दुनियां – संविधान बदलने चली पाकिस्तान सरकार के सामने खड़ी है बड़ी मजबूरी, मौलाना के दर पर लगाई हाजिरी – #INA
पाकिस्तान में लाए गए विवादित संविधान संशोधन बिल पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. रविवार को ऐतिहासिक ‘संविधान संशोधन पैकेज’ को पेश किए बिना ही संसद को स्थगित कर दिया गया था. इस बिल के तहत वरिष्ठ न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र को तीन साल बढ़ाए जाने और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव किए जाने की उम्मीद है. रिपोर्टों के मुताबिक इसके अंदर करीब 22 संशोधन शामिल हैं, हालांकि संशोधनों के विवरण अभी पब्लिक नहीं किए गए हैं.
इस बिल का विपक्षी दल और कई एक्टिविस्ट विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले पक्ष का कहना है कि इन संशोधन का मकसद खास कानूनी पोस्ट में सरकार का दखल और सदन में मतदान के दौरान सांसदों के दल बदल से निपटने में सरकार की शक्ति बढ़ाना है.
इस बिल के बढ़ते विरोध के बीच पाकिस्तान सरकार के एक डेलिगेशन ने रविवार को प्रमुख मौलवी और दक्षिणपंथी नेता मौलाना फजलुर रहमान से मुलाकात की, ये मुलाकात इस बिल के लिए उनका समर्थन लेने की उम्मीद से की गई है.
The Awaam Pakistan Convenor Shahid Khaqan Abbasi (@SKhaqanAbbasi) says:
The Supreme Court of Pakistan and its Chief Justice have a national duty today to reject the still-secret mala fide Constitutional Amendments package, which is only intended to subjugate the Judiciary and pic.twitter.com/mjpp6ngKTF
— Miftah Ismail (@MiftahIsmail) September 15, 2024
फजलुर रहमान की पाकिस्तान की जनता और धार्मिक गुरुओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है. उनका पूर्ण रूप से इस बिल को समर्थन मिलने के बाद विरोध को काफी हद तक कम किया जा सकता है. सिर्फ यही कारण नहीं है, संख्याबल भी एक वजह है.
मौलाना फजलुर रहमान की पाक में कितनी ताकत?
संविधान संशोधन के लिए सरकार को दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है और इसके लिए मौलाना फजलुर रहमान अहम रोल अदा कर सकते हैं. उनकी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम {(फजल)JUI-F} पार्टी के पास संसद में 8 और सीनेट में 5 सांसद हैं. मौलाना ने वैसे तो संशोधनों का समर्थन किया है लेकिन पूरे पैकेज को मंजूरी देने से पहले इसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को भी शामिल करने की मांग की है ताकि एक आम सहमति बन सके. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पूर्व राष्ट्रपति इमरान खान की पार्टी है और उसके समर्थित सांसद पाक सदन में मुख्य विपक्ष हैं.
How will anyone own the draft of Constitutional Amendments -How in the world #PPP & #PMLN thought they will survive the bill in the current form – I am so glad Fazal ur Rahman did not agree to vote. #ConstitutionalAmendment pic.twitter.com/3KALVUqZab
— Pakistan First (@Pakistan1irst) September 16, 2024
सूचना मंत्री अत्ता तरार ने जानकारी दी कि संविधान संशोधन बिल देर से पेशकश किया गया है क्योंकि सहमति बनाने के लिए बातचीत जारी है. उन्होंने ये भी कहा कि ये बदलाव आम लोगों की भलाई के लिए हैं और इसका सकारात्मक असर पड़ेगा. रविवार को नेशनल असेंबली और सीनेट के सेशन खास समय पर बुलाए गए थे, जो अक्सर बजट सत्र या संवेदनशील मुद्दों पर बुलाया जाता है.
संविधान में क्या बदलाव करने जा रही पाक सरकार?
इस वक्त पाकिस्तान के कानून के मुताबिक अनुच्छेद 179 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश की सर्विस आयु 65 वर्ष की है, जबकि अनुच्छेद 195 में, हाई कोर्ट के न्यायाधीश 62 साल तक अपने पद पर रहते हैं. सरकार के प्रस्तावित संशोधन में उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सर्विस को तीन साल बढ़ाया जाने की बात कही गई है. इसके अलावा सरकार सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति में भी बदलाव पर विचार कर रही है, जिसमें सिर्फ सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया जाता है. इसके अलावा अनुच्छेद 63-ए में भी संशोधन का प्लान है, जो सांसदों के दल बदल से संबंधित है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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