दुनियां – PM मोदी के दो दौरे-तीन गुना कारोबार और इंडिया आउट, 2014 के बाद मालदीव से ऐसे रहे भारत के रिश्ते – #INA

मालदीव हमेशा से भारत के लिए खास रहा है, भारत की ‘नेबहरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ में भी मालदीव को काफी अहमियत दी जाती रही है. हिंद महासागर में बढ़ती आर्थिक और सैन्य गतिविधियों की होड़ के चलते यह भारत के लिए अहम रणनीतिक सहयोगी माना जाता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी बीते एक दशक में 2 बार मालदीव की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन तब वहां इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार थी.
सोलिह भारत के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर थे, उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते को तवज्जो देते हुए ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति अपनाई. लिहाजा एक दशक में दोनों देशों के रिश्ते और बेहतर हुए. लेकिन पिछले साल मालदीव में सितंबर-अक्टूबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू की जीत हुई, सत्ता में आते ही मुइज्जू ने भारत विरोधी कई फैसले लिए और चीन के बहकावे में आकर भारत को तीखे तेवर दिखाए. जिसके चलते दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव देखने को मिला.
भारत को लेकर मुइज्जू के बदले सुर
हालांकि भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के जरिए अब मुइज्जू समझ चुके हैं कि मालदीव के विकास के लिए भारत कितना अहम है. यही वजह है कि तुर्किए और चीन का चक्कर लगाने के बाद भारत को लेकर उनके सुर बदल चुके हैं. मुइज्जू, जिन्होंने ‘इंडिया आउट’ का एजेंडा भुना कर चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया था, वह करीब एक साल बाद भारत को एक अहम साझेदार बता रहे हैं. उन्होंने भारत की जमीन पर कदम रखते ही नई दिल्ली को गारंटी दी है कि उनका देश ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे भारत की सुरक्षा कमजोर हो.
जब भारत ने चलाया था ‘ऑपरेशन नीर’
दरअसल भारत ने अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ में हमेशा मालदीव को महत्व दिया है. 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण के करीब 6 महीने बाद ही दिसंबर में राजधानी माले में पीने के पानी का संकट पैदा हो गया. राजधानी के सबसे बड़े वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में आग लग गई थी, जिसके बाद मालदीव की विदेश मंत्री ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को फोन कर मदद मांगी. इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन नीर’ चलाया.
राजधानी माले के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को ठीक करने तक करीब एक लाख आबादी को हर रोज 100 टन पानी की जरूरत थी. ‘ऑपरेशन नीर’ के जरिए भारत ने संकट के शुरुआती 12 घंटे में ही 374 टन पानी माले पहुंचा दिया. जिसके बाद भारत सरकार ने समुद्री जहाजों के जरिए 2 हजार टन पानी मालदीव पहुंचाया.
पीएम मोदी का पहला मालदीव दौरा
हालांकि प्रधानमंत्री ने अपनी पहली मालदीव यात्रा कार्यभार संभालने के 4 साल बाद की. पीएम मोदी नवंबर 2018 को राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण पर पहुंचे थे. इसके बाद दोनों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस बैठक में राष्ट्रपति सोलिह ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और मिलकर काम करने की इच्छा जताई.
पीएम मोदी के मालदीव दौरे के ठीक एक महीने बाद दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति सोलिह ने भारत का द्विपक्षीय दौरा किया. इस दौरान भारत ने मालदीव के लिए 1.4 बिलियन डॉलर का वित्तीय सहायता पैकेज घोषित किया.
पीएम मोदी के कार्यकाल में तीन गुना कारोबार
इसके अलावा अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ ग्रहण के कुछ दिनों बाद पहला विदेश दौरा मालदीव का किया. वह जून 2019 में मालदीव के राजकीय दौरे पर पहुंचे. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम क्षेत्रों में सहयोग को लेकर MoU पर हस्ताक्षर हुए. दोनों देशों के बीच कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी.
राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह और पीएम मोदी की मुलाकात की तस्वीर. (IPIB/Anadolu via Getty Images)
इन प्रयासों और समझौतों का नतीजा यह रहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल संभालने के करीब एक दशक बाद दोनों देशों के बीच कारोबार करीब तीन गुना बढ़ गया. 2013 में जहां भारत-मालदीव के बीच 156.30 मिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था वहीं 2023 में यह बढ़कर 548.97 मिलियन डॉलर पहुंच गया. मालदीव कस्टम सर्विस के आंकड़ों के मुताबिक 2023 में भारत और मालदीव के बीच 543.83 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ वहीं 5.14 मिलियन डॉलर का आयात हुआ.
मुइज्जू सरकार में रिश्तों में उतार-चढ़ाव
लेकिन मुइज्जू सरकार की शुरुआती नीतियों ने दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित किया. मुइज्जू ने राष्ट्रपति चुनाव में ‘इंडिया आउट’ का एजेंडा चलाया तो वहीं राष्ट्रपति बनने के बाद पहला विदेश दौरा तुर्किए का किया. जबकि उनसे पहले मालदीव का नया राष्ट्रपति अपना पहला दौरा भारत का करता था. मुइज्जू ने साल 2019 में भारत और मालदीव के बीच समुद्री इलाके में सर्वे को लेकर हुए समझौते को खत्म कर दिया. जिससे उनकी भारत विरोधी और चीन परस्त छवि और मजबूत होती गई.
लेकिन रिश्तों में तल्खी तब बढ़ी जब उनकी सरकार की दो मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री को लेकर विवादित टिप्पणी की, विवाद बढ़ा तो राष्ट्रपति मुइज्जू ने दोनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया और उस बयान को शर्मनाक बताया. इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार देखा गया खासकर कुछ महीने पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर के मालदीव दौरे के बाद मुइज्जू के सुर भारत को लेकर बिलकुल बदल चुके हैं.
‘इंडिया आउट’ से ‘इंडिया फर्स्ट’ की राह पर मुइज्जू!
मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू समझ चुके हैं कि जिस तरह भारत हमेशा से मालदीव की मदद करता रहा है, उस तरह से कभी भी चीन उनका साथ नहीं देगा. भारत कई बार ये जता और बता चुका है कि मालदीव उसके लिए कितना अहम है, चाहे आर्थिक संकट हो या विकास के लिए सहयोग हो भारत ने हमेशा मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. मालदीव की ओर से उकसाने वाली बयानबाजी के बावजूद भारत सरकार ने सधे तरीके से इस मामले से निपटा और कूटनीतिक तरीके से मालदीव को एहसास दिलाया कि भारत का साथ उसके लिए कितना जरूरी है. लिहाजा मुइज्जू भी अब ‘इंडिया आउट’ से ‘इंडिया फर्स्ट’ के एजेंडे पर आने लगे हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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