दुनियां – इन देशों में सबसे लंबे समय तक जीते हैं लोग, भारत का नाम टॉप 10 में भी नहीं – #INA

एक स्टडी में सामने आया है कि लोगों की आयु दर की उम्मीद बहुत कम हो गई है. मेडिकल टेक्नोलॉजी एंड जैनेटिक रिसर्च में 100 साल की उम्र तक पहुंचने वाले लोगों की बड़ी संख्या का तो जिक्र ही नहीं किया गया है. यानी कुल मिलाकर जीवनकाल में अच्छा उछाल नहीं आ रहा है. रिसर्चर्स के मुतबाकि स्टडी में सामने आया है कि लंबे समय तक जिंदा रहने वाली आबादी वाले देशों के लोगों की उम्र में भी कमी हो रही है.
रिसर्चर्स ने कहा कि हमें यह पहचानना होगा कि एक लिमिट है कि कब रिटायर होना चाहिए. उन्हें अपनी जिंदगी जीने के लिए कितने पैसों की जरूरत होगी, इसके बारे में धारणाओं का फिर से मूल्यांकन करना होगा. इलिनोइस-शिकागो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एस. जे. ओलशान्स्की, जो इसके लीड ऑथर थे. उन्होंने कहा कि यह स्टडी सोमवार को नेचर एजिंग पत्रिका में पब्लिश हुई.
जीवन प्रत्याशा क्या है?
जीवन प्रत्याशा एक अंदाजा है कि किसी साल में जन्म लेने वाला बच्चा कितने सालों तक जिंदा रहने की उम्मीद कर सकता है, यह मानते हुए कि उस समय मृत्यु दर स्थिर रहती है. यह दुनिया के सबसे जरूरी हेल्थ उपायों में से एक है लेकिन यह अधूरा भी है. यह एक स्नैपशॉट अनुमान है जो घातक महामारी, चमत्कारिक इलाज या फिर और अलग अप्रत्याशित विकास का हिसाब नहीं दे सकता है जो लाखों लोगों को मार सकता है या बचा सकता है.
इन देशों में ज्यादा जीते हैं लोग
नए रिसर्च में ओल्शान्स्की और उनके रिसर्च पार्टनर ने साल 1990 से 2019 तक जीवन प्रत्याशा के अनुमानों को ट्रैक किया, जो मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च की ओर से प्रशासित डेटाबेस से लिया गया है. रिसर्चर्स ने दुनिया की आठ जगहों पर फोकस किया जहां लोग सबसे लंबे समय तक जिंदा रहते हैं. इनमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, हांगकांग, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, स्पेन और स्विट्जरलैंड जैसे देशों का नाम शामिल है.सबसे लंबे समय तक जीने वाले लोगों में अमेरिका टॉप 40 में भी नहीं है.
लंबे समय तक कौन जिंदा रहता है?
रिसर्च में पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा समय तक जिंदा रहती हैं और धीमी गति से ही सही लेकिन इनकी जीवन प्रत्याशा में सुधार अभी भी हो रहा है. 1990 में, सुधार की औसत मात्रा लगभग ढ़ाई साल हर दशक थी, जबकि 2010 के दशक में, यह डेढ़ साल थी और अमेरिका में यह जीरो थी. अमेरिका इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान देश है क्योंकि यह कई तरह के मुद्दों से ज्यादा प्रभावित होता है जो लोगों को बुढ़ापे से पहले ही मार देते हैं. जिनमें ज्यादा नशीली दवाईयां खाना, गोलीबारी, मोटापा और असमानताएं शामिल हैं.
अमेरिका की गिरती हालत
दक्षिणी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की जेरोन्टोलॉजी एक्सपर्ट एलीन क्रिमिन्स ने एक ईमेल में कहा कि वह स्टडी में सामने आई बातों से सहमत हैं. उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए पर्सनली सबसे अहम मुद्दा संयुक्त राज्य अमेरिका की निराशाजनक और गिरती हालत है. जीवन प्रत्याशा हमेशा के लिए क्यों नहीं बढ़ सकती है. स्टडी से पता चलता है कि ज्यादातर लोग कितने समय तक जीवित रहते हैं. इसकी एक लिमिट होती है, और हम इसे लगभग पूरा कर चुके हैं.
100 साल तक जीने वाले अमेरिकी
हम इन जीवन-विस्तारित टेक्नोलॉजी से कम से कम जिंदगी निचोड़ रहे हैं और इसकी यह वजह है कि उम्र बढ़ने में रुकावट आती है. यह सुनना नॉर्मल लग सकता है कि कोई व्यक्ति 100 साल तक जिंदा रहेगा. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने पिछले हफ्ते यह मील का पत्थर हासिल किया.ओल्शान्स्की ने कहा कि 2019 में, 2 प्रतिशत से कुछ ज्यादा अमेरिकियों ने इसे 100 तक पहुंचाया, जबकि जापान में लगभग 5 प्रतिशत और हांगकांग में 9 प्रतिशत था.
आने वाले समय में बढ़ेगी लोगों की उम्र
एक्सपर्ट्स का कहना है कि संभावना है कि आने वाले दशकों में 100 साल तक जीने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी लेकिन ऐसा जनसंख्या में बढ़ोतरी की वजह से है. ओल्शांस्की ने कहा कि 100 तक पहुंचने वाले लोगों का प्रतिशत लिमिटेड रहेगा. ज्यादातर देशों में 15 प्रतिशत से कम महिलाएं और 5 प्रतिशत पुरुष इसे इतने लंबे समय तक बना पाएंगे.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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