दुनियां – अमेरिका में ट्रंप बने राष्ट्रपति तो बढ़ेगी सऊदी की बेचैनी, क्राउन प्रिंस के मंसूबों पर फिर सकता है पानी – #INA
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में दो हफ्तों का समय बचा है और इस चुनाव पर सबकी नजर बनी हुई है. इस समय दुनिया के दो हिस्सों में जंग चल रही है, इन दोनों जंगों में अमेरिका की खास भूमिका है. मध्य पूर्व में जारी गाजा जंग का असर पूरे क्षेत्र पर हो रहा है और इससे सऊदी अरब भी अछूता नहीं रहा है.
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बाइडेन प्रशासन के साथ अच्छे संबंध है और वो अमेरिकी चुनाव पर नजरें गढ़ाए हुए हैं. ट्रंप के साथ भी उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं, लेकिन वे ट्रम्प की अनिश्चितताओं से भी वाकिफ हैं.
सऊदी का कायापलट के लिए चलाई जा रही अपने नीतियों के लिए वह कोई रिक्स लेना नहीं चाहते हैं. जानकार मानते हैं कि ट्रंप के वापस सत्ता में आने से क्राउन प्रिंस की मुसीबत बढ़ सकती है. खासकर ऐसे समय में, जब मध्य पूर्व में स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ी हुई हैं.
AFP न्यूज एजेंसी से इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की दीना एस्फैंडियरी ने कहा, “MBS के संबंध राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अच्छे हैं और वे 5 नवंबर को उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की जीत के साथ उन्हें आगे बढ़ा सकते हैं. क्योंकि कमला क्राउन प्रिंस के प्रति कम आलोचनात्मक और ज्यादा सहायक होंगी. लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने से चिंता है कि वह कुछ ऐसी चीजें कर सकते हैं जो अनपेक्षित हो सकती हैं.”
क्यों है ट्रंप से खतरा?
2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपना पहला दौरा सऊदी अरब का किया था. मध्य पूर्व में ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान ईरान को लेकर दो बड़े कदम उठाए पहला 2015 की न्यूक्लियर डील को रद्द किया, दूसरा 2020 में IRGC चीफ कासिम सुलेमानी की हत्या का ऑर्डर दिया. ईरान को लेकर बाइडेन के मुकाबले ट्रंप का रुख काफी सख्त रहा है.
पिछले साल चीन की मध्यस्थता में सऊदी अरब ने ईरान और हूती के साथ डील कर रिश्तों को बहाल किया है. MBS इस समय अपने विजन 2030 जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स के चलते देश को किसी भी विवाद से दूर रखना चाहते हैं. अगर ट्रंप वापस से सत्ता में आते हैं, तो वह क्राउन प्रिंस पर ईरान के लिए दबाव बना सकते हैं.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन मिडिल ईस्ट के रिसर्चर अजीज अल्घाशियन AFP से कहा, “डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों सऊदी अरब के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं.” उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो ईरान के मामले में चीजें जटिल हो जाएंगी.”
फिर भी, सऊदी अरब और ट्रंप की टीम ने चुनाव से पहले अपने संबंधों को मजबूत किया है. ट्रंप के दौर के दिग्गज रियाद में शानदार निवेश सम्मेलनों में भाग लेते हैं और सऊदी अरब ने ट्रंप के दामाद की कंपनी में 2 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है.
कमला की जीत से होगा फायदा!
पिछले चार सालों में सऊदी क्राउन प्रिंस और डेमोक्रेट नेता बाइडेन ने आपस में रिश्ते मजबूत किए हैं. अमेरिका और सऊदी अरब व्यापार, सुरक्षा और तकनीक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका के साथ सऊदी के कई और समझौते लाइन में हैं- जिसमें न्यूक्लियर डील, इजराइल समझौता, सुरक्षा समझौता आदि. विजन 2030 और अन्य योजनाओं के संवेदनशील दौर में होने की वजह से वह किसी भी नई लीडरशिप के आने से पैदा होने वाली अप्रत्याशित स्थिति को नहीं झेल सकते हैं. इसलिए क्राउन प्रिंस चाहेंगे कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति भी डेमोक्रेट बने.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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