दुनियां – जंग के मुहाने पर ईरान-इजराइल, दुनिया के सबसे ताकतवर मुस्लिम देश किसका दे रहे साथ? – #INA
मिडिल ईस्ट के दो बड़े देश इजराइल और ईरान जंग के मुहाने पर खड़े हैं. दोनों के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है. एक मोर्चा वो है जो इजराइल के साथ खड़ा है तो एक वो है जो ईरान के साथ है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि दुनिया के जो सबसे ताकतवर मुस्लिम देश हैं वो किसके साथ हैं. इन देशों में सऊदी अरब, कतर, सीरिया, तुर्की और इराक जैसे मुल्क शामिल हैं.
इन देशों का रुख जानने से पहले सबसे पहले ये जान लेते हैं कि ईरान और इजराइल में हुआ क्या. दरअसल 1 अक्टूबर को ईरान ने इजराइल पर पलटवार करते हुए उसपर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइल दागीं. बदले में 2 अक्टूबर को इजराइल ने लेबनान और सीरिया में हमला किया. स्ट्राइक लेबनान की राजधानी बेरूत और सीरिया की राजधानी दमिश्क में हुई. इजराइल के हमले में लेबनान में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. वहीं सीरिया के हमले में हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह के दामाद की मौत हुई.
अब जानते हैं कि इस तनाव में किसे किस मुस्लिम देश का साथ मिल रहा है.
सऊदी अरब: सऊदी अरब के इजराइल के साथ संबंध ना बहुत कड़वे हैं और ना ही बहुत मधुर. जहां एक तरफ वो इजराइल के हमले की निंदा करता है और युद्धविराम की अपील करता है तो वहीं वो उन देशों में भी शामिल है, जिसने अप्रैल में ईरान के हमले की योजना की जानकारी इजराइल को दी थी. सऊदी और ईरान मध्य पूर्व की मुख्य सुन्नी और शिया शक्तियां हैं. राजनयिक संबंध बहाल करने के लिए दोनों ने 2023 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
कतर: कतर इजराइल और हमास के बीच संघर्ष में मध्यस्थता में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. पिछले साल नवंबर में हमास द्वारा इजराइली बंधकों को रिहा करने के एक समझौते के बाद उसने जीत का स्वाद चखा था. हालांकि कतर ने मारे गए हमास नेता इस्माइल हानिया को भी शरण दिया था. ईरान के साथ उसके मधुर संबंध हैं, जो इजराइल को नापसंद है.
जॉर्डन: सऊदी अरब की तरह जॉर्डन भी बैलेंस नीति अपनाया हुआ है. जॉर्डन एक ओर गाजा को सहायता भेजता है तो दूसरी ओर वो इजराइल के साथ राजनयिक संबंध भी बनाए रखा है. इजराइल के साथ उसने 1994 में शांति संधि पर हस्ताक्षर किया था.
इजिप्ट: 1979 में ऐतिहासिक शांति संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से इजराइल और उसके पड़ोसी इजराइल के बीच संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. हालांकि इजिप्ट ने स्पष्ट रूप से किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है, लेकिन 6 मई की घटना के बाद से इजराइल के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं.
इस साल 6 मई को इजराइल के सैनिकों ने गाजा और इजिप्ट के बीच महत्वपूर्ण राफा सीमा पर नियंत्रण कर लिया था. मामला 27 मई को तब तूल पकड़ा जब इजराइल के साथ सीमा पर गोलीबारी की घटना में इजिप्ट का एक सैनिक मारा गया. तब से इजिप्ट ने अपनी सीमा को बंद कर रखा है.
सीरिया-इराक: ये दोनों देश एक समय क्षेत्रीय शक्तियां थीं. यहां पर ईरान समर्थित आतंकवादी गुटों का घर है. इनमें वो संगठन हैं जिन्होंने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर दर्जनों हमले किए हैं. इराक के कई गुटों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका इजराइल पर ईरानी हमलों का जवाब देता है या वो उसका जवाब देगा. उन्होंने कहा है कि वे इराक में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाएंगे.
तुर्की: तुर्की के इजराइल के साथ कभी मधुर संबंध थे. लेकिन हाल के वर्षों में राष्ट्रपति एर्दोगन इजराइल के मुखर आलोचक रहे हैं. गाजा युद्ध के बाद से तुर्की ने हमास के प्रति गर्मजोशी दिखाई है और कई घायल फिलिस्तीनियों को इलाज के लिए हवाई मार्ग से भेजा है. इस साल की शुरुआत में तुर्की और इजराइल के बीच तनाव भी बढ़ गया था, जब अंकारा ने मोसाद के 30 सदस्यों को गिरफ्तार करने का दावा किया था.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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