Political – लोकसभा के नतीजों से कैसे बनेगा बिगड़ेगा राज्यसभा का समीकरण, 10 सीटों पर छिड़ा संग्राम | rajya sabha 10 seats empty bjp congress and rjp gear up for another face off after loksabha elections- #INA

राज्यसभा की 10 सीटों पर किसका पलड़ा भारी?

लोकसभा चुनाव के नतीजे से सिर्फ देश की सत्ता पर ही असर नहीं पड़ा बल्कि राज्यसभा में सियासी दलों की संख्या का गणित किसका बनता तो किसी का बिगड़ता नजर आ रहा है. 2024 में दस राज्यसभा सदस्य चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं, जिसके चलते उच्च सदन की 10 सीटें खाली हो गई हैं. राज्यसभा सचिवालय ने अब खाली पदों को अधिसूचित कर दिया है, जिनमें असम-बिहार-महाराष्ट्र में 2-2 और हरियाणा-मध्य प्रदेश-राजस्थान-त्रिपुरा में 1-1 राज्यसभा की सीटें शामिल हैं. चुनाव आयोग अब राज्यसभा में इन 10 सीटों पर चुनाव की तारीखों की घोषणा किसी भी समय कर सकता है.

लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को राज्यसभा में झटका लग सकता है तो एनडीए गठबंधन को लाभ मिलने की उम्मीद है. देश की जिन छह राज्यों की 10 राज्यसभा सीटें खाली हुई हैं, उन राज्यों के विधानसभा में विधायकों की संख्या को देखें तो एनडीए का सियासी पलड़ा भारी नजर आ रहा है. हालांकि, बीजेपी के लिए उसके सहयोगी दल ही चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि बिहार और महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों में सहयोगी दलों के सहारे बीजेपी अपने नंबर बढ़ा सकती है.

राज्यसभा का जो दस सीटें खाली हो रही हैं, उसमें सात बीजेपी, दो कांग्रेस और एक आरजेडी के सदस्य हैं. लोकसभा चुनाव जीतने वाले राज्यसभा सांसदों में बीजेपी के पीयूष गोयल, बिल्पब देब, माधवराव सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल, कामाख्या प्रसाद तासा, विवेक ठाकुर और उदयन राजे भोसले हैं. कांग्रेस से केसी वेणुगोपाल और दीपेंद्र हुड्डा जबकि आरजेडी से मीसा भारती लोकसभा सांसद चुनी गई हैं.

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कांग्रेस-RJD के लिए सीटें बचाने की चुनौती

कांग्रेस-आरजेडी के तीनों राज्यसभा सदस्य जिन राज्यों से उच्च सदन पहुंचे थे, वहां पर बीजेपी या फिर उसके नेतृत्व वाले एनडीए की सरकार है. ऐसे में कांग्रेस और आरजेडी के सामने अपनी सीटें बचाना मुश्किल है तो बीजेपी के लिए महाराष्ट्र और बिहार में अपने एनडीए सहयोगी दलों के साथ सीट का बंटवारा करना पड़ सकता है. इस तरह राज्यसभा चुनाव में शह-मात का खेल दोनों ही खेमे की तरफ से होने वाला है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता केसी वेणुगोपाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य थे और दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा से उच्च सदन पहुंचे थे. वेणुगोपाल और दीपेंद्र हुड्डा के दो साल का कार्यकाल बाकी है. राजस्थान में सत्ता का समीकरण बदलने के चलते बीजेपी का पलड़ा भारी है, जिसके चलते राज्यसभा सीट कांग्रेस के हाथों से जा सकती है और बीजेपी जीत सकती है. हरियाणा में सियासी समीकरण ऐसे हैं बीजेपी और कांग्रेस दोनों लगभग बराबर-बराबर खड़े हैं. ऐसे में राज्यसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हो सकता है. ऐसे में निर्दलीय और अन्य विधायकों को अपने साथ जो भी ज्यादा जोड़ने में सफल रहेगा, उसका कब्जा हो सकता है.

