दुनियां – कमला या ट्रंप…अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बड़े मीडिया हाउस किसका समर्थन कर रहे, क्यों कुछ अखबार विवादों में? – #INA

डोनाल्ड ट्रंप जीत रहे हैं या कमला हैरिस? अमेरिकी ही नहीं दुनिया इस सवाल का जवाब जान लेना चाहती है. अमेरिकी आवाम अगले मंगलवार, 5 नवंबर को इसका फैसला करेगी. अधिकतर सर्वे दोनों दावेदारों में कांटे की टक्कर का इशारा कर रहे हैं. इस सूरत-ए-हाल में राजनीतिक दलों की कोशिशों के अलावा दूसरे इदारों खासकर मीडिया का किरदार अहम हो जाता है. उनका किसी एक उम्मीदवार को खुलकर समर्थन करना चुनाव की दशा और दिशा तय कर सकता है.
अपनी पसंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने का अमेरिकी मीडिया का इतिहास काफी रोचक और पुराना है. चाहे वो 1860 के राष्ट्रपति चुनाव में शिकागो ट्रिब्यून का अब्राहम लिंकन को समर्थन करना हो या फिर भीषण मंदी के दौरान 1932 में द न्यूयॉर्क टाइम्स का फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के पक्ष में वोट की अपील. दिन-ब-दिन ट्रंप की तरफ झुकते जा रहे चुनाव में मीडिया समूहों की ये अपील उन मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है जो अब भी किसे वोट करना है, इसे लेकर स्पष्ट नहीं हैं.
चुनाव से हफ्ते भर पहले अमेरिका के दिग्गज अखबारों और मीडिया समूहों का रूख क्या है, क्यों कुछ की तटस्थता का विरोध हो रहा है, एक नजर.
ज्यादातर मीडिया का कमला को समर्थन
इस राष्ट्रपति चुनाव में अब तक करीब 80 मीडिया समूह ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को जबकि 10 से कुछ कम ने डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन करने की अपील की है. यानी ज्यादातर अमेरिकी और उदार लोकतंत्र की झंडाबरदार समझी जाने वाली मीडिया कमला हैरिस को अपना अगला राष्ट्रपति बनते हुए देखना चाहती है.
कमला हैरिस को समर्थन देने वाले कौन?
राष्ट्रपति के लिए कमला हैरिस के नाम की हिमायत करने वाले 80 मीडिया समहू में द न्यूयॉर्क टाइम्स, द न्यू यॉर्कर जैसे बड़े अखबार और पत्रिका समूहों का नाम है. इनके अलावा बोस्ट ग्लोब, सिएटल टाइम्स, डेनवेर पोस्ट, लॉस एंजिलिस सेंटिनेल, सैन एंटोनिया एक्सप्रेस भी कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाने को लेकर संपादकीय लिख चुके हैं.
अमेरिकी मीडिया से इतर ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने भी लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हैरिस को वोट देने की अपील की है. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस का समर्थन करते हुए उन्हें इस चुनाव में इकलौता देशभक्त उम्मीदवार कहा है. साथ ही, एनवाईटी ने ट्रंप को राष्ट्रपति पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं माना है.
डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन देने वाले कौन?
ये ठीक बात है कि अमेरिका की ज्यादातर मीडिया में डोनाल्ड ट्रंप को लेकर कोई खास उत्साह का माहौल नहीं है. लेकिन कुछ कंजरवेटिव प्रकाशकों और मीडिया समूह ने जरूर खुलकर ट्रंप को समर्थन करने की अपील की है. इनमें न्यूयॉर्क पोस्ट, वाशिंगटन टाइम्स और लास वेगास रिव्यू जनरल जैसे समाचार संस्थान प्रमुख हैं.
कुछ अखबारों के रुख पर क्यों विवाद?
यहीं ये भी गौर किया जाना चाहिए कि इस चुनाव में शायद कई दशक के बाद ऐसा हो रहा है कि कुछ प्रतिष्ठित मीडिया समूह किसी भी उम्मीदवार को समर्थन देने से गुरेज कर रहे हैं. द वाशिंगटन पोस्ट और लॉस एंजिलिस टाइम्स जैसे अखबारों के इस रूख ने कि वे इस किसी का भी समर्थन नहीं करेंगे, बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
पिछले कुछ दशकों के दौरान अमेरिकी मीडिया के भीतर का विभाजन (ध्रुवीकरण) खुलकर सामने आया है. इस दफा भी उम्मीदवारों के चयन में प्रमुख मीडिया समूहों ने पुरानी परिपाटी को बरकरार रखा है. चौंकाने वाली बात बस ये है कि ऐतिहासिक तौर पर किसी न किसी को समर्थन करने वाले मीडिया समूह इस चुनाव में तटस्थ होने की बात कर रहे हैं.
लॉस एंजिलिस टाइम्स, द वाशिंगटन पोस्ट जैसे मीडिया समूह, जिनकी लंबी-चौड़ी विरासत है, जो लोकतंत्र का खुद को पहरेदार बताते हैं, वे इस चुनाव में किसी एक उम्मीदवार का समर्थन करने से बच रहे हैं. इसका एक अर्थ यह निकाला जा रहा है कि ये समूह ऐसी किसी भी टकराव की स्थिति से बच रहे हैं जो ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद हो सकती है.
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने पहले के चुनावों में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन और जो बाइडेन का समर्थन किया है. लेकिन इस बार अखबार के तटस्थ रूख की आलोचना हो रही है. अखबार के एडिटोरियल बोर्ड की मुखिया मैरियल ग्राजा ने इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि ये फैसला अखबार के मूल्यों के साथ मेल नहीं खाता.
इसी तरह, 40 साल बाद वाशिंगटन पोस्ट का किसी भी उम्मीदवार को समर्थन न करने के फैसले की अखबार के भीतर और बाहर, दोनों ही जगह कड़ी आलोचना हो रही है. अखबार के इस फैसले के बाद वाशिंगटन पोस्ट के बड़े संपादक रॉबर्ट कागन ने इस्तीफा दे दिया. साथ ही, 11 स्तंभकारों ने एक लेख लिखा और फैसले की निंदा की.
जबकि वाशिंगटन पोस्ट के प्रकाशकों का कहना है कि ये रूख कोई अनोखा नहीं है. 1976 से पहले तलक अखबार नियमित तौर पर राष्ट्रपति चुनाव में किसी का समर्थन नहीं करता था. जिम्मी कार्टर के वक्त ये शुरू हुआ और अखबार फिर से अपनी पुरानी परिपाटी पर लौट रहा है.
द वाशिंगटन पोस्ट का ये तर्क उन लोगों के गले नहीं उतर रहा है, जिनका मानना है कि अखबार अपने ध्येय वाक्य – Democracy Dies in Darkness (अंधरे में लोकतंत्र दम तोड़ देता है) से उलट अपने व्यापारिक हितों के मद्देनजर ऐसे फैसले ले रहा है. द वाशिंगटन पोस्ट के मालिक जेफ बेजोस हैं, जो ई-कॉमर्स अमेजन के भी संस्थापक हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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