Political – वर्ली में आदित्य ठाकरे को मजबूती से घेर पाएंगे मिलिंद देवड़ा? 3 चुनाव के आंकड़ों से समझें कितने दमदार- #INA

वर्ली में आदित्य को मात दे पाएंगे मिलिंद?

महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे के खिलाफ मिलिंद देवड़ा के चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हैं. राज्यसभा सांसद देवड़ा अभी एकनाथ शिंदे की शिवेसना में हैं. कहा जा रहा है शिंदे ने उन्हें वर्ली विधानसभा सीट से मैदान में उतारने का मन बना लिया है. एनडीए की तरफ से वर्ली सीट शिंदे की शिवसेना को मिली है.

2019 में वर्ली से जीतकर आदित्य पहली बार विधायक बने थे. 2022 में जब शिवसेना में टूट हुई तो उद्धव से ज्यादा आदित्य ही एकनाथ शिंदे पर मुखर थे. ऐसे में आदित्य के खिलाफ मिलिंद को उताकर शिंदे बड़ा सियासी दांव खेलना चाहते हैं.

हालांकि, सियासी गलियारों में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या मिलिंद आदित्य को मात दे पाएंगे या मिलिंद के मैदान में उतरने से आदित्य को वॉकओवर मिल जाएगा?

मिलिंद और उनका सियासी करियर

कद्दावर कांग्रेसी मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद 2004 में राजनीति में आए. मुंबई दक्षिण सीट से कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा. मिलिंद 2004 और 2009 में इसी सीट से जीत कर संसद पहुंचे. 2011 में मिलिंद को मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया.

मिलिंद मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और कांग्रेस के भीतर उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता था. हालांकि, 2024 के चुनाव से पहले मिलिंद शिंदे की शिवसेना में चले गए. शिवसेना ने उन्हें राज्यसभा के लिए भेज दिया.

वर्ली में मिलिंद देवड़ा का परफॉर्मेंस

मिलिंद देवड़ा 2009, 2014 और 2019 में मुंबई दक्षिण से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. वर्ली विधानसभा सीट मुंबई दक्षिण लोकसभा में ही है. 2009 को छोड़ दिया जाए तो 2014 और 2019 में मुंबई दक्षिण से मिलिंद देवड़ा बुरी तरह हार गए.

बात वर्ली के परफॉर्मेंस की करे तो यहां पर 2009 में मिलिंद को 39 हजार, 2014 में 35 हजार और 2019 में 41 हजार वोट मिले. 2009 को छोड़कर बाकी के दोनों ही चुनाव में मिलिंद के मुकाबले शिवसेना उम्मीदवार को लगभग दोगुने वोट मिले.

2024 के चुनाव में वर्ली सीट से मिलिंद देवड़ा को टिकट नहीं मिल पाया, जिसके बाद वे एकनाथ शिंदे की पार्टी में चले गए. 2024 में वर्ली सीट पर उद्धव के उम्मीदवार को 7 हजार की बढ़त मिली थी. अरविंद सावंत यहां से उद्धव के उम्मीदवार थे.

एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने यामिनी जाधव को मुंबई साउथ से मैदान में उतारा था.

वर्ली विधानसभा सीट का जाति समीकरण

2019 के आंकड़ों के मुताबिक वर्ली में करीब 2 लाख 71 हजार मतदाता हैं. एक वक्त में यहां मनसे काफी मजबूत स्थिति में थी, लेकिन 2019 में उद्धव के बेटे के मैदान में आने से मनसे ने यहां उम्मीदवार नहीं उतारा.

जातिगत समीकरण की बात की जाए तो वर्ली सीट पर 11 प्रतिशत दलित और 9 प्रतिशत मुसलमान हैं. इसके अलावा 2.7 प्रतिशत पाटिल, 2 प्रतिशत जाधव और 2 प्रतिशत कांबले मतदाता इस क्षेत्र में हैं. वर्ली के सभी वोटर्स शहरी समुदाय के हैं.

आदित्य ठाकरे को मात दे पाएंगे मिलिंद?

मिलिंद के उम्मीदवारी के बीच चर्चा यह है कि क्या वर्ली सीट पर आदित्य ठाकरे को मिलिंद देवड़ा मात दे पाएंगे? 1990 के बाद सिर्फ एक बार इस सीट से शिवसेना हारी है. 2009 में एनसीपी के सचिन अहिर ने शिवसेना के आशीष को हरा दिया था.

2019 में आदित्य ठाकरे जब इस सीट से मैदान में उतरे, तो उनके सामने एनसीपी के सुरेश माने मैदान में थे. आदित्य ने इस चुनाव में 67 हजार वोटों से जीत हासिल की थी.

दूसरी तरफ मिलिंद का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है. 2014 से अब तक मिलिंद कोई भी चुनाव नहीं जीत पाए. हालांकि, मिलिंद के लिए 2 राहत की भी बात है. पहला, मिलिंद शिंदे की शिवसेना से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर शिंदे के उम्मीदवार सिर्फ 6 हजार वोटों से पिछड़ गए थे.

दूसरा, उद्धव ठाकरे ने महिम सीट पर राज ठाकरे के बेटे के सामने उम्मीदवार उतार दिया है. कहा जा रहा है कि राज भी आदित्य के सामने उम्मीदवार उतार सकते हैं. ऐसा होता है तो यहां का मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.

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