दुनियां – अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की किस्मत का फैसला करेंगे ये 7 राज्य, जानिए क्यों होते हैं अहम – #INA

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव जो अब से कुछ महीने पहले तक एकतरफा लग रहा था. अब सर्वे दर सर्वे कांटे का होता जा रहा है. डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के लिए ऑफिशियल उम्मीदवार हैं तो उनके सामने रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप खड़े हैं. हालिया सर्वेज के मुताबिक लोकप्रियता के मामले में कमला हैरिस ने ट्रंप और बाइडेन के बीच बढ़ते अंतर को पाट दिया है. और कई राज्यों में तो वह ट्रंप से भी आगे निकल गई है.
अब चुंकि चुनाव में महज 2 महीने ही बचे हैं, मसलन सभी पार्टियों के चुनावी कैंपन का फोकस उन राज्यों पर शिफ्ट हो गया जिनके बारे में कहा जाता है कि ये जिस भी पाले में खड़े हो जाएं उसका पलड़ा भारी कर देते हैं. अमेरिका में इन्हें बैटलग्राउंड या स्विंग स्टेट्स के नाम से जाना जाता है. स्विंग स्टेट्स माने वो राज्य जहां के मतदाताओं का रुख स्पष्ट नहीं है कि वे किस पार्टी का समर्थन करेंगे. लिहाज़ा काफी हद तक इन स्टेट्स पर ही किसी कैंडिडेट की जीत-हार तय होती है.
इसे ऐसे समझिए कि अमेरिकी चुनाव में जीत सिर्फ पॉपुलर वोट से नहीं होती. उद्हारण के तौर पर पॉपुलर वोट में पिछड़ने के बावजूद रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने साल 2000 में और डॉनल्ड ट्रंप ने 2016 में राष्ट्रपति चुनाव जीता. अमेरिका के चुनाव तंत्र में बेहद अहम है- इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम. यह लोगों का समूह होता है जो 538 इलेक्टर्स को चुनता है. जिसे 270 इलेक्टर्स का समर्थन मिल जाता है वह अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनता है. हर राज्य के इलेक्टर्स की संख्या उस राज्य की आबादी से तय होते हैं. इसलिए हर राज्य के इलेक्टोरल कॉलेज के वोट की संख्या भी अलग-अलग होती है.
स्विंग स्टेट्स की अहमियत
270 के मैजिकल नंबर को छूने में सबसे अहम रोल निभाते हैं स्विंग स्टेट्स. इन स्टेट्स को बोलचाल की भाषा में पर्पल स्टेट्स भी कहा जाता है. पर्पल यानी नीले और लाल को मिलाया जाने वाला रंग. यहां नीले रंग का नाता डेमोक्रेटिक पार्टी के फ्लैग से है तो लाल रंग का ताल्लुक रिपब्लिकन पार्टी से है. चुनावी लिहाज से इसके मायने कि यहां कोई भी जीत सकता है.
हांलांकि हर चुनाव में स्विंग स्टेट्स बदलते रहते हैं. लिहाज़ा 2024 के चुनाव में माना जा रहा है कि ऐसे कुल सात राज्य हैं- पेंसिल्वेनिया, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, नॉर्थ कैरोलिना, नेवादा, एरिजोना और जॉर्जिया. 2020 में बाइडेन ने इन सात में से 6 राज्यों में जीते और एक नॉर्थ कैरोलिना में हार गए थे. इन सात राज्यों में कुल मिलाकर 93 इलेक्टोरल वोट्स हैं जो जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे.
पूरे अमेरिकी इतिहास में जितने भी राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं उससे इन राज्यों की भूमिका के बारे में साफ साफ पता चलता है. जैसे 1948 का राष्ट्रपति चुनाव, उस वक्त हैरी एस. ट्रूमैन ने ओहायो, कैलिफोर्निया, इंडियाना, इलिनोइस और न्यूयॉर्क जैसे तत्कालीन स्विंग राज्यों में एक प्रतिशत से भी कम वोटों से जीतकर थॉमस डेवी को हराया था. इन आंकड़ों में अंतर इतना बारीक था कि अखबार भी सही नतीजा बता पाने में गलती कर बैठे और डेवी को विजेता घोषित कर दिया. फिर 1960 में रिचर्ड एम. निक्सन और जॉन एफ. कैनेडी के बीच हुए राष्ट्रपति चुनाव में 10 राज्य दो प्रतिशत से भी कम वोट से जीते गए थे.
