दुनियां – बांग्लादेश में आ सकता है ऐसा नियम, कर लेगा अमेरिका की बराबरी लेकिन रह जाएगा भारत से पीछे – #INA

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इन दिनों देश की व्यवस्थाओं में कथित तौर पर सुधार की कोशिशों में जुटी है. कथित इसलिए क्योंकि अब बांग्लादेश के सियासी दल जो शेख हसीना सरकार के विरोधी रहे हैं वह खुद सुधार के नाम पर चुनाव में हो रही देरी के लिए सवाल उठाने लगे हैं.
अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने बुधवार को न्यूज़ एजेंसी AFP से बातचीत में कहा है कि शेख हसीना के निरंकुश शासन को उखाड़ फेंके जाने के बाद नई सरकार चुने जाने के लिए देश में सुधारों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा है कि सुधारों की रफ्तार तय करेगी कि चुनाव कितनी जल्दी कराए जा सकते हैं. मोहम्मद यूनुस ने वादा किया कि वह देश को लोकतांत्रिक चुनाव के रास्ते पर ले जाएंगे.
तमाम वादों और दावों के बीच एक अहम सवाल उठता है कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस जिन सुधारों का जिक्र कर रहे हैं आखिर वो क्या हैं? अंतरिम सरकार बांग्लादेश की चुनावी प्रक्रिया में किस तरह का बदलाव करने की मंशा रख रही है?
नए सिरे से संविधान लिखने की कवायद
यूनुस सरकार चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए नए सिरे से संविधान लिखने की कोशिश में जुटी है. इसके लिए अंतरिम सरकार ने एक संविधान सुधार आयोग बनाई है, जो देश के प्रतिष्ठित वर्गों, बुद्धिजीवियों के साथ बैठकें कर सलाह और सुझाव ले रही है. इसी कड़ी में बुधवार को संसद भवन में कमेटी ने कई वर्गों और समूहों के साथ बैठकें की. इस बैठक में शामिल लोगों ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं, अगर अंतरिम सरकार इन सुझावों को लागू करती है तो बांग्लादेश में अमेरिका जैसा नियम बन सकता है.
प्रधानमंत्री के लिए अधिकतम दो टर्म की मांग
यूनुस सरकार की संवैधानिक सुधार आयोग को मिले सुझाव में केयरटेकर सरकार की बहाली और प्रधानमंत्री पद के लिए अधिकतम दो टर्म का प्रावधान करने को कहा गया है. प्रोफेसर रुबैत फिरदौस और दिलीप कुमार रॉय ने ‘शुशाशोनर जन नागरिक’ संगठन की ओर से लिखित में प्रस्ताव पेश किया. बाद में ‘शुजन’ के सचिव बदिउल आलम मजूमदार ने कमेटी के सामने अपनी मांगों को विस्तार से रखा.
केयरटेकर सरकार की बहाली, 6 महीने का कार्यकाल
सूत्रों के मुताबिक ‘शुजन’ की मांग है कि संविधान में केयरटेकर सरकार के प्रावधान को जोड़ा जाए, लेकिन न्यायपालिका को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए. संगठन के प्रस्ताव के अनुसार केयरटेकर सरकार का कार्यकाल 6 महीने से अधिक नहीं होना चाहिए. दरअसल शेख हसीना सरकार ने साल 2011 में संविधान संशोधन कर केयरटेकर सरकार का प्रावधान खत्म कर दिया था. इससे पहले तक बांग्लादेश में किसी सरकार का कार्यकाल खत्म होते ही सारी व्यवस्था केयरटेकर सरकार संभालती थी और निष्पक्ष चुनाव कराने का जिम्मा भी केयरटेकर सरकार के हाथों होता था.
बांग्लादेश में बनेगा अमेरिका जैसा नियम?
‘शुजन’ ने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल जैसा सिस्टम लागू करने की मांग की है. जिस तरह अमेरिका के संविधान के अनुसार कोई राष्ट्रपति अधिकतम दो कार्यकाल के लिए ही चुना जा सकता है, उसी तरह बांग्लादेश में प्रधानमंत्री के लिए अधिकतम दो टर्म के प्रावधान का प्रस्ताव दिया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति का एक कार्यकाल 4 साल का होता है, बांग्लादेश में भी प्रधानमंत्री का एक कार्यकाल 4 साल के लिए निर्धारित करने की मांग की गई है. इसके अलावा सत्ता संतुलन के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच शक्तियों के बंटवारे की भी मांग की गई है.
दो सदनों वाली संसद प्रणाली का प्रस्ताव
इसके अलावा दो सदनों वाली संसदीय प्रणाली की मांग की गई है, इसके लिए संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाकर 400 करने को कहा गया है, जिसमें से 100 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है. यह वो व्यवस्था है जिसमें सदन को अलग-अलग सदनों, चैंबर्स या हाउस में बांटा जाता है. जैसा कि भारत में लोकसभा और राज्यसभा है या अमेरिका में सीनेट और प्रतिनिधि सभा. प्रस्ताव में संसद की सभी 400 सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की मांग भी की गई है.
‘शुजन’ का कहना है कि संविधान में सभी जातीय अल्पसंख्यकों को मान्यता देने के साथ पूरी तरह गैर-सांप्रदायिक मूल्यों वाला दस्तावेज होना चाहिए. इसके अनुसार, ‘संविधान किसी भी राज्य का सर्वोच्च कानून होता है, इसलिए इसे हमेशा बरकरार रखा जाना चाहिए. संविधान को जनता के हित में संशोधित किया जा सकता है लेकिन जब तक कोई मामला संविधान में दर्ज है तब तक उसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.’
मीडिया समूहों और सियासी दलों के साथ बैठक
संविधान में बदलाव और सुधार करने के लिए बनाए गए आयोग के अधिकारियों ने विभिन्न राजनीतिक दलों और मीडिया समूहों के नेतृत्व के साथ भी अलग-अलग बैठकें की. इस दौरान बांग्लादेश के ‘द डेली स्टार’ अखबार के संपादक और पब्लिशर महफूल अनम ने प्रस्ताव दिया है कि संविधान में संशोधन किए जाने की जरूरत है न कि दोबारा नए सिरे से लिखे जाने की. उन्होंने कार्यपालिक, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति संतुलन को दोबारा लागू करने का प्रस्ताव रखा है.
भारत में कितने अलग हो सकते हैं नियम?
बांग्लादेश में अगर ये सुधार लागू होते हैं तो अमेरिका की तरह 4 साल का कार्यकाल और अधिकतम दो टर्म की व्यवस्था होगी. हालांकि अमेरिका में प्रेसीडेंशियल शासन है, लेकिन फिर भी दोनों देशों के नियम काफी हद तक एक जैसे होंगे. वहीं भारत से अगर तुलना की जाए तो हमारे देश के संविधान में प्रधानमंत्री पद के लिए सीमित टर्म का प्रावधान नहीं है, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार 3-3 बार संसदीय चुनावों में जीत हासिल कर चुके हैं. वहीं भारत में प्रधानमंत्री पद के लिए 5 साल का कार्यकाल तय किया गया है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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