दुनियां – रूस-यूक्रेन युद्ध: किम ने जंग लड़ने के लिए भेजे थे सैनिक…बॉर्डर से डरकर भागे! – #INA

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को कुछ ही महीनों में 3 साल हो जाएंगे, इस बीच यूक्रेन और दक्षिण कोरिया ने आरोप लगाया है कि रूस की मदद के लिए नॉर्थ कोरिया ने अपने सैनिक भेजे हैं.
मंगलवार को कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट में एक पश्चिमी डिप्लोमैट के हवाले से दावा किया गया है कि नॉर्थ कोरिया ने रूस की मदद के लिए 10 हजार सैनिक भेजे हैं.
नॉर्थ कोरिया के 18 सैनिक भाग गए
इससे पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रूस 3 हजार नॉर्थ कोरियन नागरिकों को स्पेशल बटालियन में शामिल कर रहा है. यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए रूस ने एक ‘बरयात’ बटालियन बनाई है, जिसमें इन नॉर्थ कोरियन नागरिकों को शामिल किया गया है.
वहीं ताजा खुफिया जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन बॉर्डर से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर बरयांस्क और कुर्स्क रीजन में तैनात 18 नॉर्थ कोरियन सैनिक अपनी पोस्ट से भाग गए हैं. हालांकि इनके भागने की वजह का फिलहाल पता नहीं चल पाया है, लेकिन रूसी सेना इन 18 सैनिकों की तलाश में सर्च अभियान चला रही है. रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि रूसी सैनिक इस घटना को टॉप कमांडर्स से छिपाने की भी कोशिश कर रहे हैं.
वेस्टर्न इंटेलीजेंस की रिपोर्ट में बड़ा दावा
इससे पहले 14 अक्टूबर को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने खुफिया रिपोर्ट्स के हवाले से आरोप लगाया था कि नॉर्थ कोरिया, रूस को न केवल हथियार दे रहा है बल्कि किम जोंग उन ने जंग लड़ने के लिए सैनिक भी भेजे हैं.
दरअसल जेलेंस्की ने जिस रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया था उसके अनुसार 3 अक्टूबर को दोनेत्स्क के करीब हुए एक मिसाइल हमले में 20 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे, इनमें 6 नॉर्थ कोरिया के जवान थे. बता दें कि फरवरी 2022 से शुरू हुई इस जंग में नॉर्थ कोरिया, रूस को हथियार करने वाले प्रमुख देशों में से एक है.
पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक रूस अपनी सालाना जरूरत के करीब 50 फीसदी सैन्य हथियारों के लिए नॉर्थ कोरिया पर निर्भर है. जो कि दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य गठजोड़ को दिखाता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस और नॉर्थ कोरिया के इस गठबंधन पर चिंता जताते हुए पश्चिमी देशों से मजबूत जवाब देने की अपील की थी.
जेलेंस्की की मांग पर बनेगी बात?
जेलेंस्की लगातार अमेरिका और अन्य सहयोगियों से मांग कर रहे हैं कि उन्हें रूस में लंबी दूरी क्षमता की मिसाइलों से मॉस्को के सैन्य ठिकानों पर हमले की मंजूरी दी जाए, जिससे रूस को मजबूर कर बातचीत की टेबल पर लाया जा सके, हालांकि अमेरिका और सहयोगियों ने इस पर फिलहाल सहमति नहीं जताई है. माना जा रहा है कि 18 अक्टूबर को बाइडेन के जर्मनी दौरे का मुख्य एजेंडा रूस-यूक्रेन युद्ध ही रहने वाला है. जेलेंस्की को उम्मीद है कि अमेरिका और उनके बाकी सहयोगी रूस के खिलाफ कोई निर्णायक फैसला कर सकते हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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