दुनियां – क्या इजराइल ने ‘जानबूझकर’ कराया अपने ऊपर हमला? नेतन्याहू के पास बदले का कहीं ये प्लान तो नहीं – #INA

ईरान के हमलों के बाद इजराइल अब एक्टिव मोड में है, इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और IDF ने ईरान को चेतावनी दी है कि उसे इस हमले की कीमत चुकानी पड़ेगी. IDF प्रवक्ता ने कहा है कि इजराइली सरकार जब कहेगी जहां कहेगी वहां उनकी सेना ईरान को जवाब देने के लिए तैयार है.
वहीं इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री और कट्टरपंथी नेता नेफ्टाली बेनेट ने X पर पोस्ट किया है कि इजराइल के पास मिडिल ईस्ट की तस्वीर बदलने का 50 सालों में सबसे बड़ा अवसर है. उन्होंने लिखा है कि इजराइल को अब ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अटैक करना चाहिए. बेनेट का यह बयान उस दावे को और मजबूत करता है कि जिसमें कहा जा रहा था कि इजराइल, ईरान को ट्रैप करने के लिए मिडिल ईस्ट में संघर्ष को जानबूझकर बढ़ा रहा है.
नेफ्टाली ने बताया नेतन्याहू का प्लान?
इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट ने ईरान के हमले को लेकर कहा है कि इजराइल के पास मध्य पूर्व का नक्शा बदलने के लिए 50 सालों में सबसे बड़ा मौका है. उन्होंने कहा कि ईरान का नेतृत्व जो अब तक शतरंज के इस खेल में माहिर नजर आ रहा था, उसने एक बड़ी गलती कर दी है.
उन्होंने आगे लिखा कि हमें अब ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और सेंट्रल एनर्जी फैसिलिटी को नष्ट करना चाहिए, जिससे इस ‘आतंकी प्रशासन’ को कमजोर किया जा सके. आंतक के ऑक्टोपस के मुखिया (ईरान) हमास, हिजबुल्लाह और हूती जैसे अपने जाल के जरिए हमारे लोगों को मार रहा है जबकि अयातुल्लाह तेहरान में एक सुरक्षित ठिकाने में बैठा है.

Israel has now its greatest opportunity in 50 years, to change the face of the Middle East.
The leadership of Iran, which used to be good at chess, made a terrible mistake this evening.
We must act *now* to destroy Irans nuclear program, its central energy facilities, and to
— Naftali Bennett נפתלי בנט (@naftalibennett) October 1, 2024

नेफ्टाली ने लिखा है कि इजराइल को इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए, उन्होंने कहा है कि ईरान के प्रॉक्सी अभी घायल हैं और ईरान बेनकाब हो चुका है.
इजराइल के टारगेट पर ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम?
अमेरिका और इजराइल, ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को बड़ा खतरा मानते हैं, हाल ही में अमेरिका की ओर से दावा किया गया था कि ईरान न्यूक्लियर हथियार बनाने के करीब पहुंच चुका है और वह जल्द खुद को न्यूक्लियर पावर घोषित कर सकता है. ईरान अगर परमाणु हथियार बनाने में कामयाब रहता है तो अमेरिका और इजराइल समेत तमाम विरोधियों के लिए ईरान पर सीधा हमला करना मुमकिन नहीं होगा.
इजराइल लंबे समय से इस कोशिश में जुटा है कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोका जाए, इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम में शामिल वैज्ञानिकों को भी टारगेट किया है. ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम कामयाब होता है तो मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष और भीषण हो सकता है, ईरान क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए इजराइल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है लिहाज़ा इजराइल की कोशिश है कि हर हाल में ईरान को न्यूक्लियर पावर बनने से रोका जाए.
क्या इजराइल ने ‘जानबूझकर’ कराया हमला?
इजराइल करीब एक साल से गाजा में हमास के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है, 31 जुलाई को हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत से पहले माना जा रहा था कि जल्द ही गाजा सीजफायर डील फाइनल हो जाएगी. उम्मीद जताई जा रही थी कि अब गाजा में जंग रुकने वाली है लेकिन हानिया की हत्या ने डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
कुछ दिनों बाद बातचीत दोबारा शुरू हुई तो इजराइल गाजा में नेत्जारिम और मिस्र बॉर्डर पर फिलाडेल्फी कॉरिडोर पर कंट्रोल को लेकर अड़ गया. आरोप लगने लगे कि नेतन्याहू डील करना ही नहीं चाहते वह इस संघर्ष को और खींचना चाहते हैं. लेकिन संघर्ष को खींचकर इजराइल को क्या हासिल होगा?
दरअसल हमास, हिजबुल्लाह समेत इजराइल के आस-पास मौजूद तमाम शिया विद्रोही गुटों को खड़ा करने में ईरान का हाथ माना जाता है, इजराइल हमास और हिजबुल्लाह को पहले भी बड़ी चोट पहुंचाता रहा है लेकिन ये बार-बार उठ खड़े होते हैं. इजराइल इन गुटों को ईरान का प्रॉक्सी मानता है और उसे अच्छी तरह मालूम है कि अगर बात हद से आगे बढ़ती है तो हमास और हिजबुल्लाह को बचाने के लिए ईरान जंग में जरूर कूदेगा, यानी इजराइल के पास ईरान पर अटैक करने का बड़ा मौका होगा.
मिडिल ईस्ट का नक्शा बदलना चाहते हैं नेतन्याहू?
इसीलिए मंगलवार रात हुआ हमला ईरान के इजराइल के ट्रैप में फंसने का संकेत माना जा रहा है. कुछ दिनों पहले सेंटर फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड ह्यूमैनिटेरियन स्टडीज के नॉन-रेजिडेंट फेलो मुईन रब्बानी ने इसकी आशंका जताई थी. उन्होंने दावा किया था कि मिडिल ईस्ट में संघर्ष को और बढ़ाना इजराइल का रणनीतिक फैसला है.
रब्बानी मानते हैं कि ऐसा करके इजराइल मिडिल ईस्ट के मूलभूत नक्शे को बदलना चाहता है. उन्होंने कहा था कि इजराइल का मुख्य टारगेट ईरान है और नेतन्याहू चाहते हैं कि बाइडेन प्रशासन के बचे हुए कार्यकाल में अमेरिका को भी इस जंग में शामिल कराया जा सके. इसके लिए इजराइल को जिस मौके की तलाश थी वह शायद ईरान ने अपने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 2’ के जरिए दे दिया है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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