दुनियां – अरब युद्ध में पुतिन की डायरेक्ट एंट्री, कैसे इजराइल को चक्रव्यूह में फंसाएगा रूस? – #INA
अरब युद्ध में अब पुतिन की डायरेक्ट एंट्री तय मानी जा रही है. इजराइली सीमा पर सीरिया के इलाके में रूस ने अपना सैन्य बेस बना लिया है. ये सैन्य बेस ऐसे इलाके में है जो प्रॉक्सी संगठनों का सबसे बड़ा टारगेट है. दावा किया जा रहा है कि सैन्य बेस के बहाने रूस इस इलाके में प्रॉक्सी संगठनों को हथियार के साथ संरक्षण भी देगा. दरअसल, इजराइल के ऑपरेशन के दौरान रूसी सैनिक हमले की चपेट में आए तो पुतिन के लिए पलटवार करने का मौका होगा.
ये दुनिया का एक बेहद संवेदनशील और विवादित इलाका है, जिसे गोलन हाइट्स कहते हैं. यहां एक तरफ इजराइली सेना तैनात है, तो दूसरी तरफ सीरिया में प्रॉक्सी संगठनों के कई ठिकाने हैं. सीरिया गोलन हाइट्स को वापस लेना चाहता है, लेकिन इजराइल इस इलाके में अपनी 30 से अधिक बस्तियां बसा चुका है. अब इसी इलाके के करीब रूस की सेना की तैनाती बढ़ाई गई है.
प्रॉक्सी संगठनों की मदद के लिए सेना की तैनाती
रूस पिछले कई महीने से प्रॉक्सी संगठनों की मदद कर रहा है. रूस प्रॉक्सी संगठनों को हथियार की सप्लाई कर रहा है. अब प्रॉक्सी संगठनों की मदद के लिए सेना की तैनाती है. गोलान हाइट्स के करीब रूस की सेना ने जनवरी से ही चौकी बनाने का काम शुरू कर दिया था, लेकिन अब रूस के सैनिक यहां पूरे साजो-सामान के साथ तैनात हो गए हैं.
एक्सपर्ट्स का दावा है कि गोलन हाइट्स के करीब रूस के सैनिकों की मौजूदगी से प्रॉक्सी संगठनों न सिर्फ मदद मिलेगी बल्कि सुरक्षा भी मिलेगी. इजराइल पिछले दिनों सीरिया में कई बार एयरस्ट्राइक कर चुका है. अब अगर प्रॉक्सी संगठन के लड़ाके रूसी चौकियों के आसपास ठिकाना बनाते हैं तो इजराइल के लिए हमला करना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
रूस प्रॉक्सी संगठनों तक पहुंचा सकता है हथियार
गोलन हाइट्स पर 1967 से इजराइल का कब्जा है. 6 दिनों के युद्ध के बाद इजराइल ने इलाके पर कब्जा किया था. अब यहां 30 बस्तियां हैं और 25000 यहूदी रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र की निगरानी वाला बफर जोन इजराइल के कब्जे वाले इलाके को सीरिया के नियंत्रण वाले हिस्से से अलग करता है. इजराइल के कब्जे वाले इलाके पर अक्सर प्रॉक्सी संगठन हमला करते रहे हैं. हिज्बुल्लाह भी इस इलाके पर कई बार हमले कर चुका है.
माना जा रहा है कि रूस अब अपनी सेना के नाम पर इस इलाके में आसानी से हथियार लाएगा और वही हथियार प्रॉक्सी संगठनों तक पहुंचाए जा सकते हैं. रूसी सेना का बेस प्रॉक्सी संगठन के बड़े नेताओं के छिपने के लिए भी एक सेफ जोन साबित हो सकता है.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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