दुनियां – PM मोदी के अमेरिका जाने से फायदे में कौन? डोनाल्ड ट्रम्प या कमला हैरिस किसे होगा फायदा – #INA

अमेरिका में इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव का माहौल गर्म है. अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की सियासी लड़ाई में दो खेमों में बंटा हुआ है. रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स में कांटे की टक्कर देखी जा रही है. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने यूएस के डेलावेयर पहुंचे. राष्ट्रपति जो बाइडेन इस समिट की मेजबानी कर रहे हैं. लेकिन ट्रंप मोदी से मिलने के लिए बेताब हैं. खबर है कमला हैरिस भी उनसे न्यूयॉर्क में मिल सकती हैं. क्वाड समिट की टाइमिंग अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गर्मी के बीच रखी गई है. 2023 क्वाड शिखर सम्मेलन मई में जापान के हिरोशिमा शहर में संपन्न हुआ था. यह इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि क्वाड चार देशों मसलन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान का एक समूह है. इससे चीन परेशान होता रहा है. प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के माहौल में इन चार देशों के राष्ट्राध्यक्षों का पहुंचना और अपने-अपने क्षेत्र के हितों के साथ-साथ चुनावी मंसूबों में अभिरुचि लेना दिलचस्प हो जाता है. सवाल है इन राष्ट्राध्यक्षों के अमेरिका पहुंचने से क्या राष्ट्रपति चुनाव पर भी कोई असर पड़ेगा? सबसे अव्वल तो ये कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रभाव और उपस्थिति से किसे मजबूती मिलेगी- रिपब्लिकन ‘दोस्त’ डोनाल्ड ट्रंप को या डेमोक्रेट कमला हैरिस को?
पिछले दो महीने के भीतर हुए प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरे को देखिए और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी के गणित से उसका मिलान कीजिए. 21 सितंबर को जब प्रधानमंत्री अमेरिका पहुंचे उस वक्त कमला हैरिस कई राज्यों के सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप से आगे हैं, हालांकि नेशनल सर्वे में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है. कुछ राज्यों में ट्रंप भी आगे हैं. मामला फिलहाल एकतरफा बिल्कुल नहीं है. आंकड़े बदल भी सकते हैं. इससे पहले के सर्वे में जब डोनाल्ड ट्रंप जो बाइडेन से आगे थे तब प्रधानमंत्री मोदी ने 9 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी, उस तारीख तक कमला हैरिस का नाम सामने नहीं आया था. लेकिन जैसे ही बाइडेन ने कमला का नाम बढ़ाया सर्वे के आंकड़े बदलने लगे. अमेरिका में हवा बदलने लगी. कमला हैरिस ट्रंप को चुनौती देने लगीं. इसके बाद 23 अगस्त को पीएम मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिले. क्वाड समिट उस वक्त हो रहा है जब दोनों प्रतिस्पर्धियों के बीच कड़ा मुकाबला है. एकतरफा प्रचार तंत्र किसी के भी पलड़ा को भारी कर सकता है.
पीएम मोदी से मिलना चाहते हैं ट्रंप और कमला
ये चुनावी मौसम का ही तकाजा है कि प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका आने की खबर सुनकर ही भारतीय अमेरिकी से कहीं ज्यादा डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस दोनों उत्साहित और रोमांचित हैं. ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि वो पीएम मोदी से मिलना चाहेंगे. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से ये पुष्टि नहीं की गई है कि मोदी और ट्रंप के बीच मुलाकात होने वाली है. अभी तक के निर्धारित कार्यक्रमों के मुताबिक यह तयशुदा नहीं है. लेकिन ट्रंप ने मोदी के नाम से जिस प्रकार का माहौल बनाया, वह दिलचस्प है. ट्रंप ने मौके की नजाकत को देखते हुए मोदी को चमत्कारी व्यक्ति बताया. लेकिन चतुराई ये देखिए कि ट्रंप ने बाइडेन-कमला पर निशाना साधने के क्रम में भारत और अमेरिका के व्यापार संबंध पर नकारात्मक टिप्पणी की. ट्रंप ने भारत को व्यापार संबंध का उल्लंघनकर्ता बताया. ट्रंप की ये रणनीति समझ से परे है. वह मोदी की तारीफ करते हैं लेकिन भारत विरोधी भी रुख रखते हैं. ऐसे में क्या मोदी के अमेरिका विजिट से फायदा कमला हैरिस को होने वाला है? इसमें भी संदेह की गुंजाइश है. अमेरिकी मीडिया में चर्चा इस बात की भी है कि कमला हैरिस भी पीएम मोदी से 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में प्राइवेट तौर पर मीटिंग कर सकती हैं.
