Political – एकनाथ शिंदे को उनके ही दांव से उद्धव ठाकरे देना चाहते हैं मात, भतीजे के खिलाफ चाचा शरद पवार ने बिछाई बिसात- #INA

अपने-अपने बागियों को सबक सीखाने को तैयार ठाकरे और शरद पवार

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शह-मात का खेल शुरू हो चुका है. राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के नाम जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी स्थिति भी साफ होती जा रही है. उद्धव ठाकरे और शरद पवार अपनी-अपनी पार्टी में पड़े फूट वाले दर्द को भुला नहीं पाए हैं. ऐसे में उद्धव अब एकनाथ शिंदे से हिसाब बराबर करना चाहते हैं तो शरद पवार ने अपने भतीजे अजीत पवार को सियासी सबक सिखाने की ठान रखी है. उद्धव और शरद ने अब अपना-अपना सियासी पावर दिखाने के लिए शिंदे और अजीत के खिलाफ जबरदस्त चक्रव्यूह रचा है!

उद्धव ठाकरे का तख्तपलट कर मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे अपनी परंपरागत कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा सीट से एक बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं. उद्धव ठाकरे ने शिंदे को उनके ही घर में घेरने के लिए शिवसेना के दिग्गज नेता आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को उम्मीदवार बनाया है. इसी तरह शरद पवार के साथ एनसीपी छीनने वाले अजीत पवार बारामती विधानसभा सीट से एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे. शरद पवार ने अजीत से सियासी हिसाब करने के लिए अपने पोते युगेंद्र पवार को उतारकर जबरदस्त घेराबंदी की है.

शिंदे के खिलाफ उद्धव ने खेला दीघे दांव

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की कोपरी-पचपाखड़ी सीट हाईप्रोफाइल बन गई है. शिवेसना के टिकट पर सीएम एकनाथ शिंदे चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से तीन बार से वो लगातार विधायक हैं. शिंदे के खिलाफ शिवसेना के दिग्गज नेता दिवंगत आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को उद्धव ठाकरे ने अपनी शिवसेना से टिकट देकर बड़ा सियासी दांव चला है. यह वही आनंद दिघे हैं जिनकी उंगली पकड़कर एकनाथ शिंदे राजनीति में आए थे. शिंदे दिवंगत आनंद दिघे को अपना राजनीतिक गुरु बताते हैं, उन्होंने बाल ठाकरे की विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा पर जोर दिया था.

ये भी पढ़ें

उद्धव ठाकरे ने राजनीतिक चोट खाने के बाद आनंद दिघे की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने और एकनाथ शिंदे की सियासत को काउंटर करने के लिए केदार दिघे को उतारा है. शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के सबसे करीबी नेताओं में आनंद दिघे का नाम आता था. बाल ठाकरे के हिंदुत्व और मराठी अस्मिता को लेकर आनंद दिघे आगे बढ़े. शिवसेना के एक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने अपनी सियासी पारी का आगाज किया, जिससे प्रभावित होकर ठाकरे ने उन्हें ठाणे में पार्टी को खड़ी करने का जिम्मा सौंप दिया था.

शिवसेना ठाणे जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद आनंज दिघे पार्टी कार्यालय में ही रहने लगे. दिघे का शिवसेना की स्थानीय इकाई पर मजबूत नियंत्रण था. उन्होंने ठाणे इलाके में शिवसेना का परचम बुलंद कर दिया था. आनंद दिघे के निधन के बाद एकनाथ शिंदे को शिवसेना की कमान मिली थी. उद्धव ठाकरे ने उन्हें शिवसेना में नंबर दो की हैसियत दी. लेकिन शिंदे ने उद्धव से शिवसेना छीन ली तो उद्धव ठाकरे ने ठाणे में आनंद दिघे के भतीजे को बागडोर सौंप दी और अब केदार दिघे को सीएम शिंदे के खिलाफ चुनाव में उतार दिया है.

शिंदे क्या केदार दिघे को दे पाएंगे मात

कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा सीट पर एकनाथ शिंदे चौधरी एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे हैं, लेकिन इस बार स्थिति अलग है. शिंदे को जरूर बीजेपी और अजीत पवार की एनसीपी का समर्थन हासिल है, लेकिन उद्धव ठाकरे उन्हें सबक सिखाना चाहते हैं. इसीलिए शिंदे के खिलाफ उद्धव ने आनंद दिघे के भतीजे केदार को प्रत्याशी बनाया है, जिन्हें शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी (एस) का समर्थन हासिल है. इसके चलते मुकाबला काफी रोचक हो गया है.

CM शिंदे पिछले तीन चुनाव जीत चुके हैं और दो बार उन्हें एक लाख से ज्यादा वोट मिले. इस बार देखना है कि शिंदे क्या केदार दिघे से मुकाबला कर पाएंगे या फिर उद्धव ठाकरे के दांव से चित हो जाएंगे?

बारामती में फिर पवार बनाम पवार

महाराष्ट्र की बारामती विधानसभा सीट पर एनसीपी प्रमुख और डिप्टी सीएम अजित पवार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. अजीत पवार के खिलाफ शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र पवार को इंडिया गठबंधन से उतारा है. शरद पवार के एनसीपी की बागडोर छीनने वाले अजीत पवार के चलते ही लोकसभा चुनाव में बारामती सीट पर पवार बनाम पवार ही नहीं बल्कि ननद-भाभी के बीच सियासी मुकाबला हुआ था. तब अजित ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को उतारा था, लेकिन ननद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने सीधे मुकाबले में हरा दिया. इस तरह शरद पवार ने अजीत पवार के सियासी मंसूबों पर पानी फेर दिया था.

बारामती में चार महीने के बाद अब एक बार फिर पवार परिवार के बीच लड़ाई का मंच तैयार हो गया है. शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र को अजीत पवार के खिलाफ टिकट दिया है. युगेंद्र, शरद पवार के पोते हैं तो अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं. युगेंद्र के मैदान में उतरने से अजित पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

अजीत बारामती से अब तक सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन अब आठवीं बार उनके लिए रास्ता कठिन हो गया है. बारामती का चुनाव पवार फैमिली के बीच हो गया है. माना जा रहा है कि शरद पवार अपने पोते को उतारकर अजीत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.

अजीत को शरद दिखाएंगे सियासी पावर

अजीत पवार ने कभी अपने चाचा शरद पवार की उंगली पकड़कर राजनीति में कदम रखा था, लेकिन जुलाई 2023 में उन्होंने शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दिया था. एनसीपी के 40 विधायकों को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल हो गए थे. पार्टी का बड़ा गुट अजीत के साथ चला गया. इसके चलते शरद के हाथ से पार्टी चली गई थी. शरद पवार ने इस हिसाब लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाकर किया और अजीत को उनके गढ़ बारामती में मात दे दिया.

शरद पवार ने बारामती से अपनी बेटी सुप्रिया सुले को ही नहीं जिताया बल्कि पश्चिमी भतीजे को महाराष्ट्र में धूल भी चटा दी. अब अजीत पवार फिर से किस्मत आजमाने उतरे हैं तो शरद पवार ने भी पवार दांव चल दिया है. इस तरह शरद पवार एक फिर से अपना पावर दिखाना चाहते हैं.

बारामती बेल्ट में शरद पवार की सियासी तूती बोलती है. शरद पवार से अलग हटकर अजीत पवार अपनी पहली बाजी हार चुके हैं और अब फिर से मैदान में उतरे हैं. इस बार शरद पवार ने जिस तरह से अजीत के खिलाफ युगेंद्र को उतारा है, उसके चलते मुकाबला रोचक हो गया है.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button