बिहार में एनडीए का पलड़ा भारी

बिहार में दो राज्यसभा सीटें खाली हुई हैं, जिसमें एक आरजेडी नेता मीसा भारती की है तो दूसरी बीजेपी के विवेक ठाकुर की है. राज्य की सत्ता में एनडीए का कब्जा है. दोनों ही राज्यसभा सीटों पर एक साथ चुनाव होते हैं तो फिर बीजेपी और आरजेडी के हिस्से में एक-एक सीट आ सकती है, लेकिन अलग-अलग समय में वोटिंग होती है तो फिर एनडीए का पलड़ा भारी रहेगा. आरजेडी के लिए अपनी राज्यसभा सीट को बचाए रखना मुश्किल होगा. इस तरह से इंडिया गठबंधन को अपनी तीन सीटों में से कम से कम दो सीटें गंवानी पड़ सकती है.

असम, त्रिपुरा में भी बीजेपी फायदे में

वहीं, बीजेपी कोटे की सात राज्यसभा सीटें रिक्त हुई हैं, जिसमें असम की दो सीट सर्बानंद सोनोवाल और कामाख्या प्रसाद तासा के सांसद चुने जाने की है. असम में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है, जिसके चलते दोनों सीटें उसे मिलनी तय है. इसके अलावा त्रिपुरा से बिप्लब देब और मध्य प्रदेश से माधवराव सिंधिया के चुने जाने के चलते राज्यसभा की सीट खाली हुई हैं. दोनों ही राज्यों में बीजेपी के विधायकों की संख्या विपक्षी दलों से काफी ज्यादा है, जिसके चलते दोनों राज्यसभा सीटें बीजेपी को मिलनी तय है.

महाराष्ट्र में बीजेपी नेता पीयूष गोयल और उदयन राजे भोसले के राज्यसभा चुने जाने के चलते दो राज्यसभा सीटें रिक्त हुई हैं. बीजेपी यहां एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है. एनडीए के विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी दोनों सीटें जीत सकती है, लेकिन अजीत पवार खेमे वाली एनसीपी ने एक सीट पर अपनी दावेदारी कर दी है.

बुधवार देर रात देवगिरी स्थित अजीत पवार के आवास पर एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजने पर मुहर लगी है. इस सीट के लिए एनसीपी के छगन भुजबल पार्थ पवार, आनंद परांजपे और बाबा सिद्दीकी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन सुनेत्रा पवार के नाम पर मुहर लगी है. बीजेपी अगर एक राज्यसभा सीट एनसीपी के लिए छोड़ती है तो फिर उसे एक सीट पर ही जीत मिलेगी. इस तरह बीजेपी कोटे से एक सीट कम हो रही है तो विपक्षी खेमे वाली सीटें जीतकर राज्यसभा में अपना आंकड़ा बड़ा सकती है.

बहुमत के करीब पहुंचेगा एनडीए

राज्यसभा में अभी फिलहाल बीजेपी के पास 90 और उसकी सहयोगियों के 11 सदस्य हैं. भाजपा को सात नामित और तीन निर्दलीय सांसदों में से दस का समर्थन हासिल है. ऐसे में उपचुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी सदस्यों की संख्या बढ़ जाएगी. इसका मतलब है कि एनडीए को उच्च सदन में बहुमत के लिए महज एक सदस्य की कमी होगी. लोकसभा में भले ही बीजेपी 2014 से 2024 तक बहुमत के साथ रही हो, लेकिन राज्यसभा में बहुमत के दूर थी. इस बार लोकसभा में बीजेपी अपने सहयोगी दलों के दम पर बहुमत के साथ है, क्योंकि 2024 के चुनाव में उसकी सीटें घटकर 240 पर आ गई हैं. इस तरह बहुमत से 32 सीटें दूर हैं, लेकिन एनडीए के दम पर सत्ता पर काबिज है. राज्यसभा में उसे बहुमत मिलने की उम्मीद है.

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