दुनियां – संस्कृत और जर्मन में क्या समानता है? News9 ग्लोबल समिट में टीवी-9 नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने बताया – #INA

TV9 नेटवर्क का News9 ग्लोबल समिट जर्मनी की स्टर्टगार्ड सिटी में चल रहा है. ऐतिहासिक फुटबॉल मैदान MHP एरिना में चल रहे तीन दिवसीय समिट के दूसरे दिन टीवी-9 नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने ‘India-Germany: The Sanskrit Connect’ विषय पर अपने विचार रखे. समिट में पीएम मोदी के संबोधन और संदेश के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाई. उन्होंने कहा, संस्कृत और जर्मन में गजब की समानता है. दुनिया को किताब की शक्ल में हमने पहली किताब दी, जो वेद था. वेद को भारत से बाहर वैश्विक स्तर पर ले जाने वाला पहला विद्वान जर्मन था, जिनका नाम प्रोफेसर मैक्स मूलर था. आप सब स्वामी विवेकानंद को जानते हैं, दुनिया में हिंदुत्व के वो पहले ब्रांड एंबेसडर थे. स्वामी जी मैक्स मूलर के वैदिक ज्ञान को पहचानते हुए उनसे मुलाकात की थी.
टीवी-9 नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने कहा कि उस जर्मन विद्वान से स्वामी जी इतने प्रभावित थे कि उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में वेद के मर्म को किसी ने समझा है तो वो मैक्स मूलर थे. इससे बड़ा सम्मान किसी जर्मन विद्वान का क्या हो सकता है, आप समझ सकते हैं. भारत और जर्मनी की जड़ें सांस्कृतिक लिहाज से कितनी गहरी जुड़ी हुई हैं, हम जब भी भारत से बाहर देखते हैं तो जर्मनी हमारे सबसे करीब दिखता है. इसलिए न्यूज9 के वैश्विक मंच पर आने की शुरुआत जर्मनी से हुई.
संवाद का इससे अनुकूल आंगन नहीं हो सकता
उन्होंने कहा, जर्मनी से हमारा इतिहास गुलामी, भेदभाव, हिंसा का नहीं है. जर्मनी से हमारा रिश्ता राजनीतिक, सांस्कृतिक, सहयोग और साहित्यिक भाषायी जड़ों की एकरूपता का है. इसलिए हमारे लिए संवाद का इससे अनुकूल आंगन नहीं हो सकता है. अभी आपने ग्रामोफोन पर एक प्रस्तुति सुनी. 19वीं सदी में ग्रामोफोन का आविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन ने किया था. उन्होंने एक ऐसा यंत्र बनाया जो लोगों की आवाज रिकॉर्ड करता है. इस पर पहली आवाज क्या हो, इस पर वो विचार कर रहे थे. इसको लेकर उन्होंने मैक्स मूलर को चिट्ठी लिखी.
उस समय वो ऑक्सफोर्ड में थे. उन्होंने कहा कि हम आपकी आवाज को ग्रामोफोन की डिश पर रिकॉर्ड करना चाहते हैं. इस पर उन्होंने उनको बुला लिया. मंच पर उनकी रिकॉर्ड की गई है. इसके कुछ ही देर बाद उनकी आवाज को दर्शकों को सुनाया गया. मैक्स मूलर की आवाज सुनकर लोग रोमंचित हो गए. पहली बार रिकॉर्डेड आवाज सुनी जा रही थी. रोमांच इतना था कि लोगों को समझ नहीं आया कि मैक्स मूलर ने क्या कहा.
जुड़ी हुई हैं जर्मनी-भारत के संबंधों की जड़ें
मैक्स मूलर ने जो गाया वो ऋगवेद की पहली ऋचा ‘अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्…’ थी. यह ग्रामोफोन पर रिकॉर्ड की गई संस्कृत की पहली ऋचा थी. जब प्रोफेसर मैक्स मूलर से पूछा गया कि आपने इसे क्यों चुना तो उनहोंने कहा कि वेद मानवजाति का सबसे पुराना ग्रंथ है. यह है जर्मन और भारत का गहरा रिश्ता.
टीवी-9 नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर ने आगे कहा, जर्मनी और भारत के संबंधों की जड़ें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. इसका जुड़ाव कैसा है? वैदिक काल की भाषा संस्कृत है. उसके शब्दों को आप जर्मन में देख सकते हैं. इनकी शब्द योजना संस्कृत से मिलती है. दोनों भाषाओं की फोनेटिक्स एक सी है. वाक्यों में रखे गए शब्द स्वतंत्र, एकदम स्वतंत्र और जर्मन में लगभग स्वतंत्र हैं. शायद यही वजह है कि आज जर्मनी में 14 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में संस्कृत के विभाग हैंऔर रिसर्च हो रही है.
संस्कृत हमारा अस्तित्व, पहचान और इतिहास है
उन्होंने कहा, भारतीय दर्शन बहुलतावादी है. गंगा बहुत सी धाराओं से मिलकर बनती है. हिंदू धर्म भी बहुत सी धाराओं का संगम है. जो सतत प्रवाहवान है. संस्कृत हमारा अस्तित्व भी है, पहचान भी है और इतिहास भी. मैं जब भारत के बाद पश्चिम की ओर देखता हूं तो जर्मनी का ही आंगन ऐसा है जो संस्कृत भाषा को लेकर अति गंभीर है, जो कि उसे समझने और विस्तार देने में लगातार लगा हुआ है. आज भी बर्लिन की सड़कों पर संस्कृत-जर्मन शब्दकोश आसानी से मिलेंगे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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