दुनियां – कौन है कनाडा का वो सिख, जिसे खुश करने में लगे हैं जस्टिन ट्रूडो? – #INA
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक तनाव चरम पर है. कनाडा ने बीते रविवार भारतीय डिप्लोमैट्स को केस में ‘पर्सन ऑफ इंट्रस्ट’ बताया था जिसके बाद भारत सरकार ने 6 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने का फैसला किया, ये सभी शनिवार की दोपहर तक भारत पहुंच जाएंगे.
भारत ने इस पूरे विवाद को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर बड़ा हमला बोला है. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को राजनीति से प्रेरित और वोट बैंक को साधने की कोशिश बताया है. माना जा रहा है कि खालिस्तान समर्थक वोट बैंक और NDP को साधने के लिए जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं.
कनाडा में बैकफुट पर ट्रूडो सरकार!
दरअसल कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं और जस्टिन ट्रूडो की सरकार कई मुद्दों को लेकर बैकफुट पर है. कनाडा में प्रो-खालिस्तानी पार्टी NDP के नेता जगमीत सिंह ने हाल ही में ट्रूडो सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. जिसके बाद ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई. कनाडा की संसद में ट्रूडो सरकार के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव भले ही फेल हो गया हो लेकिन आगामी चुनाव ट्रूडो के लिए मुश्किल साबित हो सकते हैं.
अपराधिक मामलों में डिप्लोमैट्स को निशाना बनाने की अलिखित परंपरा को तोड़ते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो यह उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें NDP नेता जगमीत सिंह का साथ मिलेगा. माना जा रहा है कि ट्रूडो अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए जगमीत सिंह की राजनीतिक विचारधारा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कनाडाई हिंदुओं को टारगेट करती है. दरअसल NDP का मानना है कि कनाडाई हिंदू, सिखों के साथ-साथ मुस्लिमों के भी विरोधी है.
कौन हैं जगमीत सिंह?
जगमीत सिंह कनाडा में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता हैं, उनकी पार्टी ने 5 सितंबर को ट्रूडो सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था. तब उन्होंने कहा था कि ट्रूडो सरकार ने लोगों को निराश किया है, जगमीत सिंह ने ट्रूडो को कमजोर और स्वार्थी भी बताया था. उनकी पार्टी 2021 से ट्रूडो सरकार को समर्थन दे रही थी.
जगमीत सिंह का जन्म पंजाब के बरनाला जिले में हुआ था, लेकिन 1993 में उनका परिवार कनाडा चला गया. वह खालिस्तान आंदोलन के समर्थक हैं और कई बार भारत विरोधी बयान भी दे चुके हैं.
अपने ताजा बयान में जगमीत सिंह ने भारत के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि, ‘निज्जर हत्याकांड के लिए मोदी सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.’
ट्रूडो के भारत विरोधी एजेंडा की ये वजह है?
कनाडा में 2021 में हुए चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, वहीं NDP 24 सीटों पर जीत दर्ज कर किंगमेकर की भूमिका में थी. ट्रूडो की लिबरल पार्टी बहुमत के आंकड़े से 14 सीटें दूर रह गई, लिहाजा मार्च 2022 में इन दोनों दलों के बीच एक समझौता हुआ जिसे सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस के नाम से जाता है, इसके तहत NDP ने वादा किया कि संसद अविश्वास प्रस्ताव आने पर वह ट्रूडो सरकार को बचाएगी.
ऐसे में माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले चुनाव में खालिस्तान समर्थक वोटबैंक और दलों को साधने के लिए जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में भी कहा है कि कनाडा ने बार-बार मांगने पर भी भारत के सामने सबूत उपलब्ध नहीं कराए हैं. कनाडा की ओर से लगाए जाने वाले आरोप वोट बैंक की राजनीतिक का हिस्सा मालूम पड़ते हैं.
सितंबर 2023 से शुरू हुआ विवाद
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में भारत पर निज्जर हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगाया था, इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं. वहीं रविवार को कनाडा के दावे के बाद एक बार फिर ये मामला बढ़ गया है. दोनों देशों की ओर से डिप्लोमैटिक संबंध कम कर दिए गए हैं. भारत ने कड़ा रुख दिखाते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को शनिवार तक भारत छोड़ने को कहा है. इसके बाद जहां कनाडा में भारतीय डिप्लोमैट्स की संख्या 9 रह जाएगी तो वहीं भारत में कनाडा के 15 डिप्लोमैट्स होंगे. इस पूरे विवाद से पहले ओटावा में जहां भारत के 12 डिप्लोमैट्स होते थे तो वहीं दिल्ली में कनाडा 62 डिप्लोमैट्स थे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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