Political – हरियाणा के चुनावी अखाड़े में बंसीलाल-भजनलाल और देवीलाल के 12 ‘लाल’, कहीं भाई-बहन तो कहीं चाचा-भतीजे में सियासी जंग- #INA

देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल.

हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा की 90 सीटों पर चुनाव होने हैं. नामांकन की आखिरी दिन 12 सितंबर है. राजनीतिक पार्टियों की तरफ से भले कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा न की गई हो कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. कहीं पर सत्ता में भागीदार रहे नेता एक-दूसरे के आमने-सामने हैं तो कहीं एक ही परिवार के लोग एक-दूसरे को टक्कर देते हुए दिखाई पड़ेंगे.

हरियाणा में ऐसे कई परिवार हैं, जो सालों से यहां की राजनीति में अहम भूमिका निभाते आए हैं. बंशीलाल, भजनलाल और देवीलाल परिवार उन्हीं में से एक है. सालों से परिवार का कोई ना कोई शख्स हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहा है. आज भी इस परिवार के सदस्य राजनीति में भूमिका निभा रहे हैं. अभय चौटाला की इनेलो ने इस बार प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन करते हुए चुनाव लड़ने का निर्णय किया है. वहीं दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है.

कांग्रेस प्रदेश में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर अखाड़े में उतरना चाहती थी लेकिन समझौते में होती देरी के कारण बात नहीं बन सकी. इसके बाद आप पार्टी ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी. इसके साथ ही पिछले 10 साल से हरियाणा की सत्ता पर काबिज रहने वाली भारतीय जनता पार्टी विधानसभा की 90 सीटों पर अकेले मैदान में उतरी है. पार्टी ने 87 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. 3 सीटों पर अभी भी मंथन जारी है.

दो बार डिप्टी पीएम और दो बार सीएन रहे हैं देवीलाल

इंडियन नेशनल लोकदल की स्थापना करने वाले देवीलाल दो बार हरियाणा के सीएम और दो बाद भारत के उप प्रधानमंत्री रहे हैं. इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने उनको भी जेल में डाल दिया था लेकिन 1977 में रिहा होने के बाद उन्होंने जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, 1979 में पार्टी में मतभेदों के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. दूसरी बार वह 1987 में एक बार फिर प्रदेश के सीएम बने. वह वीपी सिंह और चंद्रशेखर दोनों के प्रधानमंत्री रहते हुए डिप्टी पीएम के पद पर रहे.

ये हैं देवी के लाल, दो हिस्सों में बंटा कुनबा

देवीलाल के चार बेटे हुए. इसमें ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो – INLD) बनाई. इसको उनके बेटे अभय सिंह चौटाला आगे बढ़ा रहे हैं. उनके दूसरे बेटे अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (JJP) बनाई. दुष्यंत ने 2014 में हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को हराया था और सबसे युवा सांसद बने थे. इसके बाद 2018 में पार्टी में फूट के बाद अभय चौटाला ने अजय के दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय दोनों को पार्टी से बाहर निकाल दिया.

इनेलो से निकलने के बाद दुष्यंत ने जेजेपी नाम से 2018 में पार्टी बनाई और फिर 2019 के चुनावों में बीजेपी को समर्थन देकर प्रदेश में डिप्टी सीएम बने. हालांकि, इस बार चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी से समर्थन वापस ले लिया और पार्टी ने अकेले चुनावी अखाड़े में उतरने का निर्णय लिया. उनके दूसरे बेटे जबकि रंजीत सिंह बीजेपी में थे. हालांकि, पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने रानियां विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

देवीलाल के तीसरे बेटे स्वर्गीय प्रताप सिंह के बेटे रवि चौटाला और बहू सुनैना चौटाला INLD में हैं. वह पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव हैं. देवीलाल के चौथे बेटे जगदीश चंद्र के बेटे आदित्य देवीलाल ने हाल ही में बीजेपी का दामन छोड़ INLD के साथ गए हैं. पार्टी ने उनको डबवाली विधानसभा से मैदान में उतारा है. आदित्य ने हाल ही में हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया और वह एक सप्ताह के भीतर भाजपा छोड़ने वाले देवीलाल परिवार के दूसरे व्यक्ति हैं.

