दुनियां – ब्रिटेन, जर्मनी के बाद अब फ्रांस में गरमाया अप्रवासियों का मुद्दा, 19 साल की छात्रा की हत्या से भड़के लोग – #INA

यूरोपीय देशों में अप्रवासियों का मामला गरमाता जा रहा है. ब्रिटेन, जर्मनी के बाद अब फ्रांस में भी अप्रवासियों को लेकर विरोध शुरू हो गया है. दरअसल पेरिस में एक 19 साल की छात्रा की हत्या के बाद दक्षिणपंथी नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है और अप्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
राजधानी पेरिस में बीते शनिवार एक 19 साल की छात्रा की लाश बोइस डि बोलोग्ने पार्क में दबी हुई मिली थी. छात्रा का नाम फिलीपीन बताया जा रहा है और वह पेरिस-डौफिन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कर रही थी. पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला हत्यारा एक अप्रवासी है जो एक रेप केस में पहले ही 5 साल की सजा काट चुका है.
अप्रवासियों के खिलाफ लोगों में गुस्सा
पेरिस के घनी आबादी वाले इलाके के एक पार्क से 19 साल की छात्रा का शव मिलने के बाद लोग महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं हत्यारे की अप्रवासी पहचान ने राजनीतिक दलों को भी सियासत का मौका दे दिया है. इस हत्याकांड के सामने आने के बाद से दक्षिणपंथी लोगों ने अप्रवासियों के मुद्दे को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है.
आरोपी को फ्रांस से डिपोर्ट किया जाना था
उधर पेरिस की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मंगलवार को संदिग्ध आरोपी को जेनेवा ट्रेन स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया है, उसकी पहचान एक अप्रवासी के तौर पर हुई है. आरोपी 22 वर्षीय मोरक्को का निवासी है और 2019 में एक छात्रा से रेप के मामले में 5 साल की सजा काटने के बाद इसी महीने जेल से रिहा हुआ है. फ्रांस की मीडिया के मुताबिक आरोपी का नाम ताहा ओ. है, उसे फ्रांस से डिपोर्ट किया जाना था लेकिन उससे पहले ये वारदात हो गई.
फ्रांस के दक्षिणपंथी नए आंतरिक मंत्री ब्रूनो रितेलो के पिछले हफ्ते कार्यभार संभालने के बाद यह पहली परीक्षा है, उन्होंने लोगों से वादा किया था कि उनकी टॉप 3 प्राथमिकताएं हैं- ‘व्यवस्था स्थापित करना, व्यवस्था स्थापित करना और व्यवस्था स्थापित करना.’
दक्षिणपंथी पार्टी ने सरकार को घेरा
वहीं दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली (RN) ने फ्रांस की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उस प्रवासी को देश में रहने का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन वह पूरी तरह सजा से मुक्त होकर दोबारा अपराध करने में कामयाब रहा है. RN के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला ने कहा है कि हमारा न्यायतंत्र बेहद लचीला है और सरकार नाकाम. उन्होंने ऐसे मामलों में सरकार से त्वरित और कठोर कार्रवाई की मांग की है.
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अप्रवासी मुद्दे पर जल उठा था ब्रिटेन!
इससे पहले ब्रिटेन में जुलाई के महीने में हुए एक हमले में 3 बच्चियों की मौत हो गई थी, घटना को लेकर कुछ दक्षिणपंथियों ने अफवाह फैलाई की हमलावर अप्रवासी और विशेष समुदाय का है, इसके बाद ब्रिटेन का साउथपोर्ट इलाका जल उठा, आरोपी की पहचान को लेकर पुलिस के खंडन के बावजूद कई दिनों तक हिंसा होती रही.
जर्मनी में स्कोल्ज सरकार पर संकट
उधर जर्मनी में भी ओलाफ स्कोल्ज की सरकार अप्रवासियों के मुद्दे को लेकर बैकफुट पर है. अप्रवासियों का विरोध करने वाली दक्षिणपंथी पार्टी AfD लगातार इस मुद्दे को उठा रही है, हाल ही में हुए स्थानीय चुनाव में पार्टी को मिली जीत की असल वजह अप्रवासियों का मुद्दा ही माना जा रहा है.
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दरअसल 23 अगस्त को जर्मनी में सोलिंगन शहर में चाकूबाजी की घटना में 3 लोगों की मौत हो गई थी, इस घटना में भी हमलावर अप्रवासी था और उसे बुलगारिया डिपोर्ट किया जाना था. इस मामले को लेकर स्कोल्ज सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था, नतीजतन स्कोल्ज सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर चाकू रखने पर रोक लगा दी साथ ही देश की बॉर्डर सिक्योरिटी को भी सख्त करने का फैसला किया. अनियमित प्रवास को रोकने के लिए जर्मनी ने 16 सितंबर से अपनी सीमाओं पर चेंकिंग शुरू कर दी है, फिलहाल यह जांच 6 महीने तक जारी रहेगी, जिसका यूरोप के कई देशों ने विरोध भी जताया है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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