दुनियां – खामेनेई को भारतीय मुसलमानों की टेंशन, जानिए कब-कब ईरानी सुप्रीम लीडर ने जताई चिंता – #INA

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई भारत में मुसलमानों को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने भारत को मुस्लिम अधिकारों का उल्लंघन करने वाले देशों में शामिल किया. खामेनेई ने भारत पर मुस्लिम उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसे म्यांमार और गाजा के साथ गिना. यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें ये टिप्पणी करने के लिए किस बात ने उकसाया. खामेनेई के बयान पर भारत ने कहा कि उन्हें पहले अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए.
संयोग से खामेनेई की टिप्पणी महसा अमिनी की मृत्यु की दूसरी वर्षगांठ पर आई. 22 वर्षीय ईरानी महिला को हिजाब का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया और पुलिस हिरासत में पीट-पीटकर मार डाला गया था, जिससे ईरान में आक्रोश और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ.
पहले भी जता चुके हैं चिंता
हालांकि यह पहली बार नहीं है कि ईरान के सुप्रीम लीडर ने भारत में मुसलमानों को लेकर ऐसा बयान दिया. खामेनेई 2020 के दिल्ली दंगों पर भी बयान दे चुके हैं. उन्होंने दंगों को मुसलमानों का नरसंहार बताया था. खामेनेई 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर के पद पर हैं.
उन्होंने दिल्ली दंगे पर ट्वीट किया था कि दुनिया भर के मुसलमान भारत में मुसलमानों के नरसंहार पर दुखी हैं. भारत सरकार को चरमपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों का मुकाबला करना चाहिए और इस्लाम की दुनिया से भारत के अलगाव को रोकने के लिए मुसलमानों के नरसंहार को रोकना चाहिए. इसके बाद उन्होंने हैशटैग IndianMuslimslnDanger का इस्तेमाल किया था.
370 हटने पर क्या बोले थे?
ऐसी ही 2019 में J-K में अनुच्छेद 370 हटने पर खामेनेई ने चिंता जताई थी. तब उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. हमारे भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के लोगों के प्रति उचित नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकेगी. भारत ने उनकी टिप्पणियों को खारिज कर दिया था.
तेहरान ने आखिरी बार 2002 के गुजरात दंगों के बाद और एक दशक पहले 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भारत की आलोचना की थी. जबकि 1992, 2002, 2019 और 2020 ऐसे क्षण हैं जब खामेनेई ने भारतीय मुसलमानों पर बात की. उन्होंने बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाया है.
2017 में भी उन्होंने कश्मीर का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था मुस्लिम दुनिया को यमन, बहरीन और कश्मीर के लोगों का खुलकर समर्थन करना चाहिए. उन पर हमला करने वालों को अस्वीकार करना चाहिए. 2010 के जुलाई और नवंबर महीने में भी खामेनेई ने कश्मीर के मुसलमानों के पक्ष में आवाज उठाई थी. उन्होंने इसे गाजा और अफगानिस्तान के समान श्रेणी में रखा था. 2010 में भारत और अमेरिका परमाणु समझौते के बाद कश्मीर पर ईरान की बयाबाजी बढ़ी है. 2008 और 2009 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में ईरान के खिलाफ वोट किया था.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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