दुनियां – इराक में 9 साल की उम्र में हो जाएगी लड़कियों की शादी! दुनिया के बाकी इस्लामिक मुल्कों में क्या है नियम? – #INA

सोचिए अचानक आपको दिखे एक 9 साल की लड़की बैग लेकर स्कूल जा रही है, वो खेलने, पढ़ने, दोस्तों के साथ मस्ती करने के लिए उत्साहित है. क्या आपके दिमाग में तब ये आएगा कि किसी देश में, उसी उम्र की एक बच्ची को शादी के बंधन में बांध दिया जाएगा? यह सोचकर हिचक हो सकती है, लेकिन इराक इस बात को जल्द कानूनी रूप से हकीकत में बदलने वाला है.
इराक अपनी विवाह कानूनों में एक ऐसा संशोधन करने जा रहा है जिसके तहत पुरुषों को 9 साल की लड़कियों से शादी करने की अनुमति मिल जाएगी, यह कानून न सिर्फ शादी की उम्र को कम करेगा बल्कि महिलाओं के तलाक, बच्चों की देखभाल और संपत्ति के अधिकारों पर भी रोक लगाएगा. इस कदम से इराक 65 साल पीछे जा सकता है.
इराक की सरकार देश में विवाह कानून में संशोधन करने जा रही है. ड्राफ्ट बिल तैयार हो गया है. संशोधन विधेयक के तहत लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 18 वर्ष से घटाकर 9 साल कर दिया जाएगा.
विवाह कानून में बदलाव क्यों करना चाहता है इराक?
सवाल ये उठता है बदलते समय के साथ जहां बाकी देश, खासकर इस्लामिक देश वक्त के साथ आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे हैं, इराक उल्टे कदम क्यों चलना चाहता है? इराक में विवाह कानून में बदलाव की असली मंशा में धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक जैसे कारण शामिल हैं.
धार्मिक प्रभाव कारणों की बात करें तो इराक की शिया पार्टियों की गठबंधन सरकार इस्लामी शरिया कानून के मुताबिक शादी के नियमों को लागू करना चाहती है, और ऐसा करने के लिए वो पहले भी कई बार कोशिश कर चुका है. उनका कहना है कि ये बदलाव इस्लामिक सिद्धांतों को बढ़ावा देगा और लड़कियों को अनैतिक संबंधों से बचाने के लिए जरूरी है.
इराक सरकार कहती है कि विचारधारा के अनुसार, लड़कियों के जल्द विवाह को उनके लिए सम्मानजनक और सुरक्षित माना जाता है. दरअसल इराक में कई ऐसे धार्मिक नेता और कट्टरपंथी संगठन हैं जो मानते हैं कि इस्लामी कानून का पालन का करने से समाज में नैतिकता और परंपरा की रक्षा होती है. और इनका साथ देने के लिए राजनीतिक पार्टियां भी मजबूर हैं, क्योंकि इनका समर्थन सरकार को बहुत जरूरी होता है.
इराक में बाल विवाह दर पहले से ही बहुत ज्यादा है. इराक में बाल विवाह के सबसे अधिक मामले ग्रामीणों और गरीब परिवारों से आ रहे हैं, जहां परिवार लड़कियों की जिम्मेदारी ज्यादा वक्त तक उठाना नहीं चाहती और शादी करा दी जाती है.
इराक में बाल विवाह का प्रचलन पहले भी था, लेकिन बदलते वक्त के साथ कई कानून बनें और साथ-साथ में बदलाव भी होते रहे. आइए जानते की इराक में विवाह को लेकर कानून का इतिहास क्या रहा है.
इराक में विवाह कानून का इतिहास जानिए
ऑटोमन साम्राज्य का समय (16वीं सदी – 1918): 1534 से लेकर 1918 तक, इराक ओटोमन साम्राज्य के अधीन था, जिसमें इस्लामी कानून विशेषकर हनफ़ी विचारधारा का प्रभाव था. व्यक्तिगत मामलों में, जैसे विवाह और तलाक, इस्लामी कानून का पालन होता था, जिसमें क़ाज़ी अदालतें विशेष भूमिका निभाती थीं. विवाह के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी मानी जाती थी, लेकिन तलाक का अधिकार मुख्यतः पुरुष के पास था. पत्नी को सीमित परिस्थितियों में तलाक का अधिकार था, लेकिन यह नियम में सख्त था. विवाह के लिए उम्र की स्पष्ट सीमा न होने के कारण, शारीरिक परिपक्वता पर अधिक जोर दिया जाता था, जिससे बाल विवाह का चलन अधिक था. हालांकि, परिवारों की प्रथाओं के आधार पर उम्र में कुछ भिन्नता होती थी.