कुछ दिन पहले ही राज्य के ऊर्जा एवं जेल मंत्री रणजीत चौटाला ने भी सत्तारूढ़ पार्टी छोड़ दी थी. देवीलाल यानी चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय है. हालांकि वक्त के साथ चौटाला परिवार में बिखराव और भाई अलग-अलग रास्ते पर चल पड़े. इसी राजनीतिक बिखराव ने परिवार अब चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा है.

आदित्य चौटाला Vs दिग्विजय चौटाला

अभय चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो – INLD) ने डबवाली सीट से आदित्य चौटाला को टिकट दिया है. इसके खिलाफ इसी सीट से दुष्यंत चौटाला ने अपने भाई दिग्विजय चौटाला को चुनावी मैदान में जेजीपी से उतारा है. इस सीट पर चाचा बनाम भतीजे के बीच जंग देखने को मिलने वाली है. जगदीश के बेटे आदित्य ने हाल ही में बीजेपी का दामन छोड़ INLD के साथ आए थे.

दुष्यंत चौटाला Vs अभय चौटाला

अगर उचाना कला सीट की बात करें तो यहां से देवीलाल के पड़पोते और अजीत सिंह चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला चुनावी मैदान में हैं. हरियाणा की राजनीति में इस सीट को इस बार सबसे हॉट सीटों में से एक माना जा रहा है, क्योंकि इस सीट पर जाट प्रत्याशी ही जीतते रहे और यहां चौटाला और चौधरी परिवार के बीच जंग देखने को मिलती रही है. 2019 में दुष्यंत चौटाला ने चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया था.

2014 में प्रेमलता ने दुष्यंत को हराया था. हालांकि दुष्यंत का मानना है कि उचाना कला की जनता एक बार फिर उनपर भरोसा जताएगी और ना सिर्फ उचाना कला बल्कि हरियाणा में जेजेपी बंपर जीत दर्ज करेगी. हालांकि, सूत्रों की मानें तो उचाना कला में भी चाचा-भतीजे की बीच जंग देखने को मिल सकती. माना जा रहा है कि अभय चौटाला ऐलानाबाद सीट के साथ-साथ उचाना कला से भी चुनावी ताल ठोक सकते हैं. ऐसे में उचाना कला में अभय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला के बीच जंग देखने को मिल सकती है.

अर्जुन चौटाला Vs रणजीत सिंह चौटाला Vs अमित सिहाग

रनिया विधानसभा सीट पर भी चाचा-भतीजे की लड़ाई देखने को मिलेगी, क्योंकि एक तरफ अभय चौटाला ने अपने बेटे अर्जुन चौटाला को रनिया सीट से उतारा है तो वहीं रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय सीट से चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं. हरियाणा के पूर्व मंत्री और बीजेपी के पूर्व नेता रणजीत सिंह चौटाला को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. साथ ही ऐलान कर दिया कि वह निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरेंगे. इसके साथ ही इस सीट पर अभय चौटाला के चचेरे भाई अमित सिहाग को कांग्रेस ने टिकट दिया है.

संजय गांधी के करीबी थे बंसीलाल

इंदिरा गांधी और संजय गांधी के करीबी रहे बंसीलाल देश के रक्षा मंत्री, रेलवे और परिवहन मंत्री के पद पर भी रहे. इसके साथ ही बंसीलाल 4 बार हरियाणा के सीएम भी रहे. 1996 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी की गठन कर लिया. हालांकि 2004 में वह फिर से कांग्रेस में वापस आ गए. बंसीलाल को हरियाणा के गुरुग्राम में मारुति का कारखाना लगाने का भी श्रेय जाता है. हालांकि उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह पत्रकारों और प्रेस को पसंद नहीं करते थे. वह इमरजेंसी के समय में संजय गांधी के करीबी लोगों में गिने जाते थे, जो उस दौरान कठोर कदम उठाने के लिए जाने जाते थे.

