दुनियां – वो बड़ी वजहें जिस लिए हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल में घुसकर किया था अटैक – #INA
पिछले साल हमास ने 7 अक्टूबर को ऑपरेशन ‘अल-अक्सा फ्लड’ कर इजराइली एजेंसियों के साथ-साथ पश्चिमी देशों को भी चौंका दिया था. यहूदियों के सब्बात त्योहार के दिन हमास लड़ाके जमीन, आसमान और समुद्री रास्तों से इजराइल में घुसे और इजराइली सेना की गाजा डिवीजन को पीछे करते हुए, कई घंटों इजराइल की बस्तियों और एक आर्मी बेस पर अपना कब्जा जमाया.
इस ऑपरेशन की प्लानिंग इतने गुप्त तरीके से की गई थी कि हमास के अंदर भी बहुत ही कम लोगों को इसकी जानकारी थी. वहीं आरोप है कि इस हमले की आशंका से जुड़े इनपुट्स को इजराइल की आंतरिक सुरक्षा देखने वाली एजेंसी शिन बेट ने नजरअंदाज कर दिया था.
पूरे एक साल बाद फिर से हमास के इस हमले की चर्चा हो रही है. ये हमला अमेरिका से लेकर ब्रिटेन चुनावों तक प्रमुख मुद्दा बना रहा है, कई पश्चिमी नेताओं ने गाजा में मानवीय संकट को इस हमले की निंदा कर जस्टिफाई करने की कोशिश की है.
7 Oct 2023 में फेंस तोड़ इजराइल में घुसते गाजावासी/AFP
इस हमले के एक साल के साथ-साथ गाजा में इजराइली हमलों को भी एक साल हो रहा है, 7 अक्टूबर की बरसी पर अधिकतर पश्चिमी मीडिया की कवरेज हमास के हमले में हुई मौतों और बंधकों पर ही केंद्रित है. वहीं हमास और फिलिस्तीनी संगठनों के पक्ष पर बात कम ही हो रही है.
अंतर्राष्ट्रीय कानून हर देश को किसी भी सैन्य कब्जे से रोकता है, चाहे वह अस्थायी ही क्यों न हो. संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली के रेजोल्यूशन 37/43 इस बात की पुष्टि करता है कि कब्जे वाले शासन से आजादी और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को सशस्त्र संघर्ष (armed struggle) सहित सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करने का अधिकार है. हमास ने ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड को इजराइली कब्जे और फिलिस्तीनियों को उनके अधिकार से लगातार बेदखल कर, भड़काए गए सशस्त्र फिलिस्तीनी संघर्ष का हिस्सा बताया है.
नागरिकों की हत्या को सहीं नहीं ठहराया जा सकता है
भले ही हमास ने अपने बयान में अपने हमले को सही ठहराया है और ये भी कहा हो कि उसने अपने लड़ाकों को नागरिकों को न मारने और नुकसान न पहुंचाने के निर्देश दिए थे. लेकिन मारे गए हमास फाइटर्स के हेलमेट कैम से ली गई तस्वीरों में हकीकत कुछ और है. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार कमर आगा कहते हैं. “हमास के हमले का रीजन सही हो सकता है, लेकिन इसकी आड़ में आम नागरिकों की हत्याओं को जस्टिफाई नहीं किया जा सकता है. गाजा में इसके बाद इजराइल ने क्रूर कार्रवाई की हैं, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय पटल पर दिख रहा है और उसकी पूरी दुनिया में निंदा की जा रही है.”
इजराइल हमले के बाद विस्तापित हो रहे गाजावासी/Getty image
क्यों किया था हमास ने हमला?
इस साल के शुरुआत में हमास ने ‘Our Narrative’ शीर्षक से 15 पन्नों का एक स्टेटमेंट जारी किया था. जिसमें हमास ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा था कि ये जंग 7 अक्टूबर को हमारे हमले के बाद शुरू नहीं हुई, बल्कि 30 साल के ब्रिटेन के शासन और 75 सालों के इजराइली कब्जे में फिलिस्तीनियों के लगातार अधिकारों के हनन से शुरू हुई है.
