दुनियां – VPN फतवे पर पाकिस्तान का उड़ रहा मजाक, मौलाना तारिक जमील भी विवाद में कूदे – #INA
धार्मिक संस्थाए और मौलवी बुरे कामों से समाज को रोकने या उसके धर्म के खिलाफ होने पर अक्सर फतवा देते रहते हैं. कई बार इनका स्वागत भी किया जाता है, तो कई बार कुछ लोग इन फतवों पर आपत्ति भी जताते हैं. पाकिस्तान के मौलानाओं ने एक अजीबो-गरीब फतवा दिया है, जिसमें VPN के इस्तेमाल को ही शरिया के लिहाज से गलत बताया गया है.
धार्मिक मामलों में पाकिस्तान की टॉप एडवाइसरी बॉडी ने शुक्रवार को इंटरनेट पर बैन कंटेंट को देखने के लिए VPN के इस्तेमाल को शरिया या इस्लामी कानून के खिलाफ बताया है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाक अधिकारी देश भर में फायरवॉल लगा रहे हैं और यूजर्स को स्टेट मीडिया रेगुलेटर में VPN रजिस्टर करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसका मकसद साइबर सुरक्षा को बढ़ाना और आतंकवाद से लड़ना है.
काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी के इस फतवे की खूब फजीहत हो रही है. फतवे का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि ऐसा करने से ऑनलाइन निगरानी बढ़ती है, अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगता है और ई-कॉमर्स को नुकसान पहुंचता है. वहीं पाकिस्तान के मशहूर मौलाना तारिक जमील ने भी इस फतवे को गैर-जरूरी बताया है.
तारिक जमील ने उठाए सवाल
रविवार को एक निजी चैनल से बात करते हुए तारिक जमील ने इस फतवे के तर्क पर सवाल उठाए और जोर देकर कहा कि अगर VPN को ‘हराम’ माना जाता है, तो मोबाइल फोन को भी उसी श्रेणी में रखा जाना चाहिए, क्योंकि उनका इस्तेमाल समान प्रतिबंधित सामग्री तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने फतवे की आलोचना करते हुए इसे संकीर्ण मानसिकता वाला रुख (Narrow-Minded Stance) बताया.
इंटरने पर हो रही फजीहत
काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी इस फतवे के बाद इंटरनेट पर लोग इसे ‘मुल्लाह-मिलेटरी’ अलायंस बता रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना लोगों पर नजर रखना चाहती है, जिसकी वजह से वह VPN को बैन किया जा रहा है.
The Council of Islamic Ideologys latest statement on VPN highlights one of Pakistans oldest & biggest problems: the Mullah-Military Alliance.
Clerics and religious right-wing have consistently been used by Pakistans powerful military to carry out its agenda.
Just so we are
— Imaan Zainab Mazari-Hazir (@ImaanZHazir) November 16, 2024
लोगों ने काउंसिल के इस फतवे को गैर-जरूरी बताते हुए, ‘मुल्लाह-मिलिट्री’ अलायंस का उदाहरण बताया है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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