दुनियां – अमेरिकी चुनाव का बैलेट पेपर कैसा होता है? एक ही बैलेट से सबकुछ हो जाता है तय – #INA

करीब 20 दिनों बाद अमेरिका को अगले चार साल के लिए नया राष्ट्रपति मिल जाएगा. 5 नवंबर को अमेरिकी जनता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए वोट करेगी. राष्ट्रपति की दौड़ में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से कमला हैरिस है. दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक यूएस में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से नहीं बल्कि अभी भी बैलेट पेपर के जरिए राष्ट्रपति चुना जाता है.
यहां एक बात और ध्यान देने की है कि नवंबर 5 भले ही आखिरी दिन होता है जब अमेरिकी वोटर मतदान करते हैं. मगर इससे पहले कई लाख लोग बैलट पेपर या मेल इन वोटिंग के जरिए मतदान कर चुके होते हैं. इस प्रोसेस को अर्ली वोटिंग भी कहते हैं. टीवी 9 भारतवर्ष ने अमेरिका से बैलेट पेपर का सैंपल भी मंगवाया है. तो इसी बहाने आइए जानते हैं अमेरिका का बैलेट पेपर कैसा दिखता है, राष्ट्रपति के अलावा किन पदों पर नियुक्ति के लिए वोट डाले जाते हैं?
कैसा होता है बैलेट पेपर?
अमेरिकी चुनाव में इस्तेमाल होने वाला बैलट पेपर कुल 13 पेज होता है. पहले पेज पर बैलेट पेपर को भरने का तरीका लिखा होता है. जिसमें वोटर को हिदायत दी जाती है कि वो पेंसिल, ब्लैक या ब्लू पेन का ही इस्तेमाल करें.
दूसरे पन्ने पर सबसे ऊपर सभी 4 पार्टियों- रिपब्लिकन, डेमोक्रेटिक, लिब्रेटेरियन, बेटर, ग्रीन का नाम लिखा होता है.
उसके बाद पहले नंबर पर जनता को प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट का नाम चुनना होता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का नाम साथ में ही लिखा होता है. इन सभी नामों के आगे आगे एक ओवल जैसा आकार बना होता है जिसे पेंसिल या ब्लैक-ब्लू पेन से भरना होता है. लाल कलम इस्तेमाल करने की सख्त मनाही होती है.
इस एक ही बैलेट के जरिए राष्ट्रपति के अलावा गवर्नर, अटॉर्नी जनरल, अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधि और राज्यों के प्रतिनिधियों को भी जनता साथ में चुनती है. इसलिए पेपर में उनके नाम, पार्टी की जानकारी लिखी होती है.
सुप्रीम कोर्ट के जज भी चुने जाएंगे
अमेरिका के राज्य मिसोरी के सुप्रीम कोर्ट के जजों का भी कार्यकाल दिसंबर 31, 2024 को खत्म हो रहा है. इन सभी जजों का भी चुनाव इसी बैलेटे के जरिए होता है. वोटर से पूछा जाता है कि क्या इन जजों का कार्यकाल बरकार रहना चाहिए या नहीं. जनता को हां या ना के सामने बने ओवल को भरना होता है. ठीक इसी तरह सर्किट जज और असोसियट जज का चुनाव होता है.
अमेरिका में ई-वोटिंग का एकमात्र तरीका है ईमेल या फैक्स से वोट करना. इसमें भी वोटर को बैलेट फॉर्म भेजा जाता है, जिसे वो भरते हैं और ई-मेल या फैक्स कर सकते हैं.
अभी भी बैलेट पेपर से वोट क्यों?
जवाब है सुरक्षा के लिए. कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि अमेरिकी जनता इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर उतना भरोसा नहीं करती जितना कि पेपर बैलट को सेफ मानती है. अमेरिकी नागरिक मानते हैं कि ईवीएम हैक किया जा सकता है और पेपर बैलेट ज्यादा भरोसेमंद है, जिसमें उनका वोट वहीं जाता है, जहां वे चाहें.
बैलेट पेपर कब से इस्तेमाल हो रहा है?
अमेरिका चुनावों के पहले 50 साल तक जनता के पास कागज पर अपनी पसंद बताने की सहूलियत नहीं थी. इसके बजाय वोट देने के लिए उन्हें स्थानीय न्यायलय जाना होता था. और सार्वजनित रूप से अपना वोट जोर से बोलकर डालना होता था. ‘वाइवा वॉयस’ या वॉयस वोटिंग के नाम से जाना जाने वाला यह मतदान 19वीं सदी शुरु होने से पहले तक कई राज्यों में कानून था.
फिर 19वीं सदी की शुरुआत में पहली बार पेपर बैलट चलन में आए. शुरुआत में, ये बैलट कागज़ के टुकड़ों से ज़्यादा कुछ नहीं थे. जिस पर मतदाता अपने उम्मीदवारों के नाम लिखकर बैलेट बॉक्स में डाल देते थे. इसके बाद पंच कार्ड वोटिंग सिस्टम का भी चलन रहा कुछ सालों तक. कई गड़बड़िया पाईं गईं. बैलेट पेपर का डिजाइन बदला गया. फिर 2000 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद अमेरिका में पूरी तरह से बैलेट पेपर के जरिए वोटिंग होने लगी.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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