दुनियां – बांग्लादेश: SC ने न्यायिक कदाचार की जांच करने की शक्ति ज्यूडिशियल परिषद को सौंपी, पहले संसद के पास था अधिकार – #INA
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सर्वोच्च न्यायिक परिषद को न्यायिक कदाचार के आरोपों की जांच करने के अधिकार को बहाल कर दिया. शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही अपने उस पिछले फैसले को भी बरकरार रखा, जिसमें 16वें संविधान संशोधन को ‘अवैध’ घोषित किया गया था. इसके तहत न्यायाधीशों को हटाने का अधिकार संसद को हस्तांतरित किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के वकील रूहुल कुद्दुस ने शीर्ष अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘यह आदेश चीफ जस्टिस सैयद रेफात अहमद के नेतृत्व वाली अपीलीय प्रभाग की 6 सदस्यीय पीठ द्वारा पारित किया गया.’सुनवाई में मौजूद कुद्दुस ने कहा कि इस फैसले ने मूल संवैधानिक प्रावधानों को मजबूत किया है.
16वें संवैधानिक संशोधन 2014 में पारित हुआ था
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मतलब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल के दौरान पारित 16वें संवैधानिक संशोधन को रद्द करना भी है. जिसके तहत न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने का कार्य सुप्रीम कोर्ट के जजों वाली सर्वोच्च न्यायिक परिषद के बजाय संसद को सौंप दिया गया था.
सोलहवां संशोधन जनवरी 2014 में पारित किया गया, जिसने सर्वोच्च न्यायिक परिषद को जजों को अक्षमता या कदाचार के लिए हटाने के उसके अधिकार से वंचित कर दिया. हालांकि मई 2016 में हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 16वें संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसे सरकार ने जनवरी 2017 में चुनौती दी.
तत्कालीन चीफ जस्टिस को देना पड़ा था इस्तीफा
तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेंद्र कुमार सिन्हा के नेतृत्व वाली 7 जजों की खंडपीठ ने जुलाई 2017 में हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें 16वें संविधान संशोधन को अवैध घोषित किया गया था. फैसले के बाद, तत्कालीन हसीना सरकार ने शीर्ष अदालत से फैसले की समीक्षा करने के लिए एक याचिका दायर की, जिसका निस्तारण शीर्ष अदालत के रविवार के फैसले के साथ हुआ.
इस मामले पर 2017 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सिन्हा का तत्कालीन सरकार के साथ परोक्ष तौर पर टकराव हो गया, जिसके कारण उन्हें विदेश में रहते हुए अपने पद से जबरन इस्तीफा देना पड़ा और तब से वे बांग्लादेश से बाहर ही हैं.
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छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन की वजह से शेख हसीना के लगभग 15 साल के शासन का अंत हो गया और उन्हें पांच अगस्त को देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार की भूमिका संभाली.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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