Political – J&K चुनावः दूसरे चरण में पूर्व CM, BJP-कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर ‘आजादी चाचा’ समेत इन 5 अहम चेहरों की किस्मत दांव पर- #INA
जम्मू कश्मीर चुनाव, दूसरा चरण (उमर अब्दुल्ला, रविंदर रैना, तारीक हमीद कर्रा, अल्ताफ बुखारी,
सईद मुश्ताक बुखारी)
जम्मू कश्मीर में कल, बुधवार को दूसरे चरण की वोटिंग होगी. जम्मू की 11 और कश्मीर की 15 सीटों के लिए कुल 26 लाख के करीब मतदाता वोट करेंगे. जम्मू के तीन जिलों – रियासी, पुंछ और राजौरी; और कश्मीर के तीन जिलों – गांदरबल, श्रीनगर और बड़गाम में वोट डाले जाने के बाद 239 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो जाएगा. एक ओर नेशनल कांफ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जहां कश्मीर की ज्यादातर सीटों पर जीत का ख्वाब बुन रही हैं तो भारतीय जनता पार्टी जम्मू के पीर पंजाल घाटी (यानी राजौरी-पुंछ के इलाके) में कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन को पटखनी देने की कोशिश में हैं.
आइये एक नजर उन प्रमुख नामों पर डालें जिनकी साख दूसरे चरण में दांव पर लगी हुई है
1. उमर अब्दुल्ला – शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के मुकाबले 2 लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से बारामूला लोकसभा सीट हारने के बाद उमर इस चुनाव में एक बैकअप प्लान के साथ उतरे हैं. नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और 2009 से 2015 के बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके अब्दुल्ला सेंट्रल कश्मीर की दो सीटों – गांदरबल और बड़गाम से चुनावी मुकाबले में हैं. गांदरबल विधानसभा का प्रतिनिधित्व अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढ़ी (शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला) कर चुकी है.
मगर 2002 ही की तरह इस बार यहां की लड़ाई आसान नहीं लग रही. 2014 में नेशनल कांफ्रेंस के टिकट पर इस सीट से विधायक चुने गए इश्फाक अहमद… उमर के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इश्फाक के अलावा कांग्रेस के हाल तक गांदरबल जिले के अध्यक्ष रहे साहिल फारूक का एनसी-कांग्रेस गठबंधन से खफा हो चुनाव लड़ना उमर की मुसीबतें बढ़ा सकता है. इतना ही नहीं इंजीनियर रशीद की पार्टी ने शेख आशिक को उमर के खिलाफ उतारकर मामला और कांटे का बना दिया है.
इन सब से भी बढ़कर जेल में बंद सर्जन बरकाती (घाटी में आजादी चाचा के नाम से मशहूर) के पक्ष में उनकी बेटी का चुनाव प्रचार करना इंजीनियर रशीद की तर्ज पर कुछ सहानुभूति वोट जुटा सकता है. इन चार प्रमुख दावेदारों के अलावा पीडीपी के बशीर अहमद मीर भी उमर की जीत मुश्किल बनाए हुए हैं. गांदरबल के लोगों के सामने अपनी टोपी उतारकर सम्मान की रक्षा के नाम पर वोट मांगना उमर को कितना लाभ पहुंचाएगा, इसका फैसला बुधवार को हो जाएगा.
गांदरबल की तुलना में बड़गाम की सीट पर उमर अब्दुल्ला के बढ़त की बात हो रही है. यहां उनके सामने पीडीपी के सईद मुंतजीर मेहदी हैं, जिनके परिवार का शिया समुदाय में अच्छा-खासा रसूख है. मगर उनके चाचा और श्रीनगर से सांसद सईद रुहुल्ला मेहदी चूंकि नेशनल कांफ्रेंस में हैं, बहुत मुमकिन है वे उमर की राह को आसान करें. इसके अलावा वोटिंग से ऐन पहले जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के नेता मुंतजिर मोहिउद्दीन के इस सीट पर उमर को समर्थन देने से बड़गाम में उनकी लड़ाई आसान हो गई है.
2. तारीक हमीद कर्रा – कांग्रेस छोड़ने के बाद जब जम्मू कश्मीर के कद्दावर नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 1999 में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नींव डालने की तरफ कदम बढ़ाया तो मुफ्ती के साथ जो गिने-चुने लोग थे, उनमें एक तारीक हमीद कर्रा थे. कर्रा का शुरुआती चुनावी प्रदर्शन काफी मिला जुला रहा. पीडीपी की स्थापना के बाद पहले दो चुनाव – 2002, 2008 वह हार गए. मगर 2014 में उन्होंने श्रीनगर की सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के सद्र फारूक अब्दुल्ला को हराकर अपना लोहा मनवाया.