ब्रिटिश काल (1920-1958): प्रथम विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटेन ने ओटोमन साम्राज्य पर विजय प्राप्त कर इराक को अपने अधिकार में ले लिया. 1921 में ब्रिटेन ने इराकी सरकार की स्थापना की और शासक के रूप में शरीफ हुसैन बिन अली के पुत्र फैसल को राजा नियुक्त किया. ब्रिटिश शासनकाल में विवाह कानून में बड़े बदलाव नहीं हुए, लेकिन इस काल में इराकी सुधारक और विद्वान परिवार कानून के आधुनिकीकरण पर चर्चा करने लगे, जिसने बाद में 1959 के पर्सनल स्टेटस कानून के लिए नींव तैयार की.
पर्सनल स्टेटस कानून (1959): इराक के पर्सनल स्टेटस कानून ने विवाह, तलाक, संपत्ति, और अन्य पारिवारिक मामलों को लेकर महत्वपूर्ण सुधार लाए. यह कानून महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि थी और इसे उस समय काफी प्रगतिशील माना गया. कानून में महिलाओं और पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र तय की गई – महिलाओं के लिए 15 वर्ष और पुरुषों के लिए 18 वर्ष, जिससे बाल विवाह पर रोक लगाने का प्रयास किया गया. बहुविवाह के मामले में, पति को दूसरी शादी करने के लिए अदालत से अनुमति लेनी पड़ती थी. अदालत तभी अनुमति देती थी जब वह पहली पत्नी को संतोषजनक कारण बताए.
कानून ने महिलाओं को तलाक के मामलों में अधिक अधिकार दिए. इसके अंतर्गत पति को बिना किसी कारण तलाक देने की अनुमति नहीं थी. तलाक के मामलों को अदालत में प्रस्तुत करना आवश्यक था ताकि पारदर्शिता और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. इस कानून में उत्तराधिकार के मामलों में महिलाओं को संपत्ति के अधिकार दिए गए, ताकि वे अपने पिता या पति की संपत्ति में हिस्सेदारी प्राप्त कर सकें. यह कानून मुस्लिम नागरिकों पर लागू होता था, जबकि गैर-मुस्लिम समुदायों को उनके धार्मिक कानूनों का पालन करने की आजादी दी गई.
बाथिस्ट युग (1968-2003): 1968 में तख्तापलट के बाद बाथ पार्टी ने इराक की सत्ता संभाली, और सद्दाम हुसैन के नेतृत्व में धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और अरब राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया गया. बाथ शासनकाल के दौरान पर्सनल स्टेटस कानून में कुछ परिवर्तनों के बावजूद, महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दिया गया. महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और समाज में स्वतंत्रता देने के लिए प्रोत्साहित किया गया, और परिवारिक मामलों में धार्मिक हस्तक्षेप को सीमित करने की कोशिश की गई. महिलाओं को संपत्ति के अधिकार दिए गए, हालांकि इस्लामी कानून के अनुसार महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों से कम रही. 1990 के दशक में, इराक पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण सरकार ने इस्लामी और पारंपरिक मूल्यों की ओर झुकाव दिखाना शुरू किया, जिससे महिलाओं के अधिकारों में कुछ कटौती की गई.
2003 के बाद इराक का पुनर्निर्माण: 2003 में अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद, इराक में नए संविधान के तहत कानूनी प्रणाली में बड़े बदलाव हुए. 2005 में पारित संविधान के अनुच्छेद 41 के तहत, प्रत्येक धार्मिक समुदाय को अपने व्यक्तिगत मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता दी गई, जिससे विवाह कानून में अलग-अलग व्याख्याएं और विविधता बढ़ गई. इसका असर विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा पर पड़ा, खासकर बाल विवाह और बहुविवाह के मामलों में, क्योंकि अब समुदाय अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार इन मामलों का निपटारा कर सकते हैं.
इस प्रकार, इराक के विवाह कानून का इतिहास विभिन्न कालों में हुए सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों के साथ बदलता रहा है, जिसमें समय-समय पर धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष तत्वों का संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया गया. लेकिन अब एक बार फिर शिया पार्टियों के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार इराक को 65 साल पीछे ले जाने की तैयारी में है. इराक में पहले से ही बाल विवाह की उच्च दर है और यह विशेष रूप से गरीब, अति-रूढ़िवादी शिया समुदायों में व्यापक है.
इस्लामिक देशों में क्या है विवाह कानून?
इस्लामी देशों में विवाह कानून सांस्कृतिक, धार्मिक और कानूनी कारकों के मिश्रण से प्रभावित होते हैं, जिसमें प्रत्येक देश का दृष्टिकोण और नियम भिन्न है. विवाह की न्यूनतम उम्र और शर्तें इन देशों में अलग-अलग हैं, और कई जगहों पर इस्लामी कानून, साथ ही आधुनिक नागरिक कानूनों के आधार पर विवाह से संबंधित नियम बनाए गए हैं.
1. सऊदी अरब
सऊदी अरब में विवाह की न्यूनतम आयु हाल ही में 18 वर्ष निर्धारित की गई है. पहले, धार्मिक दृष्टिकोण से विवाह के लिए कोई न्यूनतम उम्र निर्धारित नहीं थी, और बाल विवाह की अनुमति थी. अब 18 वर्ष से कम उम्र के विवाह के लिए न्यायिक अनुमति आवश्यक है. इस बदलाव के बावजूद, धार्मिक नियमों और समाज में परंपराओं के कारण यह नियम पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पाया है.