अनिरुद्ध Vs श्रुति

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने दूसरी सूची में महेंद्रगढ़ जिले की हाई प्रोफाइल तोशाम सीट पर अनिरुद्ध चौधरी को उम्मीदवार घोषित किया है. इस सीट पर हरियाणा के कई बार सीएम रहे बंसीलाल के परिवार का कब्जा रहा है. मगर, इस बार के चुनाव में बंसीलाल की विरासत पर जंग होगी. बीजेपी ने इस सीट से श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा, जो बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह और किरण चौधरी की बेटी हैं.

वहीं, अनिरुद्ध चौधरी बंसीलाल के दूसरे बेटे रणवीर महेंद्रा के बेटे है. यानी अनिरुद्ध-श्रुति के चचेरे भाई हैं. ऐसे में तोशाम सीट पर मुकाबला भाई बनाम बहन का हो गया है. अभी तक किरण चौधरी तोशाम से कांग्रेस के विधायक थीं, लेकिन वो इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गईं. अब पार्टी ने उनकी बेटी शृति चौधरी को टिकट दिया है. तोशाम सीट पर अभी तक बीजेपी को जीत नहीं मिली, जो कि जाट बहुल सीट मानी जाती है.

इसे पूर्व सीएम बंसीलाल के परिवार के दबदबे वाली सीट माना जाता है. हरियाणा के बनने के बाद से इस सीट पर 14 बार चुनाव हुए, जिसमें से 12 बार बंसीलाल के परिवार ने जीत दर्ज की. बंसीलाल, उनके बेटे सुरेंद्र सिंह और बहू किरण चौधरी इस सीट पर जीतते आए. श्रुति चौधरी एक बार महेंद्रगढ़ से जीतकर सांसद रह चुकी हैं. दूसरी तरफ अनिरुद्ध चौधरी भी लोगों से बंसीलाल के पोते के तौर पर ही वोट मांग रहे हैं.

अगल-अलग पार्टियों में भजनलाल के बेटे

भजनलाल तीन बार प्रदेश के सीएम रहे और केंद्र में कृषि मंत्री भी रहे. करीब 20 साल तक 1979 से 1999 तक हरियाणा की सत्ता में कभी देवीलाल तो कभी भजनलाल सत्ता पर काबिज रहे. 2005 में कांग्रेस ने भजनलाल को साइड करके हुड्डा को सीएम बनाया तो उन्होंने 2007 में ‘हरियाणा जनहित कांग्रेस’ बना ली थी. भजनलाल के निधन के बाद 2014 में पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, जो कि अगस्त 2014 में खत्म हो गया लेकिन 2016 में करीब 9 साल के बाद पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया.

कुलदीप बिश्नोई ने एक बार फिर से बीजेपी का दामन थाम लिया. उनको हरियाणा में कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन की हार का दोषी बताया गया था. उन्होंने इन चुनावों में जेजेपी और बीजेपी समर्थित समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय के पक्ष में वोट किया था, जिसके बाद पार्टी ने उनको सभी पदों से हटा दिया. 3 अगस्त को कांग्रेस से इस्तीफा देकर वह अगले ही दिन बीजेपी में शामिल हो गए थे. आज भजनलाल के दो बेटे कुलदीप बिश्नोई और चंद्र मोहन दोनों अलग-अलग पार्टियों में हैं. कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को इस बार बीजेपी ने टिकट दिया है.

कुलदीप बिश्नोई की बिश्नोई समुदाय पर पकड़ है, जिसका प्रभाव करीब 11 विधानसभा क्षेत्रों तक फैला हुआ है. ये आदमपुर, उकलाना, नलवा, हिसार, टोहाना, सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, फतेहाबाद, रतिया और लोहारू हैं. वहीं भजनलाल के बड़े बेटे चंद्र मोहन खुद को कांग्रेस के टिकट से पंचकुला के दावेदार मान रहे हैं. इसके अलावा भजनलाल के भाई दुड़ाराम पर भरोसा जताते हुए फतेहाबाद सीट से बीजेपी ने उनको फिर से टिकट दिया है. भजनलाल परिवार से इस बार तीन लोग चुनावी मैदान में होंगे, जिसमें दुड़ाराम, चंद्रमोहन और भव्य बिश्नोई शामिल हैं.

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