Political – चुनाव के समय खींचतान चलता है, CM कौन नहीं बनना चाहता… हरियाणा चुनाव पर बोलीं कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा- #INA

टीवी9 के साथ इंटरव्यू में कुमारी सैलजा ने हरियाणा से जुड़े कई अहम मुद्दे पर बात की है

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल सिसायी समीकरण को सेट करने में जुट गए हैं. एक तरफ सत्ताधारी दल बीजेपी है तो दूसरी ओर कांग्रेस और अन्य दल हैं. विपक्षी कांग्रेस पार्टी में इन दिनों मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सियासी जंग छिड़ी हुई है. इस बीच कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने टीवी9 से बातचीत में कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि है कि पार्टी में हर कोई मुख्यमंत्री बनना चाहता है, लेकिन फैसला तो हाईकमान करता है.

शैलजा ने आगे कहा कि नीचे जमीन पर जब हम लोगों से जुड़ेंगे तो लोगों के पल्स का पता चलेगा. चुनाव थोड़ा और आगे बढ़ेगा तो एक उफान आएगा. मुझे नहीं लगता है कि बीजेपी इस बार डबल डिजिट में आएगी. कोशिश बहुत की जा रही है, लेकिन इनके नेतृत्व में डिसकनेक्ट साफ नजर आ रहे हैं. फिर चाहे वो सेंटर हो या स्टेट लीडरशिप का. जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा वैसे स्थिति एकदम साफ दिखाई देने लगेगी.

पार्टी नेताओं की अलग-अलग यात्रा पर क्या बोलीं सैलजा?

एक तरफ हुड्डा और दूसरी ओर सैलजा की यात्रा के सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा कि ये तो हमेशा से हुआ है. सब अपने लीडरशिप के तौर पर जमीन पर चलते हैं. हमारे यहां बहुत सालों से संगठन है नहीं, लेकिन फिर भी कांग्रेस का वर्कर काम कर रहा है. सब अपने ढंग से काम कर रहे हैं. लीडरशिप भी तो ऐसे ही लोगों से कनेक्ट करती है. हरियाणा में कांग्रेस लीडरशिप को लेकर होने वाली कन्फ्यूजन और खींचतान के सवाल पर सैलजा ने कहा कि ये स्वाभाविक है और होता रहता है. हमेशा से होता आया और आगे भी होता रहेगा.

आठ बार लोकसभा चुनाव लड़ने और 5 बार जीतने और राज्यसभा से भी सांसद बनने के बाद भी स्टेट से क्यों चुनाव लड़ना चाहती हैं के सवाल पर सैलजा ने कहा कि इसके लिए दो चीजें हैं. इसमें राजनीति भी है और पर्सनल भी है. राजनीतिक इसलिए क्योंकि हम सभी लोग जमीन पर जाकर काम किया है तो पार्टी को इसका फायदा होना चाहिए. लोगों में एक अच्छा माहौल मिलेगा. दूसरी बात ये है कि बहुत लंबा समय है. सेंटर की राजनीति का मतलब ये नहीं कि स्टेट से कोई लेना देना नहीं. मुझे लगा मुझे राज्य के लोगों की सेवा करनी चाहिए. इसलिए मैंने इच्छा व्यक्त की है.

‘CM की इच्छा तो हर किसी की, लेकिन फैसला हाईकमान करता है’

मुख्यमंत्री के सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा कि सीएम बनने की इच्छा तो हर किसी की होती है, लेकिन फैसला तो पार्टी हाईकमान करता है. मैं इसे लेकर किसी पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी. काम करने की इच्छा है. हाईकमान क्या फैसला करता है ये दूसरी चीज है. मैं दलित हूं इसका मुझे गर्व है. मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखने में क्या दिक्कत है. मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैं 36 बिरादरी को रिप्रजेंट करती हूं.

क्या हुड्डा परिवार से मुख्यमंत्री मंजूर होगा के सवाल पर सैलजा ने कहा कि हाईकमान जो भी फैसला करता है वो पहले भी मंजूर हुआ है और आगे भी मंजूर होगा. हाईकमान जिस पर भी हाथ रखे वो सबको मंजूर होगा. टिकट बंटवारे के समय ये सब चीजें चलती हैं. बाकी टिकट बंटवारे में किसको तरजीह दी गई इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अंत में पार्टी के ही विधायक जीतकर आते हैं. बाद में ये सब बातें बेमायने हो जाते हैं.

लोकसभा चुनाव में दिए बयान पर क्या बोलीं सैलजा?

लोकसभा में टिकट बंटवारे पर दिए गए बयान पर कांग्रेस नेता कहा कि उस समय मुझे लगा था, लेकिन अब हम चुनाव में हैं तो पुरानी बातों का कोई मतलब नहीं है. हमें अब आगे बढ़ना है. दरअसल, सैलजा ने लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर कहा था कि हम चाहते तो हरियाणा की 10 में से 10 सीट जीत सकते थे. मुख्यमंत्री की चाहत रखता है और करना ये सब चलता रहता है, लेकिन फैसला तो हाईकमान को लेना है.

विनेश फोगाट को लेकर बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह के कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों पर सैलजा ने कहा कि जिस समय ये सब बातें आई उस समय ये मुद्दे तो थे ही. सरकार को भी झुकना पड़ा. ये एक मुद्दा था जिसे लेकर सभी लोगों में जागृति सामने आई थी. सरकार को इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए था. कांग्रेस में आने के बाद पार्टी ने उन्हें मौका दिया है.

AAP से गठबंधन नहीं होना ज्यादा डेंट नहीं देगा: सैलजा

गठबंधन के लिए दोनों पार्टियों को रिजनेबल होना पड़ेगा, केवल कांग्रेस के होने से नहीं होगा. मुझे नहीं लगता है कि विधानसभा में अगर आम आदमी पार्टी अलग जाती है तो कांग्रेस को कोई बहुत ज्यादा डेंट होगा. जहां तक नेताओं के दल बदलने का सवाल है तो ये चुनाव का हिस्सा है. जब भी चुनाव आते हैं तो इस तरह की चीजें देखने को मिलती है.

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