Political – जम्मू-कश्मीर में आरक्षित सीटें किसकी करेंगी सत्ता सुरक्षित, समझें 16 सीटों का सियासी गणित- #INA

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024

जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव 2014 के मुकाबले काफी अलग है. अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है. इसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया में जम्मू और कश्मीर की विधानसभा सीटों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं रह गया है. इतना ही नहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा सीटें रिजर्व हो गई हैं. यह आरक्षित सीटें सत्ता को सुरक्षित करने में अहम रोल अदा करेंगी, जिन्हें किंगमेकर माना जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 16 विधानसभा सीटें आरक्षित की गई हैं. इसमें अनुसूचित जाति की सात और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ विधानसभा सीटें आरक्षित की गई हैं. पहली बार एससी और एसटी आरक्षण से इस वर्ग से जुड़े मतदाताओं में खासा उत्साह है. इन 16 सुरक्षित विधानसभा सीटों पर जो पार्टी अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहती हैं, वो निर्णायक भूमिका में होंगी.

एससी-एसटी की आरक्षित सीटें

केंद्र शासित प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सात सीटें- बिश्नाह, सुचेतगढ़, मढ़, अखनूर, रामगढ़, कठुआ और रामनगर हैं. इस तरह से अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं. इसमें गुलाबगढ़, कोकरनाग, राजौरी, थन्नामंडी, बुद्धल, सुरनकोट, मेंढर, कंगन और गुरेज सीट है. आरक्षित 16 सीटों में 13 जम्मू संभाग की हैं तो तीन सीट कश्मीर रीजन की हैं. कश्मीर में एसटी आरक्षित सीटें हैं जबकि एससी आरक्षित सीटें जम्मू में है.

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चुनावी नतीजों के लिहाज से

जम्मू-कश्मीर में 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों के लिहाज से देखें तो आरक्षित विधानसभा सीटों के सियासी मिजाज को बखूबी समझा जा सकता है. बीजेपी ने पांच संसदीय सीटों में से दो सीटें जीती थीं, जिनमें से छह आरक्षित विधानसभा सीटों पर उसे बढ़त मिली थी. इसी तरह नेशनल कॉन्फ्रेंस को सात सुरक्षित विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी जबकि कांग्रेस ने सिर्फ दो सुरक्षित सीटों पर लीड किया था और एक सीट पर अपनी पार्टी ने बढ़त हासिल की थी.

किस पार्टी ने जीती कितनी सीट?

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सात सीटों में से छह सीट पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस आगे रही थी. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नौ में सात सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और एक सीट पर कांग्रेस, एक पर अपनी पार्टी ने बढ़त हासिल की था. जम्मू में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सुचेतगढ़ की सीट पर कांग्रेस को बीजेपी उम्मीदवार से अधिक मत मिले थे.

13 विधानसभा सीटों का समीकरण

वहीं, अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व 13 विधानसभा सीटों का समीकरण देखें तो पांच सीटें राजौरी और पुंछ जिले में आती हैं. इन दोनों क्षेत्रों में पहाड़ी और गुर्जर मतदाता बड़ी संख्या में है. जम्मू-कश्मीर में ये दोनों ही समुदाय अनुसूचित जनजाति में आती हैं, लेकिन एक दूसरे के विरोधी मानी जाती हैं. अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद मोदी सरकार ने पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर पहाड़ी समुदाय को अपने पक्ष में करने का दांव चला था. इस फैसले से गुर्जर समुदाय की बीजेपी के प्रति नाराजगी मानी जा रही है. ऐसे में चुनाव में भी ऐसी ही नाराजगी बनी रही तो बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ सकती है.

राजौरी-पुंछ का बदला समीकरण

अनुसूचित जनजाति को आरक्षण मिलने से खासकर राजौरी-पुंछ जिले में समीकरण बदले हैं. पहले यहां की कोई सीट आरक्षित नहीं थी, लेकिन इस बार आरक्षण से यहां पहाड़ी और गुर्जर समुदाय का दबदबा बढ़ गया. कश्मीर में भी तीन सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुई हैं, यहां पहाड़ी और गुर्जर समुदाय के वोटर हैं. लोकसभा चुनाव में इन सभी तीन सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बढ़त हासिल की थी. घाटी में एक भी सीट अनुसूचित जाति के लिए नहीं रखी है सभी सातों सीटें जम्मू क्षेत्र में हैं.

परिसीमन के बाद बढ़ी सीटें

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद सियासी स्थिति बदल गई है. राज्य की विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद बढ़ी सात सीटों में जम्मू क्षेत्र की विधानसभा सीटें 37 से बढ़कर 43 और कश्मीर की 46 से 47 हो गई हैं. जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में अब बहुत ज्यादा सीटों का अंतर नहीं रह गया है. जम्मू क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा है तो कश्मीर क्षेत्र में क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व है.

पहली बार एसटी के लिए सीटें रिजर्व

राज्य में पहली बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें रिजर्व की गई हैं. अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 16 सीटें रिजर्व की हैं. इनमें से अनुसूचित जाति के लिए 7 और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें रखी गई हैं. एससी के लिए रिजर्व सभी सातों सीटें जम्मू क्षेत्र में हैं तो एसटी के लिए रिजर्व 9 सीटों में से 3 सीटें कश्मीर रीजन में तो बाकी सीटें जम्मू क्षेत्र में है. इस तरह से राज्य में सरकार बनाने के लिए 46 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करना होगा.

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