चलिए अब एक एक कर इन सातों राज्यों के बारे में जानते हैं, इनका झुकाव किस पार्टी की ओर सबसे ज्यादा रहा है और इस बार कौन किस पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
पेंसिल्वेनिया-सबसे बड़ा स्विंग स्टेट
पेंसिल्वेनिया, न्यूयॉर्क का पड़ोसी राज्य है. अमेरिका के पूरब में बसा है. इस राज्य का ऐतिहासिक महत्व इस तथ्य से भी है कि अमेरिका का संविधान यहीं तैयार किया गया था. पेंसिल्वेनिया 19 इलेक्टोरल वोट्स के साथ देश का सबसे बड़ा स्विंग राज्य है. अकेले इस राज्य में ही दोनों पार्टियों के चुनाव प्रचार का खर्चा कुल 122 डॉलर मिलियन है.
डेमोक्रेट्स ने 1992 से 2012 तक हर राष्ट्रपति पद की दौड़ में पेंसिल्वेनिया पर अपना दबदबा कायम रखा है. सिवाय 2016 के आम चुनावों को छोड़कर. 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को जीत मिली. 2020 में ये स्टेट जो बाइडन के खाते में गया था. इस राज्य की महत्ता इस बात से भी समझी जा सकती है कि पिछले 12 राष्ट्रपति चुनाव जीतने वालों में से 10 ने पेंसिल्वेनिया में जीत हासिल की है.
पेंसिल्वेनिया की लगभग तीन-चौथाई यानी 74.5% आबादी नॉन-हिस्पैनिक श्वेत है, जिसमें अश्वेत या अफ्रीकी अमेरिकी आबादी 12.2% और हिस्पैनिक आबादी 8.6% है. पेंसिल्वेनिया में बुजुर्गों की आबादी भी अच्छी खासी है, 19.6% लोग कम से कम 65 वर्ष के हैं.
पेंसिल्वेनिया में नए सर्वेक्षण में पाया गया कि हैरिस राज्य में ट्रम्प से 4 अंकों से आगे हैं. लेकिन निर्दलीय अभी भी लगभग 11% मतदाताओं का दावा करते हैं. लिहाजा ये राज्य एक ऐसा जंप बॉल बना हुआ है जिसे कैच करना तो मुश्किल है ही पकड़ कर रखना उतना की कठिन.
एरिज़ोना, 11 इलेक्टोरल वोट्स
एरिजोना राज्य 1952 से रिपब्लिकन का गढ़ रहा है. सिवाय 1996 के, जब बिल क्लिंटन ने जीत हासिल की थी. ट्रंप ने 2016 में हिलेरी क्लिंटन पर यहां महज तीन फीसदी प्वाइंट से जीत दर्ज की थी.
हालाँकि, पिछले कुछ सालों में राज्य में डेमोक्रेट की ओर झुकाव देखा गया है. पिछले 12 राष्ट्रपति चुनाव के विजेताओं में से 8 ने एरिजोना में भी जीत हासिल की है. एरिजोना में कुल 11 इलेक्टोरल वोट्स हैं.
इसकी अधिकांश आबादी अभी भी श्वेत (52.9%) है, जिसमें 5.5% अश्वेत या अफ्रीकी अमेरिकी हैं और 5.2% अमेरिकी भारतीय या अलास्का मूल निवासी हैं. राज्य में हिस्पैनिक आबादी 32.5% है. ट्रम्प ने हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर हिस्पैनिक्स के बीच अच्छी पैठ बनाई है.
बाइडेन की राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर होने की घोषणा से कुछ दिन पहले किए गए इनसाइडर एडवांटेज सर्वे में ट्रंप को एरिजोना में बाइडेन से 3 पर्सेंटेज वोट्स से आगे दिखाया गया था. बाइडेन के बाहर हो जाने के बाद अब इसी राज्य में हैरिस ट्रंप से 2 प्वाइंट आगे हैं.
