दुनियां – धार्मिक असहिष्णुता के खिलाफ ब्राजील की सड़कों पर उतरे लोग, ईसाइयों पर क्यों लग रहे जुल्म के आरोप? – #INA
फुटबॉल प्रेम के लिए प्रसिद्ध ब्राजील में धार्मिक असहिष्णुता को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. रविवार को रियो डी जेनेरो राज्य में सैकड़ों लोगों ने धार्मिक आजादी का समर्थन करने के लिए एक पैदल मार्च निकाला. इस रैली में ब्राजील के नवनियुक्त मानवाधिकार मंत्री मैके एवारिस्तो ने भी हिस्सा लिया.
रियो डी जेनेरो के कोपाकबाना बीच पर आयोजित हुए इस इवेंट में अलग-अलग धर्मों और संप्रदायों के सैकड़ों लोग शामिल हुए. इनमें ज्यादातर लोग अफ्रो-ब्राजीलियन धार्मिक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले थे, जिन पर कुछ दिनों पहले ही एक ईसाई समूह के कुछ लोगों ने हमला कर दिया था.
6 साल में दोगुने हुए असहिष्णुता के मामले
जानकारी के मुताबिक ब्राजील में लगातार 17 सालों से धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थन में यह मार्च निकाला जाता है. न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के अनुसार बीते 6 सालों में रियो डी जेनेरो में धार्मिक असहिष्णुता के मामले दोगुने हो गए हैं. वहीं साल 2018 से 2023 के बीच में ब्राजील सरकार ने धार्मिक असहिष्णुता के मामलों की शिकायतों में 140 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
दरअसल रियो डी जेनेरो राज्य में अफ्रो-ब्राजीलियन धर्म को मानने वाले करीब एक चौथाई लोग रहते हैं. साल 1970 में यहां नियो-पेंटीकोस्टल चर्च स्थापित किए गए, जिनका मकसद लोगों में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करना था. विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर धर्मांतरण शांतिपूर्ण हुआ, लेकिन ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार से अफ्रो-ब्राजीलियन समुदाय के लोगों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव और असहिष्णुता बढ़ने लगी, इसमें जुबानी हमले, धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और आस-पड़ोस से निष्कासन तक शामिल है.
टारगेट पर हैं अफ्रीकी मूल के लोग?
वहीं अफ्रीकी-ब्राजील धर्म कैंडोम्बले को मानने वाले वानिया विएरा का कहना है कि, ‘अफ्रीकी मूल के लोगों से आने वाली हर चीज का अवमूल्यन किया जाता है. अगर हम अपने विश्वास में दृढ़ नहीं हैं, तो हम अपनी ताकत खो देंगे. हम इस पैदल मार्च से यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर हम लड़ेंगे तभी बचेंगे.
ब्राजील के लिए बड़ी चुनौती है असमानता- मंत्री
धार्मिक स्वतंत्रता मार्च में हिस्सा लेने वाले मंत्री एवारिस्तो ने कहा है कि देश के सामने असमानता एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा ऐसे में इस तरह के मार्च में शामिल होना मेरे लिए बेहद जरूरी है. एवारिस्तो ने कहा कि जो लोग इस मार्च में शामिल हैं वह जीवन में कई चीजों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जैसे एक अच्छी नौकरी और भूख से मुक्त जीवन.
ब्राजील में कैथोलिक ईसाईयों की आबादी करीब 54 फीसदी है, वहीं अफ्रीका महाद्वीप के बाद ब्राजील में अफ्रीकी मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं जो कि अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं का समर्थन करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते कुछ सालों में अफ्रो-ब्राजीलियन लोगों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ी है और इसका आरोप ईसाई समुदाय के लोगों पर लगता रहा है. इस के विरोध में रियो डी जेनेरो राज्यके कोपाकबाना बीच पर पैदल मार्च का आयोजन किया गया.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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