दुनियां – अफगानिस्तान, इराक ही नहीं पूरी दुनिया में महिलाओं को मिलती है कितनी समानता? क्या कहती है रिपोर्ट – #INA

“बराबरी” एक ऐसा शब्द है जिसके इर्द-गिर्द हम रोजाना नई कहानी बुनते हैं. महिलाओं को सम्मान, बराबरी मिलनी चाहिए इस बात का जिक्र तो रोज किया जाता है, लेकिन हकीकत में क्या सामने आता है? कितनी महिलाओं को बराबरी मिली हुई है? किस देश में महिलाओं को कितने हद तक पुरुषों के बराबर समझा जाता है? अफगानिस्तान से इराक और अमेरिका से चीन तक महिलाएं को क्या पुरुषों के बराबर अधिकार दिए जा रहे हैं? आज कुछ इन्हीं सवालों के जवाब हम ढूंढने की कोशिश करेंगे.
बचपन में स्कूल में किताबों में एक तस्वीर होती थी जहां तराजू में महिलाओं और पुरुषों को एक बराबर दिखाया जाता था. हर समय बराबरी का पाठ पढ़ने के बाद आज जब हम खबरें पढ़ते हैं तो पाते हैं कि इराक में एक ऐसा कानून बन रहा है, जहां 9 साल की उम्र में बच्चियों की शादी की जाएगी और वहीं पुरुषों के लिए शादी की उम्र 15 साल है. जब हम अफगानिस्तान की ओर देखते हैं तो वहां महिलाओं के लिए कपड़े पहनने से लेकर घर से निकलने तक के लिए कानून है.
अफगानिस्तान में महिलाओं पर प्रतिबंध
अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता काबिज होने के बाद से महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. देश में अब तक लगाए गए बैन के हिसाब से अफगानिस्तान की महिलाएं पब्लिक में जोर से बात नहीं कर सकती हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा फरमान जारी किया गया जिसमें उन्हें इतने धीरे बोलने के लिए कहा गया कि कोई दूसरी महिला भी उनकी आवाज न सुन लें. अफगानिस्तान में यह फरमान तालिबान के सदाचार के प्रचार और बुराई की रोकथाम के मंत्री मोहम्मद खालिद हनफी ने जारी किया है.
दुनिया में जेंडर इक्वलिटी का क्या हाल?
चलिए बात करते हैं कि पूरी दुनिया में जेंडर इक्वलिटी (Gender Equality) का क्या हाल है. दूनिया का वो कौन सा देश है जहां महिलाओं को पुरुषों के बराबर वो समानता दी जाती है जिसका हम अकसर जिक्र करते हैं. SDG Gender Index ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के हिसाब से दुनिया भर में 850 मिलियन यानी 85 करोड़ महिलाएं लैंगिक समानता (Gender Equality) के लिए “बहुत खराब” परिस्थितियों में रह रही हैं.

एसडीजी जेंडर इंडेक्स के मुताबिक, यह रिपोर्ट चेतावनी देती है कि वैश्विक स्तर पर लगातार की जा रही कोशिशों के बावजूद, कोई भी देश संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के 2030 के लिए निर्धारित किए गए जेंडर इक्वलिटी के लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सका है.
जेंडर इक्वलिटी में दर्ज की गई गिरावट
साल 2024 में सामने आई इस रिपोर्ट में साल 2019 से लेकर 2022 तक महिलाओं को कितनी बराबरी मिल रही है इस पर 139 देशों की रैंकिंग की गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 40 प्रतिशत देशों में जहां 1 बिलियन महिलाएं आबादी का हिस्सा है, वहां लैंगिक समानता में गिरावट आई है. 45 देशों – जिनमें वेस्ट सेंट्रल, उप-सहारा अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, बांग्लादेश और म्यांमार सहित एशिया के देश भी शामिल हैं वहां बराबरी “बहुत खराब” स्थिति में है.
विकसित देशों में कितनी मिलती है समानता?
इस बार हम उन देशों की बात बाद में करेंगे जिनको रिपोर्ट में बहुत खराब श्रेणी में रखा गया है, बल्कि सबसे पहले उन देशों की बात करते हैं जो विकसित है. अमेरिका 139 में से 40वें पायदान पर है. देश में महिलाओं के लिए बराबरी के हालात 74.6 की रेटिंग के साथ फेयर है. वहीं, यूनाइटेड किंगडम इस लिस्ट में अमेरिका से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. यूके 81.4 रेटिंग के साथ गुड कैटेगरी में है. यूके की ग्लोबल रैंकिंग 21 है. चीन 74.6 के साथ फेयर कैटेगरी पर है. वहीं, इसको ग्लोबल रैंकिंग 41 पर रखा गया है.
किन देशों में “बेहद खराब” श्रेणी में हालात
यह बात करने से पहले की लिस्ट में सबसे ऊपर कौन है, पहले यह बात कर लेना जरूरी है कि वो कौन से देश है जहां महिलाओं को न के बराबर समानता दी जा रही है और वो बेहद खराब श्रेणी में है. 139 देशों की इस लिस्ट में सबसे आखिर में वो देश ही आता है जहां अब महिलाओं के जोर से बोलने पर भी पाबंदी लगाई जा रही है. अफगानिस्तान लिस्ट में सबसे नीचे है. अफगानिस्तान को 35.4 के साथ 139 रैंकिंग पर रखा गया है.
साथ ही रिपोर्ट में ईरान 102 रैंक पर है, इराक 108, बांग्लादेश 105 पर है. पाकिस्तान 123 वें पायदान पर है. पाकिस्तान साल 2022 में 48.9 अंकों के साथ बहुत खराब श्रेणी में है. वहीं, भारत की बात करें तो भारत 91 रैंक पर है और खराब श्रेणी में है. “बहुत खराब” श्रेणी वाले देशों में रहने वाली 857 मिलियन महिलाएं 1.5 बिलियन “खराब” श्रेणी वाले देशों में रहती हैं.
किन देशों में महिलाओं को मिलती है समानता?
इस लिस्ट में जो देश सबसे ऊपर है वो स्विट्जरलैंड है, जहां हालात 90.1 अंकों के साथ “बहुत अच्छी” श्रेणी में है. इसी के साथ फिनलैंड, नॉर्वे लिस्ट में टॉप पर बने हुए हैं. रिपोर्ट के हिसाब से कुछ देशों में हालात उलट गए हैं, जहां चीजें प्रगति की तरफ बढ़नी चाहिए वहीं चीजें उल्टी तरफ चल रही हैं. पोलैंड और अमेरिका में, सख्त अबॉर्शन कानूनों ने महिलाओं के अधिकारों को कम कर दिया है. लगभग 14 अमेरिकी राज्यों ने पूर्ण अबॉर्शन प्रतिबंध लागू कर दिया है. अफगानिस्तान में, तालिबान के दमनकारी शासन ने महिलाओं और लड़कियों को सेकेंडरी शिक्षा से बाहर कर दिया है.
सूडान में महिलाओं की स्थिति और भी खराब है. चाड के शरणार्थी शिविरों में सूडानी महिलाओं को ‘जीवित रहने के लिए सेक्स’ के लिए मजबूर किया जा रहा है. सूडान, म्यांमार और यूक्रेन जैसे संघर्ष प्रभावित इलाकों में महिलाओं की दुर्दशा और भी गंभीर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में 614 मिलियन महिलाएं संघर्ष क्षेत्रों में रहीं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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