गाजा ब्लॉकेड- हमास ने अपने ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड के पीछे के अहम कारणों में से एक कारण गाजा में 17 सालों से लगे इजराइली सीज को बताया है. साल 2007 से इजराइल ने गाजा के एयरस्पेस, समुद्री सीमा और जमीनी क्षेत्र पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. इस ब्लॉकेड के कारण गाजा वासियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
2007 के बाद इजराइल ने गाजा के चारों ओर फेंस लगाए हैं. /AFP
जिसकी वजह से कुछ लोग गाजा को world’s largest open-air prison (दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल) भी कहते हैं. गाजा के लोगों के लिए बाहरी दुनिया से जुड़ने, विदेशी मदद और व्यापार के लिए राफा क्रासिंग ही एकमात्र रास्ता है. जिसपर भी आंशिक तौर से इजराइल सेना का कंट्रोल है.
फिलिस्तीन मुद्दा और सऊदी अरब डील- हमास ने ये भी कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय 1967 की UN की ओर से तय की गई सीमाओं पर फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना करने में विफल रहा है. बयान में ये भी जानकारी दी गई है कि UN की ओर से इजराइल के खिलाफ पिछले 75 सालों में 500 रेजोल्यूशन पास किए गए हैं, जिन्हें इजराइल ने बार-बार खारिज किया है.
साथ ही पूर्व में फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाने वाले अरब देशों की इजराइल के साथ संबंध स्थापित कराने की अमेरिकी कोशिश ने भी इस ऑपरेशन के लिए मजबूर किया है. हमास ने 7 अक्टूबर का हमला कर ये दिखाने की कोशिश की है कि वे अकेले ही फिलिस्तीनी आवाज के लिए लड़ाई लड़ सकते हैं और मजबूत इजराइल जैसे राज्य को चोट पहुंचा सकता हैं.
2000 से 2023 तक इजराइली कार्रवाई- हमास के बयान में पिछले 23 सालों से जारी इजराइली कार्रवाई का भी जिक्र किया गया है, जिसमें 11,299 फिलिस्तीनियों की मौत और 156,768 घायल हुए हैं.
साथ ही कहा गया है कि 1967 के युद्ध के बाद इजराइली सेना ने फिलिस्तीन की 77 फीसद जमीन पर कब्जा कर लिया है. जिसमें वेस्ट बैंक और जेरूसलम के साथ-साथ अरब क्षेत्र भी शामिल हैं.
मार्च ऑफ रिटर्न 2018- इसके अलावा हमास ने अपने सशस्त्र संघर्ष करने के बारे में बताते हुए 2018 के गाजा वासियों के मार्च ऑफ रिटर्न का भी जिक्र किया है. 2018 में गाजा ब्लॉकेड के खिलाफ गाजा वासियों ने बड़ी तादाद में मार्च ऑफ रिटर्न शुरू किया था, इजराइली सेना ने इन विरोध प्रदर्शनों का क्रूर बल का इस्तेमाल कर कुचल दिया था.
मार्च ऑफ रिटर्न के दौरान झड़प की तस्वीर
इस कार्रवाई में 360 फिलिस्तीनी मारे गए थे और 19 हजार घायल हो गए थे, जिसमें 5 हजार से ज्यादा बच्चे शामिल थे.
हमले के बाद हमास को क्या मिला?
हमास के हमले के बाद गाजा पूरी तरह तबाह हो गया है और उसको फिर खड़ा होने में सालों नहीं दशकों लग सकते हैं. साथ ही हमास के मिलिट्री स्ट्रक्चर को भी इजराइल सेना ने तबाह कर दिया है. हमास के कई हाई रैंक कमांडर और नेता भी मारे गए हैं. लेकिन इस हमले के बाद से फिलिस्तीन को एक आजाद राज्य बनाने का मुद्दा फिर से केंद्र में आ गया है और इसके समर्थन में यूरोप के देशों में भी कई प्रदर्शन हुए हैं. अब ये तो समय बताएगा कि इतने बड़े पैमाने पर मौतों के बाद क्या फिलिस्तीन एक आजाद राष्ट्र बन पाता है या नहीं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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