत की दर से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में जब वो अंतरिक्ष से लौटते हैं तो उनको चलने फिरने में बहुत दिक्कत होती है. ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है.
हार्ट सिस्टम में बदलाव: माइक्रोग्रैविटी के संपर्क में लंबे समय तक रहने से हार्ट सिस्टम में बदलाव आ जाता है. हृदय की काम करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। दिल कम धड़कता है और उसका आउटपुट कम हो जाता है। केवल यही नहीं लंबे मिशन के चलते हृदय संबंधी बहुत सी और दिक्कतें भी हो सकती हैं.
मस्तिष्क की नसों में सूजन: हार्ट के अलावा दिमाग पर भी असर पड़ता है. चूंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण से अलग माहौल में रहना होता है जो शरीर और दिमाग के संतुलन को प्रभावित करता है. अध्ययन ये भी कहते हैं कि इससे मस्तिष्क की नसों और हिस्सों में सूजन आ सकती है जिसे सामान्य होने में कई साल लग जाते हैं। इससे व्यक्ति की चेतना और सोचने-समझने की क्षमता पर गंभीर असर पड़ता है.
कैंसर का खतरा: अंतरिक्ष में रेडिएशन का जोखिम भी रहता है. इससे कैंसर, विशेष रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसा ब्रह्मांड के विकिरण के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होता है, जो डीएनए और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.
आंत की संरचना पर असर: अंतरिक्ष में रहने से पाचन क्षमता पर भी असर पड़ता है. अंतरिक्ष में कुछ भी खाना और उसे पचाना धरती के सामान्य जीवन से एकदम अलग होता है. इससे पाचन तंत्र और आंत की संरचना में असर पड़ता है.
तनाव और अवसाद: शारीरिक के अलावा इंसान मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी कमजोर होने लगता है. अलगाव और एक छोटे समूह में रहने से तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. नींद गायब हो जाती है. पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों की त्वचा खराब हो सकती है.

नजर संबंधी समस्याएं और डीएनए में बदलाव
लंबे समय तक अंतरिक्ष मिशन पर रहने वाले यात्रियों की बीमारी को लेकर ये आशंका कोई हवा हवाई नहीं है बल्कि इसके पीछे तथ्य है जो स्पेस यात्रियों पर किए गए शोध से निकल कर आए हैं. सुनीता से पहले भी कई अंतरिक्ष यात्री स्पेस में लम्बा समय बिता चुके हैं. सबसे ज्यादा दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड रूस के वालेरी के नाम है. उन्होंने अंतरिक्ष मे 437 दिन बिताए थे.
बीते वर्ष अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक 371 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद वापस लौटे. फ्रैंक पर हुई रिसर्च में पता चला कि वापस आने पर उनमें नजर संबंधी समस्याएं, डीएनए में बदलाव, वजन में कमी और इम्यून सिस्टम में परिवर्तन देखने को मिला. इन्हीं शोध के आधार पर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि जब सुनीता विलियम्स लौटेंगी तो उनको क्या क्या खतरा हो सकता है.
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

Source link

Back to top button