दुनियां – अमेरिका ने ही करवाया शेख हसीना सरकार का तख्तापलट, रिपोर्ट्स में दावा- 5 साल पहले शुरू हुआ था खास ‘ऑपरेशन’ – #INA

बांग्लादेश के सियासी उठापटक और शेख हसीना सरकार के तख्तापलट को लेकर बड़ा दावा किया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक शेख हसीना सरकार गिराने में अमेरिका का ही हाथ है. कुछ अमेरिकी एजेंसियों ने 65 महीने पहले ही शेख हसीना सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम शुरू कर दिया था. इस ऑपरेशन को पूरा करने में अमेरिका के ‘तख्तापलट स्पेशलिस्ट’ डोनाल्ड लू समेत 5 लोगों की अहम भूमिका बताई जा रही है.
द संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसके पास मौजूद दस्तावेजों से पता चलता है कि अमेरिका ने मार्च 2019 से शेख हसीना सरकार को गिराने की साजिश शुरू कर दी थी. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी कुछ दिनों पहले अमेरिका पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था, लेकिन तब अमेरिका की ओर से इन आरोपों से साफ इनकार कर दिया गया था.
अमेरिकी एजेंसियों ने रची साज़िश
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका की इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (IRI), नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी (NED) और US एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने मिलकर बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ माहौल बनाया. NED और USAID ने IRI को फंड मुहैया कराया. दावा किया जा रहा है कि इस काम के लिए अमेरिका ने पानी की तरह पैसा बहाया है. द संडे गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक दस्तावेजों से पता चलता है कि यह प्रोजेक्ट भारत के ‘हस्तक्षेप’ को काउंटर-बैलेंस करने के लिए कितना जरूरी था.
मार्च 2019 में शुरू हुआ ‘ऑपरेशन PAIRS’
दावा किया जा रहा है कि IRI ने मार्च 2019 में ऑपरेशन PAIRS की शुरुआत की थी, इसका उद्देश्य आम नागरिकों, सिविल सोसाइटी के लोगों को राजनीति में शामिल करना और सत्ता विरोधी आवाजों को बल देना था. IRI ने शुरुआती दिनों में ही 3 सिविल सोसाइटीज का समर्थन किया, 77 एक्टिविस्ट को ट्रेंड किया और 326 आम नागरिकों को 43 पॉलिसी डिमांड में शामिल किया. साथ ही बांग्लादेशी समाज की कमियों का पता लगाने के लिए रिसर्च की गई. इसके अलावा आर्टिस्ट, म्यूजिशियन और परफॉर्मर्स की पहचान की गई क्योंकि आम नागरिकों की तुलना में किसी आर्टिस्ट की आवाज दबाना ज्यादा मुश्किल है, साथ ही उनके जरिए लोकतांत्रिक और बदलावपूर्ण संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए जा सकते हैं.
कई चरणों में साजिश को दिया अंजाम?
दावा किया जा रहा है कि इसके लिए अमेरिकी एजेंसियों ने कई चरणों पर तैयारी और क्रियान्वयन किया. सबसे पहले आम लोगों के लिए जागरुकता अभियान कार्यक्रम आयोजित किए गए. इन कार्यक्रमों में शेख हसीना सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट किए गए और जनता को सत्ता परिवर्तन के लिए समर्थन दिया गया. दावा किया गया है कि इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए करीब 4 लाख लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित किया गया. पहले चरण का अभियान फरवरी 2021 में खत्म हुआ.
इसके बाद दूसरे चरण की शुरूआत हुई, जिसमें राजनीतिक चर्चाओं और फैसले लेने के दौरान हाशिए पर ढकेले गए लोगों खासकर युवाओं और महिलाओं की आवाज बुलंद की. इसके अलावा IRI ने विश्वविद्यालयों में स्टूडेंट विंग के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर उनकी लीडरशिप स्किल को बेहतर बनाने का काम किया. छात्रों के लिए राउंड टेबल डिस्कशन आयोजित किए जाते थे लेकिन 2022 के अंत तक यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका. इसके पीछे 2 सबसे प्रमुख कारण थे.