ये करामात उन्होंने पीडीपी में रहते हुए किया था पर पार्टी से उनका साथ लंबा नहीं चला और वह फरवरी 2017 में कांग्रेस में शामिल हो गए. हालिया विधानसभा चुनाव की घोषणा के ठीक बाद कांग्रेस ने विकार रसूल की जगह जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष कर्रा साहब को बना दिया और वह श्रीनगर जिले की सेंट्रल शालटेंग सीट से एनसी-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतरे. उनका मुकाबला यहां पीडीपी के अब्दुल कयूम भट्ट, अपनी पार्टी के जफ्फर हबीब डार से है.
3. रविंदर रैना – दूसरा चरण केवल जम्मू कश्मीर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ही नहीं बल्कि भारतीय जनता के अध्यक्ष रविंदर रैना के लिए भी महत्त्वपूर्ण है. बीजेपी को इस चुनाव में सारी उम्मीदें जम्मू से है और जम्मू की कमान रैना के पास है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक रैना जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ रहे सबसे गरीब उम्मीदवारों में से एक हैं. रैना ने अपने शपथपत्र में बताया है कि उनके पास महज 1 हजार रुपये कैश है. इसके अलावा उनके पास कोई चल-अचल संपत्ति नहीं है.
राजौरी जिले के अंतर्गत आने वाली नौशेरा सीट से वह 2014 में पहली बार विधायक चुने गए थे. इस दफा दोबारा वह इस सीट से चुनाव जीतने की जुगत में हैं. रैना का मुकाबला पीडीपी के हक नवाज और नेशनल कांफ्रेंस के सुरिंदर कुमार चौधरी से है. नौशेरा सीट पर केवल 5 कैंडिडेट्स हैं. पीडीपी, बीजेपी, एनसी के अलावा यहां बहुजन समाज पार्टी के एक और एक निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं मगर लड़ाई बहुत मुमकिन है कि एनसी और बीजेपी में ही हो. एनसी और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं.
4. अल्ताफ बुखारी – लाजवाब चुनाव है ये. दूसरे चरण में एक ओर रविंदर रैना हैं, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष. जिनकी कुल संपत्ति मात्र 1 हजार रुपये है. वहीं दूसरी तरफ बिजनेसमैन से राजनेता बने अल्ताफ बुखारी भी, जो 155 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के सबसे अमीर कैंडिडेट हैं. जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद जब सभी नेता नजरबंद या जेल में थे तो बुखारी ने अपनी पार्टी की आधारशिला रखी. राज्य के शिक्षा मंत्री रह चुके बुखारी की पार्टी का नाम ही अपनी पार्टी है.
डीडीसी और हालिया लोकसभा चुनाव में इस पार्टी का प्रदर्शन बुरा रहा है. मगर विधानसभा चुनाव में श्रीनगर जिले की चन्नापोरा सीट से बुखारी को उम्मीद है कि वह अपनी खोई प्रतिष्ठा हासिल करेंगे. उन पर जो बीजेपी के प्रॉक्सी होने का इल्जाम विपक्षी पार्टियां लगा रही हैं, वह उसे भी गलत साबित कर देंगे. चन्नापोरा विधानसभा परिसीमन से पहले अमीराकदल कही जाती थी और लंबे समय तक नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ रही. बुखारी का मुकाबला यहां पीडीपी के इकबाल ट्रूंबू और एनसी के मुश्ताक अहमद गुरू से है.
5. सईद मुश्ताक बुखारी – एक बुखारी दूसरे चरण में और हैं जिनकी चर्चा वैसे तो नेशनल मीडिया में तो उतनी नहीं हो रही मगर जिस मजबूती के साथ वह पीर पंजाल के इलाके में भाजपा के लिए लगे हुए हैं, बीजेपी को उससे लंबा फायदा मिलने के आसार हैं. मंत्री रह चुके और दिग्गज पहाड़ी नेता मुश्ताक बुखारी ने इस साल की शुरुआत में भाजपा का दामना तब थामा जब केंद्र में मोदी सरकार ने पहाड़ियों को एसटी का दर्जा दे दिया.
बुखारी करीब 40 साल तक नेशनल कांफ्रेंस के बड़े पहाड़ी नेता थे. पर पहाड़ी समुदाय को एसटी दर्जे के सवाल पर वह एनसी से अलग हो गए. बुखारी की एक दूसरी पहचान धार्मिक नेता की भी है और उनके मानने वाले उन्हें पीर साहब कहते हैं. मुश्ताक बुखारी इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर सुरनकोट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका यहां मुकाबला पीडीपी के जावेद इकबाल और कांग्रेस के मोहम्मद शाहनवाज से है.
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