विजय दूबे का विजय रथ रोकने मे नाकाम रहे स्वामी प्रसाद मौर्य

🔵स्वामी को जनता ने किया नापसंद, जमानत हुई जब्त 

🔴 खड्डा छोड किसी विधानसभा मे नही कर पाये दस हजार का आंकड़ा पार

🔵 संजय चाणक्य 

कुशीनगर। हिन्दू देवी देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर हमेशा अपनी थू-थू कराने वाले राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के सुप्रीमो स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर लोकसभा सीट से भाजपा के विजय दूबे का विजय रथ रोकने मे पूरी तरह नाकाम रहे। हलांकि मौर्या ने विजय का विजय रथ रोकने के लिए अपने तरफ से कोई कसर नही छोडा था, ओवैसी और रावण को बुलाकर जनसभा भी की। इसके बावजूद भाजपा का परचम बुलंद रहा।

बतादे कि लगातार रामचरित मानस व हिन्दू देवी-देवताओं पर टिप्पणी करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा छोडकर अपनी पार्टी का गठन किया। लोक सभा चुनाव का बिगुल बजते ही आईएनडीआई गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए स्वामी ने काफी जद्दोजहद किया किन्तु गठबंधन का हिस्सा नही बन पाये। इसके बाद खुद को किसी से कम न आकते हुए कुशीनगर लोकसभा सीट से मौर्या ने चुनावी रणभूमि में ताल ठोका था। कहना न होगा कि ” हम तो डूबेगें सनम तुमको भी ले डूबेगें ” के तर्ज पर मौर्या ने जातीय समीकरण के आधार पर भाजपा को हराने की गरज से चुनावी मैदान मे दम भरा रहा था। लेकिन कुशीनगर की जनता मौर्या के ओवर कॉन्फिडेंस के जब्बा को चकनाचूर कर दिया।

🔴 भाजपा-गठबंधन मे रही सीधी टक्कर 

बेशक!भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच मुख्य चुनावी लड़ाई होने की उम्मीद शुरू से जताई जा रही थी। लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ने चुनावी मैदान में उतरने के बाद राजनीतिक विशेषज्ञ त्रिकोणीय लगाई की अनुमान लगा रहे थे। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुमान और स्वामी प्रसाद मौर्य की उम्मीद पर जनता ने पानी फेर दिया। 

🔴एमएलसी और महासचिव का छोडा पद

स्वामी प्रसाद मौर्य जनवरी 2022 तक योगी सरकार के मंत्री के तौर पर भाजपा के साथ थे। वहीं, पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी का पद छोड़कर अपनी अलग राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाकर कुशीनगर लोकसभा से भाजपा के विजय दूबे का विजय रथ रोकने की गरज से इस सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया । इधर आईएनडीआई गठबंधन द्वारा अजय प्रताप सिंह को प्रत्याशी घोषित करने के बाद मौर्या गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए के जद्दोजहद करने लगे लेकिन जब सफलता हाथ नही लगी तो वह अपनी पार्टी से ही विजय का विजय रथ रोकने के लिए कुशीनगर से चुनावी मैदान में उतर गये। मोर्या के चुनावी रणभूमि मे उतरने से ऐसा लग रहा था कि भाजपा का टेंशन बढ़ेगा किन्तु ऐसा कुछ नही हुआ और भाजपा इस सीट पर अपनी जीत का हैट्रिक लगाने की योजना अंजाम देने मे सफल रही। 

🔴 दलित-पिछड़े वोटर है निर्णायक

ऐसा कहा जाता है कि कुशीनगर लोकसभा सीट पर दलित और पिछड़े वर्ग के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पूरे चुनाव मे भाजपा, सपा, बसपा और स्वामी प्रसाद मौर्य जातीय समीकरण के सहारे जीत का गुणा-भाग करते रहे है। इसके पीछे वजह यह है कि कुशीनगर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या तकरीबन 187522 लाख है। कुशीनगर लोकसभा के राजनीतिक बिसात पर जातिगत समीकरण की बात की जाए तो अनुसूचित के 15 फीसदी वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं। वहीं, इस सीट पर 14 फीसदी मुस्लिम वोटर, 12 फीसदी सैथवार और 8 फीसदी यादव वोट बैंक के दम पर सपा प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने मे जुटे रहे। इसके अलावा  कुशवाहा-कुर्मी वोटर तादाद 13 फीसदी है। इधर स्वामी प्रसाद मौर्य दलित और कुशवाहा वोटरो के दम पर भाजपा के विजय रथ को रोकने का मुंगेरीलाल का सपना देख रहे थे जो सपना बनकर रह गया।

🔴अपनी जमानत भी नही बचा सके स्वामी 

भाजपा के विजय दूबे का विजय रथ रोकने का ख्वाब देखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी जमानत भी नही बचा पाये। मौर्या को कुशीनगर लोकसभा सीट के पाचो विधानसभा के वोटरों ने पुरी तरह नकारा दिया। खड्डा विधानसभा छोड मौर्या किसी भी विधानसभा मे दस हजार का आंकड़ा पार नही कर पाये। विधान सभावार नजर दौडायें तो स्वामी प्रसाद को खड्डा विधानसभा मे 11719, पडरौना 9137, कुशीनगर मे 7309, हाटा मे 1898 और रामकोला विधानसभा में 6496 वोट मिले है जो कुल मिलाकर 36575 हुए। स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा के नवनिर्वाचित प्रत्याशी विजय दूबे से 479447 मतों से पीछे रहे जिसके वजह से उनकी जमानत भी नही बच स्की। 

Back to top button