दुनियां – श्रीलंका-पाक के बाद कनाडा…भारत ने विदेश से कब-कब अपने उच्चायुक्त को बुलाया वापस? – #INA
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद भारत ने एक्शन लेते हुए उसके 6 राजनयिकों को निकाल दिया है. साथ ही कनाडा में रह रहे अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा को भी वापस बुला लिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के आरोपों को नकारते हुए कहा कि कनाडा में हमारे राजनयिकों की सुरक्षा को खतरा है, इसलिए हम उनको वापस भारत बुला रहे हैं.
ऐसे कदम आमतौर पर द्विपक्षीय संबंधों में तनाव, राजनीतिक अस्थिरता या किसी गंभीर मुद्दे के बाद उठाए जाते हैं. कनाडा ऐसा पहला देश नहीं है, जहां से भारत ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाया है. इससे पहले भी भारत नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाया है.
श्रीलंका में गृह युद्ध और भारत
1983 में श्रीलंका में गृह युद्ध छिड़ गया था. अलगाववादी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम और श्रीलंकाई सरकार के बीच छिड़ा युद्ध भारत के लिए भी चिंता का सबब बना था. देश में शांति स्थापित करने के लिए भारत ने 1987 में शांति सेना उत्तरी श्रीलंका में भेजी थी, लेकिन एलटीटीई के साथ युद्ध में उसके करीब 1,200 जवान मारे गए थे. इसके अलावा श्रीलंका के नेताओं द्वारा भारत पर कई आरोप भी लगाए गए. जिसके बाद भारत ने श्रीलंका से अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था.
नेपाल व्यापार विवाद
1989 में नेपाल के साथ भारत व्यापार विवाद में फंस गया था. दोनों देशों के संबंधों में तकरार तब पैदा हुई जब नेपाल ने अपने रुपये को भारतीय रुपये से अलग कर दिया, जो नेपाल में स्वतंत्र रूप से चल रहा था.
इसके अलावा यहां कि सरकार ने भारतीय कारोबारियों के लिए वर्क परमिट जारी करना शुरू किया. जिसके बाद भारत ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाया और नेपाल को पत्र लिखकर कहा कि लगभग तीस सालों से दोनों देशों के बीच फल-सब्जियों से लेकर दवाओं और पेट्रोलियम उत्पादों तक के आने-जाने को नियंत्रित करने वाली डील खत्म हो गई है. नेपाल को अब इनके लिए अपना इंतजाम करना होगा.
पुलवामा अटैक के बाद पाक से तकरार
फरवरी 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर एक आत्मघाती हमला हुआ था. जिसमें करीब 40 जवानों की जान चली गई थी. हमले के बाद पाकिस्तान से भारत के रिश्ते बिगड़ गए थे और भारत ने इस्लामाबाद से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था.
कौन होता है उच्चायुक्त?
राष्ट्रमंडल देशों में उच्चायुक्त किसी दूसरे राष्ट्रमंडल देश की सरकार के राजनयिक मिशन का वरिष्ठ राजनयिक प्रभारी होता है. राष्ट्रमंडल देशों के बीच के राजनयिक मिशनों को दूतावास के बजाय, आमतौर पर उच्चायोग कहा जाता है. हालांकि किसी उच्चायुक्त की भूमिका किसी राजदूत के समान ही होती है. राष्ट्रमंडल देशों में विदेश मंत्रालय के कार्यालय को उच्चायोग कहा जाता है. राजदूतों और उच्चायुक्तों का चयन भारतीय विदेश सेवा के रैंक से किया जाता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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