2. ईरान
ईरान में लड़कियों के लिए विवाह की कानूनी उम्र 13 वर्ष और लड़कों के लिए 15 वर्ष निर्धारित है. यदि कोई इनसे कम उम्र का हो तो विवाह के लिए अदालत की विशेष अनुमति आवश्यक होती है. हालांकि इस्लामी कानून के अनुसार, विवाह की उम्र कम रखने की परंपरा जारी है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से समर्थित है.
3. पाकिस्तान
पाकिस्तान में विवाह की न्यूनतम उम्र प्रांतों के अनुसार अलग-अलग है. पंजाब और सिंध प्रांत में लड़कियों और लड़कों के लिए यह 18 वर्ष निर्धारित है. संघीय कानून के अनुसार लड़कियों के लिए न्यूनतम उम्र 16 वर्ष है, जबकि लड़कों के लिए 18 वर्ष है. सिंध प्रांत ने बाल विवाह को रोकने के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र को 18 वर्ष किया है और इस नियम के उल्लंघन को दंडनीय अपराध माना गया है. हालांकि, बाल विवाह के मामले अब भी अधिक हैं, क्योंकि कट्टरपंथी इस कानून का विरोध करते हैं और इसे शरीयत के विरुद्ध मानते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि कानून तो बनाया लेकिन सजा बेहद ही मामूली रखी. पाकिस्तान में कानून का पालन नहीं करने वाले को महज एक महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना है.
4. मिस्र
मिस्र में 2008 में बाल विवाह रोकने के उद्देश्य से लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए न्यूनतम विवाह उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई. इस बदलाव के कारण बाल विवाह की घटनाओं में कमी आई है. यहां इस्लामी और राज्य के कानूनों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है, जो महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
5. तुर्की
तुर्की में विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है. विशेष परिस्थितियों में न्यायिक अनुमति के तहत 17 वर्ष की उम्र में भी विवाह की अनुमति है, लेकिन इससे कम उम्र में विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित है. यहां इस्लामी कानून की बजाय धर्मनिरपेक्ष नागरिक कानून का पालन किया जाता है, जो विवाह कानून को धर्म से स्वतंत्र बनाता है.
6. मोरक्को
मोरक्को में भी विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है, लेकिन न्यायिक अनुमति के साथ विशेष परिस्थितियों में 16 वर्ष में भी विवाह संभव है. यहां इस्लामी और नागरिक कानूनों का मिश्रण है, जिससे बाल विवाह पर नियंत्रण है, और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दिया गया है.
7. यमन
यमन में विवाह की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है, जिससे बाल विवाह की घटनाएं आम हैं. हाल के वर्षों में इस नियम को बदलकर विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष करने के लिए प्रस्ताव रखे गए हैं, लेकिन अभी तक इसमें कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ है.
8. इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में 2019 में कानूनी संशोधन के बाद लड़कियों और लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 19 वर्ष कर दी गई. इस परिवर्तन में इस्लामिक दृष्टिकोण और बाल अधिकारों का ध्यान रखा गया है. यह नियम विवाह में बराबरी के दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है.
9. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)
यूएई में लड़कियों और लड़कों के लिए न्यूनतम विवाह उम्र 18 वर्ष है. यदि किसी की उम्र 18 वर्ष से कम है, तो उसे विवाह के लिए न्यायिक अनुमति प्राप्त करनी होती है. यूएई में इस्लामी कानून के साथ-साथ आधुनिक नागरिक कानून का भी पालन होता है, जो महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
10. जॉर्डन
जॉर्डन में विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में न्यायिक अनुमति के साथ लड़कियों के लिए 15 वर्ष की उम्र में विवाह संभव है. सरकार ने बाल विवाह को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन परंपराओं के चलते यह नियम प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाता.
11. मलेशिया
मलेशिया में मुसलमानों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कियों के लिए 16 वर्ष और लड़कों के लिए 18 वर्ष है. हालांकि, न्यायिक अनुमति के साथ कम उम्र में भी विवाह किया जा सकता है. इस्लामी कानून और स्थानीय नागरिक कानून में संतुलन रखते हुए विवाह के लिए नियम बनाए गए हैं.
इराक सहित कई इस्लामी देशों में विवाह कानूनों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की जाती है. अन्य इस्लामी देशों जैसे सऊदी अरब, मिस्र और यूएई ने हाल के वर्षों में महिलाओं के अधिकारों में सुधार के लिए कदम उठाए हैं. इनमें से कई देश महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दे रहे हैं और बाल विवाह के खिलाफ कदम उठा रहे हैं. वहीं, इराक में समय के साथ विवाह कानूनों में सुधार की बजाय कुछ मामलों में समय के चक्र को पीछे ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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