जॉर्जिया, दूसरा सबसे बड़ा स्विंग राज्य
जॉर्जिया 16 इलेक्टोरल वोट्स के साथ दूसरे सबसे बड़े बैटलग्राउंड स्टेट्स के नाम से जाना जाता है. हालांकि, जॉर्जिया स्विंग स्टेट में हाल ही में शामिल होने वाला राज्य है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले हर राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जॉर्जिया एक काफी भरोसेमंद रिपब्लिकन राज्य रहा है. लेकिन 2020 में सबने देखा कि नतीजे लाल से नीले रंग में भी तब्दील हो सकते हैं.
उस साल जो बाइडेन ने 12 हजार वोटों के कम अंतर से जीत हासिल की थी. इससे पहले, 1992 में बिल क्लिंटन के बाद से राज्य ने किसी डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति के लिए मतदान नहीं किया था. पिछले 12 चुनावों में से आठ लोग इस राज्य को जीत कर राष्ट्रपति पद पर आसीन हो चुके हैं.
जॉर्जिया देश में 33 फीसदी आबादी अफ्रीकी-अमेरिकियों की है और ऐसा माना जाता है कि इस वर्ग ने 2020 में बाइडेन का साथ दिया था. हालांकि, अमेरिका के अश्वेत मतदाताओं के बीच मोहभंग की भी खबरें हैं. जानकारों के मुतबिक ये नाराजगी नस्लीय अन्याय से निपटने या अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का नतीजा हैं.
बाइडेन के रेस से बाहर हो जाने के कुछ घंटो बाद किए गए पोल्स, जैसे अटलांटा जर्नल-कॉन्स्टिट्यूशन के एक खास सर्वे में ट्रम्प को हैरिस पर मामूली बढ़त के साथ दिखाया गया. हालांकि हालिया पोल्स से मालूम पड़ता है कि कमला ट्रंप से 2 प्वाइंट आगे है.
कमला हैरिस vs डोनाल्ड ट्रंप
मिशिगन- इलेक्टोरल वोट्स 15
मिशिगन एक ऐसा राज्य है जो दोनों ही पार्टियों के लिए किसी अबूझ पहली से कम नहीं है. यहां के मतदाताओं का मिजाज आखिर आखिर में तय होता है.
इसे कुछ उद्हारण के जरिए बखूबी समझा जा सकता है. 1930 से 1960 के दशक तक मिशिगन की जनता कभी रिपब्लिकन तो कभी डेमोक्रेट के बीच पाला बदलती रही. फिर 1970 के दशक की शुरुआत से 1980 के दशक के अंत तक रिपब्लिकन के समर्थन में रहा.
1988 से फिर पाला बदला, हर राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट के लिए मतदान किया लेकिन 2016 में हिलेरी क्लिंटन इसे हार गई थीं. उस साल ये राज्य ट्रंप के खाते में गया. 2020 में बाइडेन की राज्य में वापसी हुई.
पिछले 12 राष्ट्रपति चुनावों में से मिशिगन राज्य पर फतह पाने वाले नौ लोगों ने व्हाइट हाउस भी जीता है.
इस राज्य में दोनों उम्मीदवारों के लिए श्वेत श्रमिक वर्ग के मतदाता काफी अहम होंगे. वहीं दूसरी ओर गाजा संघर्ष से निपटने के बाइडेन के तरीके से राज्य के अरब अमेरिकी समुदाय में भारी नाराजगी है. बाइडेन इस राज्य में ट्रंप से पिछड़ रहे थे. फिर कमला की एंट्री के बाद ट्रंप 4 प्वाइंट पीछे हुए. हालांकि कुछ सर्वे में फिलहाल बताया जा रहा है कि ट्रंप इस राज्य में बढ़त बनाए हुए हैं.
