दुनियां – क्यों खालिस्तानी निज्जर को लेकर भारत से रिश्ते बिगाड़ने में लगे ट्रूडो? – #INA
आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर पिछले साल जो विवाद शुरू हुआ था, वह अब उच्चायुक्त को देश से बाहर करने तक जा पहुंचा है. कनाडा के पीएम ने भारत के खिलाफ जो बयान दिया है, भारत ने भी उसका करारा जवाब दिया. संजय कुमार वर्मा कनाडा में भारत के उच्चायुक्त हैं और भारत सरकार ने कनाडा से इन्हें वापस बुलाने का फैसला ले लिया. इसकी नौबत इसलिए आई, क्योंकि कनाडा के पीएम भारत के खिलाफ झूठा प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं.
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत पर ना सिर्फ बेबुनियाद इल्जाम लगा रहे हैं बल्कि दुनिया को गुमराह कर रहे हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब देते हुए कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने अपनी प्रेस कान्फ्रेंस में वही पुराना राग अलापा है, लेकिन अभी तक कनाडा ने भारत को लेकर जो आरोप लगाए हैं उसके कोई सबूत नहीं दिए हैं. असल में दोनों मुल्कों में विवाद की शुरुआत पिछले साल सितंबर महीने में हुई, जब कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई. कनाडा की सरकार ने भारत पर हत्या में शामिल होने का इल्जाम लगा दिया.
कनाडा की पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें उसने लॉरेंस बिश्नोई गैंग का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यह गैंग भारत सरकार के इशारे पर कनाडा में हत्याओं को अंजाम दे रहा है. असल में कहानी यह है कि कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं और वहां पर बड़ी संख्या में सिख वोटर हैं, जो ट्रूडो के समर्थक हैं. इसी वोट बैंक के लालच में ट्रूडो ने भारत पर गलत आरोप लगाकर संबंध खराब किए हैं.
क्या है जस्टिन ट्रूडो की मजबूरी?
338 सीट वाली कनाडा के हाउस ऑफ कॉमंस में ट्रूडो की पार्टी के पास 153 सदस्य हैं. 25 सदस्यों वाली एनडीपी के समर्थन से ट्रूडो ने अपनी सरकार बनाई. एनडीपी के प्रमुख जगमीत सिंह कनाडा में पंजाबी यूथ के नेता हैं. उन्होंने पिछले दिनों समर्थन वापस लिया तो सरकार गिरने का खतरा हो गया. सदन में अविश्वास प्रस्ताव आने पर जगमीत ने ट्रूडो का साथ देकर सरकार बचा ली. अब अगले साल कनाडा में चुनाव होने हैं, तब तक ट्रूडो सत्ता में बने रहना चाहते हैं. इसके साथ ही अगर सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करती है, जो जगमीत समेत एनडीपी के सभी सदस्य ताउम्र पेंशन के हकदार हो जाएंगे. ऐसे में ट्रूडो सरकार नहीं गवाना चाहती और जगमीत पेंशन. सिख वोटों की चाहत ट्रूडो और जगमीत दोनों को ही है, लिहाजा भारत पर आरोप लगाकर अपने वोट बैंक को वहां पर सुरक्षित रखना चाहते हैं.
कनाडा की कुल आबादी में 4 फीसद भारतीय हैं, जिसमें सिखों की आबादी करीब 2.1 फीसदी है. भारतीय मूल के करीब 29 लाख लोग वहां पर रहते हैं, जिसमें से सिख समुदाय के 770000 नागरिक हैं. भारत के बाद कनाडा में सबसे ज्यादा सिख हैं. अमेरिका, यूएई और मलेशिया के बाद सबसे ज्यादा भारतीय वहां पर हैं. जस्टिन ट्रूडो और जगमीत बेशक सियासी फायदा ले रहे हैं, लेकिन राजनयिक रिश्ते खराब होते हैं तो भारत और कनाडा आने जाने वाले लोगों को दिक्कत होना लाजमी है. वीजा के नियम बदलते हैं, फिर इमीग्रेशन रूल्स चेंज होते हैं तो समस्या आम आदमी को होनी है. दोनों देशों के दूतावास में काम करने वाला स्टाफ कम होगा तो जनता की लाइन लंबी होगी, लंबा इंतजार करना होगा.
कौन है हरदीप सिंह निज्जर?
जिस हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा हंगामा मचा रहा है, वो पंजाब के जालंधर का रहने वाला था. पंजाब में जब आतंकवाद का दौर था, तब वह खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़ा हुआ था. भारत से भागकर वह कनाडा जाकर बस गया, लेकिन भारत विरोधी साजिशें वहीं से रचता रहा. 2020 में भारत सरकार ने निज्जर को आतंकी घोषित किया. 2022 में 10 लाख का इनाम तक रखा. पिछले साल हत्या के बाद कनाडा पुलिस ने जांच शुरू की तो अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार चारों आरोपी भारतीय हैं और कनाडा इन्हीं के जरिए भारत पर आरोप लगाता है, लेकिन कोर्ट में आज तक भारत के खिलाफ वहां की पुलिस सबूत नहीं दे पाई.
कनाडा पुलिस कोर्ट में यह तक नहीं बता पाई कि गोली चलाने के लिए शूटर के पास हथियार कहां से आए, पैसा किसने और कितना दिया. हत्या के पीछे मकसद क्या था, अगर कनाडा की पुलिस और वहां की सरकार के पास सबूत है तो फिर वह अदालत, मीडिया या फिर भारत की सरकार की सामने क्यों नहीं रखती.
किसका ज्यादा नुकसान?
भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों का असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. 2022-23 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत और कनाडा के बीच लगभग 70000 करोड़ का कारोबार होता है, इनमें से करीब 40000 करोड़ के प्रोडक्ट भारत इंपोर्ट करता है, वहीं लगभग 30000 करोड़ के प्रोडक्ट कनाडा को एक्सपोर्ट करता है. दोनों देशों के बीच ज्वेलरी, दवाएं, रेडीमेड कपड़े, केमिकल, स्टील, आयरन इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स और कागज का व्यापार होता है. कनाडा की छोटी-बड़ी 600 से अधिक कंपनियों ने भारत में अलग-अलग सेक्टर्स में 30000 करोड़ का निवेश कर रखा है. वहीं भारत की 30 से अधिक कंपनियों ने कनाडा में 40000 करोड़ से ज्यादा का निवेश कर रखा है और भारतीय कंपनियों में कनाडा के 17000 से ज्यादा लोगों को नौकरी मिली हुई है.
कनाडा की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान वहां पढ़ने वाले विदेशी छात्रों का भी है. कनाडा में हर साल करीब 8 लाख विदेशी छात्र पढ़ने के लिए पहुंचते हैं, जिनमें भारतीय छात्रों की संख्या 320000 से ज्यादा है. विदेशी छात्रों से कनाडा को हर साल तकरीबन 1 लाख 90 हजार करोड़ की कमाई होती है, जिसमें भारतीय छात्रों की हिस्सेदार 75000 हजार करोड़ रुपये की है. अब अगर भारत और कनाडा के बीच रिश्ते बिगड़े और दोनों देशों के बीच कारोबार बंद हुआ तो कनाडा को लाखों करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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