दुनियां – बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर भड़के BNP नेता, बोले-’20 साल तक सत्ता में बने रहना चाहते हैं यूनुस’ – #INA

बांग्लादेश के मुख्य विपक्षी दर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता ने मोहम्मद यूनुस सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने अंतरिम सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उनकी मंशा लंबे समय तक सत्ता में पकड़ बनाए रखने की है, जिसके चलते वह विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की पहल में देरी कर रहे हैं.
ढाका रिपोर्टर्स यूनिटी (DRU) में चर्चा के दौरान BNP लीडर मेजर (रिटा.) हफीजुद्दीन अहमद ने आरोप लगाया है कि अंतरिम सरकार ने कई ऐसे लोगों को सलाहकार परिषद में शामिल कर लिया है, जिनका जुड़ा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग से है.
‘सत्ता में बने रहना चाहते हैं यूनुस’
BNP लीडर ने आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में अंतरिम सरकार का गठन किया गया था, इस सरकार का मुख्य कार्य निष्पक्ष चुनाव करवाकर चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों सत्ता सौंपना था, लेकिन ऐसा लगता है कि वह अगले 20 सालों तक सत्ता में बने रहना चाहते हैं.’
देश में कोई सुधार नहीं हो रहा- BNP नेता
उन्होंने मोहम्मद यूनुस की सरकार से जल्द से जल्द इलेक्टोरल प्रक्रिया में सुधार को पूरा कर राष्ट्रीय चुनाव कराने की अपील की है. उन्होंने कहा कि बाकी के सुधार चुनी हुई सरकार कर लेगी. अंतरिम सरकार पर भड़के बीएनपी लीडर ने कहा कि, ‘मुझे कहीं कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. बल्कि अंतरिम सरकार के सलाहकार परिषद में अवामी लीग के समर्थकों को शामिल होते हुए देखा जा रहा है.
ALP और शे हसीना पर भी बोला हमला
7 नवंबर 1975 को शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर तख्तापलट कर दिया था. इसे राष्ट्रीय क्रांति और एकता दिवस के तौर पर मनाते हुए जातीयवादी मुक्तियोद्धा दल ने कार्यक्रम का आयोजन कराया था. जहां बीएमपी लीडर हफीज ने कहा कि शेख हसीना के नेतृत्व में अवामी दल ने फासीवादी सरकार चलाई और पुलिस तंत्र समेत देश के सभी संस्थानों को बर्बाद कर दिया. उन्होंने कहा कि अवामी लीग की सरकार ने पुलिस को हत्यारों में बदल दिया था.
BNP ने शुरू किया था आंदोलन- हफीज
उन्होंने कहा कि शेख हसीना सरकार ने लोगों की आवाज दबाने के लिए डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट जैसे खतरनाक कानून का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों के आंदोलन ने शेख हसीना सरकार के शासन को हिलाकर रख दिया. और अंतिम चरण में छात्र और उनके परिजन इस आंदोलन का हिस्सा बने, जिसके चलते शेख हसीना को सिर्फ एक कपड़े में देश छोड़कर भागना पड़ा. वह अपने साथ दूसरी साड़ी तक नहीं ले जा पाईं फिर भी उन्हें कोई अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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