2022 में तख्तापलट में कामयाब नहीं हो पाई IRI
पहला कारण- शेख हसीना सरकार साल 2018 में डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट लेकर आई जिससे सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने वालों पर काफी हद तक रोक लगाने में मदद मिली.
दूसरा कारण- शेख हसीना सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान अच्छा काम किया, जिससे बांग्लादेश में ज्यादा मौतें नहीं हुईं. अमेरिका की इन एजेंसियों ने सोचा था कि कोरोना महामारी के कुप्रबंधन को बहाना बनाकर सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू किया जा सकता है लेकिन भारत की मदद से शेख हसीना ने बांग्लादेश को कोरोना महामारी से उबारने का बेहतरीन प्रयास किया.
चुनाव में धांधली का आरोप साजिश का हिस्सा
लेकिन जब इन एजेंसियों की यह चाल कामयाब नहीं हुई तो इन्होंने शेख हसीना पर साल 2024 का चुनाव धांधली से जीतने का आरोप लगाया. मार्च 2024 में वॉशिंगटन स्थित नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट (NDI) और IRI की टेक्निकल असेस्मेंट मिशन ने एक रिपोर्ट जारी की, इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जनवरी में हुए चुनाव में शेख हसीना सरकार ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया था और चुनाव से विपक्ष को पूरी तरह गायब कर दिया गया. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि शेख हसीना सरकार ने विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए राजनीतिक हिंसा का सहारा लिया और यह चुनाव निष्पक्ष नहीं था.
अप्रैल 2024 में अंतिम चरण लॉन्च किया
द संडे गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल अप्रैल में IRI ने शेख हसीना सरकार को उखाड़ने के लिए अपने प्लान का अंतिम चरण शुरू किया. बीते करीब 5 साल में IRI पहले ही आम लोगों, छात्रों और सिविल सोसाइटी के मन में शेख हसीना सरकार विरोधी नैरेटिव सेट कर चुका था. दावा किया गया है कि मई में अमेरिकी अधिकारी डोनाल्ड लू जब बांग्लादेश दौरे पर थे तो इस दौरान विद्रोही गुटों को बैंककॉक के रास्ते से हथियार भी सप्लाई किया गया.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विपक्षी दल BNP के नेता तारिक रहमान और जमात-ए-इस्लामी के लीडर्स के बीच लंदन में मीटिंग करवाई गई. इस बैठक में तख्तापलट के लिए जुलाई का समय तय किया गया क्योंकि जुलाई में बांग्लादेश में अक्सर बाढ़ जैसे हालात होते हैं और सेना इन हालातों को संभालने में व्यस्त होती है.
अगर आप बांग्लादेश में हुए विद्रोह की टाइमलाइन पर गौर करेंगे तो आरक्षण के खिलाफ छात्रों का यह आंदोलन जून के अंत में शुरू हुआ और जुलाई में इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया, आखिरकार 5 अगस्त को शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा और वह जान बचाकर भारत आ गईं.
आरोप हैं कि मंगोलिया (1996), हैती (2001) और युगांडा (2021) के बाद बांग्लादेश (2024) में अमेरिका की इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (IRI) सफलतापूर्वक सत्ता परिवर्तन करवाने में कामयाब रही है.
तख्तापलट में इन 5 अधिकारियों की भूमिका
अमेरिकी विदेश विभाग में साउथ और मध्य एशिया के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू, कनेक्टिकल के सीनेटर क्रिस मर्फी, अमेरिकी विदेश विभाग के पॉलिसी प्लानिंग स्टाफ सुमोना गुहा, लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम विभाग की सहायक मंत्री सारा मार्गन, अमेरिकी विदेश विभाग में पूर्वी एशिया और पैसिफिक अफेयर्स ब्यूरो के वरिष्ठ सलाहकार फ्रांसिस्को बेनकॉस्मे ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

Source link

Back to top button