भारतीय समुदाय को क्या कहेंगे पीएम?
वैसे देखें तो प्रधानमंत्री मोदी की यह अमेरिका यात्रा केवल क्वाड शिखर सम्मेलन तक सीमित नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी क्वाड समिट के बाद 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में भारतीय समुदाय की एक सभा में भाग लेंगे और संबोधित करेंगे. देखना अहम होगा कि प्रधानमंत्री अमेरिकी भारतीयों को क्या संदेश देते हैं! उनके संबोधन में चुनाव और डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस के लिए भी कोई संदेश छुपा होता है या नहीं? अमेरिका में भारतीयों की संख्या करीब 50 लाख है. भारतीय यहां की सत्ता को प्रभावित करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के भी यहां समर्थकों की कमी नहीं. पिछले दिनों राहुल गांधी अमेरिका में संबोधन कर चुके हैं. अब पीएम मोदी यहां क्या क्या कहते हैं, इस पर सबकी नजर रहेगी.
निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिरकत करेंगे. इस दौरान कई वैश्विक नेताओं के भाग लेने की संभावना है. यह सम्मेलन इसलिए भी अहम है कि इसमें दुनिया के बेहतर कल के लिए अनेक राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे और संबोधित करेंगे. उनमें एक पीएम मोदी भी शामिल हैं. चुनावी मौसम में ये दोनों ही सम्मेलन दोनों प्रतिभागियों के लिए बेहतर खुराक साबित हो सकते हैं. अमेरिकी चुनाव की तस्वीर बदल सकते हैं.
मोदी को लेकर कमला हैरिस की राय
यूएस राष्ट्रपति के दोनों प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहते हैं लेकिन पीएम को लेकर असलियत में दोनों की सोच अलग-अलग रही है. डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी को अपना ‘दोस्त’ मानते हैं, उनको ‘फैंटास्टिक मैन’ कहते हैं. दोनों जब साथ-साथ होते हैं तो उनकी बॉडी लेंग्वेज उनके बीच की दोस्ती के कंफर्ट को दर्शाती है. ट्रंप पर जब जानलेवा हमला हुआ तो पीएम मोदी ने भी निंदा की और उनकी हिफाजत की कामना की. हालांकि ट्रंप खुद को जितने मोदी समर्थक के तौर पर प्रदर्शित करते हैं, उतना उनके भीतर भारत प्रेम नहीं है. इसके बरअक्स उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत के अंदरुनी मामलों में सख्त टिप्पणियां कर चुकी हैं. कमला हैरिस ने सितंबर 2021 की अमेरिका यात्रा के दौरान पीएम मोदी के समक्ष कहा था कि भारत को लोकतंत्र और मानवाधिकार की रक्षा करने की जरूरत है. हालांकि कमला ने इस दौरान ये भी कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत और अमेरिका मिलकर काम करें तो दुनिया में इसका सकारात्मक असर देखा जा सकता है.
अगले कुछ दिनों क्या क्या होगा?
राष्ट्रपति चुनाव में भारत, भारतीय अमेरिकी और पीएम मोदी के विजिट का क्या दूरगामी असर होता है, ये सबकुछ अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा. सर्वे में कमला हैरिस की बढ़त बरकरार रहती है या ट्रंप रातों रात छलांग लगा सकेंगे, इस पर से जल्द पर्दा उठ जाएगा. अगला कुछ दिन इस मामले में काफी अहम हैं. क्या मोदी अमेरिका चुनाव में भी ऐसा कोई मैजिक कर पाएंगे, जिसमें भारत के लिए दूरगामी हित छुपा हो! प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने और शांति स्थापना के वास्ते कितनी शिद्दत दिखाई है, इससे दुनिया भली भांति परिचित है. खास बात ये कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में एक मुद्दा रूस-यूक्रेन युद्ध भी है. ट्रंप मानते हैं इसे बेवजह पोषित किया गया और लंबा खींचा गया. ट्रंप की पार्टी ने बताया है कि इस युद्ध से अमेरिका को भी काफी नुकसान हुआ है. संयोग ये कि पीएम मोदी भी शांति चाहते हैं और ट्रंप भी युद्ध को बेवजह मानते हैं. इस विंदू पर दोनों की राय बहुत अलग-अलग नहीं हैं. लेकिन दूसरी तरफ बतौर भारतीय मूल की एक महिला और अश्वेत उम्मीदवार होने के नाते कमला हैरिस की शख्सियत को नजरअंदाज किया जाना भी ना तो बहुत आसान होगा और ना ही व्यावहारिक.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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