नेवादा- इलेक्टोरल वोट्स 6
1976 के बाद से डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन उम्मीदवारों ने नेवादा में छह-छह बार जीत हासिल की है. डेमोक्रेट 2008 से राष्ट्रपति स्तर पर विजयी रहे हैं, जब ओबामा ने लगभग 13 अंकों से जीत हासिल की थी, उसके बाद 2012 में उनकी जीत लगभग 7 अंकों से हुई थी.
नेवादा जीतने वाले ने पिछले 12 चुनावों में से 10 में व्हाइट हाउस जीता है. इसकी आधी से भी कम आबादी 45.7 फीसदी गैर हिसपैनिक श्वेत है, 30.3 हिसपैनिक है. इसके बाद अश्वेत या अफ्रीकी अमेरिकी आबादी 10.8 फीसद और एशियाई आबादी 9.4 फीसद है.
इनसाइडर एडवांटेज पोल में दिखाया गया कि 800 मतदाताओं के सैंपल में ट्रम्प नेवादा में बाइडेन से 49% आगे चल रहे थे. हैरिस के रेस में आ जाने के बाद ट्रंप इस राज्य में 2 प्वाइंट से पीछे हैं.
नॉर्थ केरोलिना- इलेक्टोरल वोट्स 16
नॉर्थ कैरोलिना ने 1876 से 1964 तक लगातार डेमोक्रेट के लिए मतदान किया. 1970 के दशक की शुरूआत से सिर्फ दो डेमोक्रेटिक को चुना- 1976 में जिमी कार्टर और 2008 में बराक ओबामा को.
यह अन्य स्विंग राज्यों की तुलना में कम जोखिम वाल है, लेकिन पिछले 12 नॉर्थ कैरोलिना विजेताओं में से आठ व्हाइट हाउस तक पहुंचने में कामयाब हुए.
नॉर्थ कैरोलिना की लगभग 62% आबादी गैर-हिस्पैनिक श्वेत है. राज्य में बड़ी संख्या में अश्वेत या अफ्रीकी अमेरिकी आबादी (22.2%) और हिस्पैनिक आबादी (10.5%) भी है. और अगर हैरिस राज्य को अपने खाते में डालना चाहती हैं तो दोनों समूहों को एकजुट करना होगा.
विश्लेषकों का कहना है कि राज्य के शहरी डेमोक्रेट और ग्रामीण क्षेत्र रिपब्लिकन के लिए वोट करते हैं.
जब बाइडेन चुनावी रेस में थे तब के सर्वे में ट्रम्प को बाइडेन से 7 अंकों से आगे दिखाया गया था. हैरिस के चुनावी मैदान में उतरने के बाद भी कुछ खास बदलाव हालिया सर्वे में नहीं हुआ है. ट्रंप अब भी 2 प्वाइंट से आगे चल रहे हैं.
विस्कॉन्सिन- इलेक्टोरल वोट्स 10
विस्कॉन्सिन अमेरिका के उत्तर- मध्य क्षेत्र में स्थित है. यहा देश के सबसे बड़े डेयरी उत्पादक होने के लिए भी जाना जाता है.
ग्रेट डिप्रेशन और दूसरे विश्व युद्ध तक राज्य सिर्फ रिपब्लिकन के पक्ष में रहा. हालांकि 1984 से 2016 तक यह डेमोक्रेट झुकाव वाले राज्य में बदल गया. लेकिन फिर 2016 में विस्कॉन्सिन की जनता का समर्थन ट्रंप को गया, और वो बेहद ही मामूली अंतर से जीते. पिछले चार राष्ट्रपति चुनावों में राज्य में विजेता ने व्हाइट हाउस भी जीता है.
जानकार कहते हैं कि 2016 के चुनावों में ट्रम्प को राज्य के ग्रामीण इलाकों में बढ़त मिली, जहां बड़ी संख्या में श्रमिक वर्ग के गोरे लोग रहते हैं. फिर बाइडेन ने मामूली अंतर से 2020 में ट्रंप से इस राज्य को छीन लिया. श्वेत श्रमिक वर्ग के मतदाता दोनों उम्मीदवारों के लिए अहम है. इस राज्य में भी हैरिस ट्रंप से 4 अंको से आगे हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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