Political – J&K: इंजीनियर राशिद और जमात-ए-इस्लामी के साथ आने के मायने…मुफ्ती-अब्दुल्ला की बढ़ेंगी मुश्किलें?- #INA

महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, शेख इंजीनियर राशिद, गुलाम कादिर वानी

जम्मू कश्मीर में वोटिंग से ऐन पहले बारामूला से सांसद इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी में गठबंधन हो गया है. पहले चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने के महज एक दिन पहले आनन-फानन में हुए इस समझौते को ‘रणनीतिक गठबंधन’ का नाम दिया गया है. कहा जा रहा है कि यह नया मोर्चा नॉर्थ और सेंट्रल कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस की जबकि दक्षिण कश्मीर में पीडीपी का खेल बिगाड़ सकता है.

एआईपी की ओर से इंजीनियर राशिद और जमात की तरफ से गुलाम कादिर वानी के बीच हुई एक बैठक के बाद गठबंधन पर आखिरी मुहर लगा. वानी उस आठ सदस्यीय जमात पैनल के मुखिया हैं, जिसने चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया. वरना जमात पिछले तीन दशक से चुनावों का बहिष्कार करती रही है. वहीं, इंजीनियर राशिद हालिया लोकसभा चुनाव में उत्तरी कश्मीर में दो दिग्गज (पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपल्स कांफ्रेंस के मुखिया सज्जाद लोन) को हराकर सुर्खियों में बने हुए हैं.

इस स्टोरी में यह समझने की कोशिश होगी कि ये मोर्चा कश्मीर में किन सीटों पर चुनाव लड़ रहा है और इनके साथ आने, एक मोर्चा की तरह खुद को आगे करने को क्यों कश्मीर की सियासत में एक नया मोड़ कहा जा रहा है?

हालिया परिसीमन के बाद कश्मीर में 47 सीटें हो चुकी हैं. नॉर्थ कश्मीर – 16, सेंट्रल कश्मीर – 15 और साउथ कश्मीर – 16 सीटों को समेटे हुए है. साउथ कश्मीर में पहले चऱण (18 सितंबर), सेंट्रल कश्मीर में दूसरे चरण (25 सितंबर) और नॉर्थ कश्मीर में तीसरे चरण (1 अक्टूबर) को वोट डाले जाने हैं.

सबसे पहले समझते हैं कि जमात और रशीद की पार्टी एआईपी ने कितने और कहां अपने कैंडिडेट्स खड़े किए हैं.

1. जमात ने किन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए?

प्रतिबंधित संगठन जमात ने कश्मीर घाटी में कुल 9 उम्मीदवारों खड़े किए हैं. इसके अलावा शोपियां जिले की जैनापोरा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अजाज अहमद मीर को भी जमात का समर्थन है. मीर महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से विधायक रह चुके हैं. इस बार टिकट कटने के बाद वह बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया. बाद में जमात का समर्थन मिल गया.

इस तरह, सीधे तौर पर जमात समर्थित कुल 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. अगर चरण दर चरण चुनाव की बात की जाए तो जमात पहले चरण में पुलवामा, कुलगाम, देवसर और जैनापोरा (साउथ कश्मीर की 5 सीटों) पर अपनी किस्मत आजमा रहा है.जबकि दूसरे चरण में बीरवाह (सेंट्रल कश्मीर की 1 सीट) और तीसरे चरण की लांगेट, बारामूला, सोपोर, रफियाबाद और बांदीपोरा (उत्तरी कश्मीर की कुल 5 सीट) से जमात के उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है.

जमात के चुनाव लड़ने को लेकर संगठन के भीतर और बाहर राय बंटी हुई है. पीडीपी जैसी जम्मू कश्मीर की अहम क्षेत्रीय पार्टी असल जमात को जेल के भीतर बता रही है. दूसरी तरफ वोटिंग से ठीक पहले इंजीनियर रशीद की जमानत को भी पीडीपी-नेशनल कांफ्रेंस बीजेपी से सांठगांठ के तौर पर पेश कर रहे हैं.

2. इंजीनियर राशिद की पार्टी कितनी सीटों पर मैदान में?

इंजीनियर राशिद उत्तरी कश्मीर की लोकसभा सीट (बारामूला) से सांसद चुने गए थे और इसी इलाके में इनका प्रभाव माना जाता है. वह इसलिए भी क्योंकि वे यहां की लांगेट सीट से 2008 और 2014 में निर्दलीय विधायक चुने गए जो बड़ी बात थी. मगर पिछले लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने के बाद वह इस विधानसभा चुनाव में एक नई राजनीतिक लकीर खींचने की कोशिश कर रहे हैं. और इसीलिए वह अपना दायरा दक्षिणी और मध्य कश्मीर में भी फैला रहे हैं.

इंजीनियर राशिद की एआईपी ने 33 उम्मीदवार घाटी में और 1 कैंडिडेट जम्मू में उतारा है. मतलब ये कश्मीर की दो तिहाई से ज्यादा सीटों पर इंजीनियर राशिद की पार्टी का चुनाव लड़ना घाटी में एआईपी को एक नए विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश है.ध्यान रहे आवामी इत्तेहाद पार्टी चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड नहीं है. इसलिए उसके दावेदार भी जमात ही की तरह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

रशीद की पार्टी नॉर्थ कश्मीर की लांगेट, पट्टन; दक्षिणी कश्मीर की अनंतनाग, पुलवामा, जैनापोरा; और सेंट्रल कश्मीर की खानयार, बडगाम और बीरवाह जैसी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर घाटी की प्रमुख मोर्चों (एनसी-कांग्रेस, पीडपी) के लिए मुसीबत बन बैठी है.

जमात और इंजीनियर राशिद के बीच किन सीटों को लेकर करार हुआ है और क्यों इन्हें पीडीपी-एनसी के लिए मुसीबत कहा जा रहा है.

जमात और एआईपी में किस करार के तहत हुआ गठबंधन?

एआईपी और जमात ए इस्लामी, दोनों ही कश्मीर मुद्दे के समाधान के पक्षधर हैं. हालांकि, इस चुनाव में वह अपने पुराने तरीकों से जरा हटके रणनीतिक तौर पर वोट मांग रहे हैं. जहां उनका नारा है – जेल का बदला…वोट से. पीएसए का बदला…वोट से. यूएपीए का बदला…वोट से.

दोनों ही समूहों के बीच जो गठबंधन हुआ है, उसके तहत दक्षिणी कश्मीर की कुलगाम और पुलवामा सीट पर इंजीनियर की पार्टी जमात के उम्मीदवारों को समर्थन देगी. वहीं, जमात पूरे कश्मीर में राशिद की पार्टी के पक्ष में वोट देने की अपील करेगी. हां, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ही की तरह कुछ सीटों पर दोनों के बीच फ्रेंडली मुकाबला होगा. मसलन नॉर्थ कश्मीर की लांगेट सीट. साउथ कश्मीर की देवसर और जैनापोरा सीट.

एआईपी और जमात का गठबंधन जाहिर तौर पर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंंस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. क्योंकि कई छोटी पार्टियों (पीपल्स कांफ्रेंस, अपनी पार्टी, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी) और निर्दलीय उम्मीदवारों के खड़ा हो जाने के बाद घाटी का मुकाबला पहले ही से करीबी हो चुका है. ऐसे में, ये नया गठबंधन की चुनाव परिणामों को एक नया रुख दे सकता है.

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