Political – सैलजा को साधने में कहीं रूठ न जाएं हुड्डा, राहुल गांधी ने ऐसा बनाया ‘टू-वे’ प्लान- #INA
राहुल गांधी, कुमारी सैलजा, भूपिंदर सिंह हुड्डा
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की सियासी अदावत कांग्रेस की सियासत के लिए टेंशन का सबब बन गई है. सैलजा कांग्रेस की दलित चेहरा हैं तो हुड्डा जाटों के मजबूत नेता माने जाते हैं. जाट-दलित समीकरण के सहारे कांग्रेस दस साल से चले आ रहे सियासी वनवास को खत्म करने की कवायद में है, लेकिन सैलजा की नाराजगी ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी थी. कांग्रेस हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद कुमारी सैलजा मान गई हैं, लेकिन कहीं हुड्डा न हो जाएं नाराज. इसके लिए राहुल गांधी ने दोनों ही नेताओं को साधे रखने लिए ‘संतुलन प्लान’ बनाया है.
राहल गांधी हरियाणा में अपने चुनावी अभियान का आगाज गुरुवार को करनाल के असंध विधानसभा सीट से कर रहे हैं. इसके बाद हिसार के बरवाला में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे. राहुल गांधी की जिन दो क्षेत्र में रैली है, उसमें एक सीट पर सैलजा के करीबी तो दूसरे पर हुड्डा के नजदीकी चुनाव लड़ रहे हैं. इस तरह राहुल गांधी ने हरियाणा में दोनों ही नेताओं के गुटों को साधने के साथ-साथ दलित और जाट समुदाय को भी सियासी संदेश देने की स्ट्रैटेजी अपनाई है.
सैलजा की नाराजगी, BJP का एजेंडा
हरियाणा में कांग्रेस की वापसी का सारा दारोमदार जाट और दलित समीकरण पर टिका हुआ है. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसी फॉर्मूले के दम पर राज्य की 10 संसदीय सीटों में से 5 सीटें जीतने में कामयाब रही. इस जीत ने ही कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद दिखाई, लेकिन टिकट बंटवारे के बाद कुमारी सैलजा ने जिस तरह से चुनाव से दूरी बनाकर खामोशी इख्तियार कर रखी थी. बीजेपी दलित स्वाभिमान से जोड़कर कांग्रेस के खिलाफ एजेंडा सेट तैयार करने में जुट गई थी.
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ऐसे चला संतुलन बनाने का दांव
बीजेपी हरियाणा में कांग्रेस की छवि को दलित और आरक्षण विरोधी बनाने वाला नैरेटिव सेट करने में जुट गई थी. सैलजा के बहाने दलितों के अपमान से मुद्दे को जोड़ते हुए बीजेपी फायदा उठाना चाहती थी. ऐसे में राहुल गांधी ने हरियाणा के चुनाव प्रचार में उतरने से पहले सैलजा की नाराजगी दूर कर उन्हें मना लिया है. गुरुवार को राहुल गांधी हरियाणा में अपनी पहली रैली सैलजा के करीबी शमशेर सिंह की असंध सीट पर करेंगे. इसके बाद राहुल गांधी दूसरी रैली भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के करीबी रामनिवास घोड़ेला की सीट पर बरवाला में जनसभा करेंगे. इस तरह राहुल गांधी ने हुड्डा और सैलजा के बीच संतुलन बनाने का दांव चला है.
ऑल इज वेल का संदेश दिया
राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव प्रचार के लिए जिन दोनों सीटों का सिलेक्शन किया है, उन पर बीजेपी का कोई खास असर नहीं है. बरवाला सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है तो असंध सीट पर इनेलो जीत का परचम फहराती रही है. असंध सीट पर इनेलो का ज्यादा दबदबा रहा है. असंध सीट पर 2014 में बीजेपी जीती थी, लेकिन 2019 में कांग्रेस ने अपने नाम किया था. इस तरह से राहुल गांधी ने कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक मंच पर लाकर ऑल इज वेल का संदेश दिया है.
दोनों को जोड़कर रखना चाहती है पार्टी
हुड्डा और सैलजा को एक साथ एक मंच पर लाना राहुल गांधी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी ही पार्टी के लिए महंगी पड़ती रही है. राहुल गांधी इस बार हरियाणा में अंतर्विरोध को खत्म करने का संदेश दे चुके हैं. चुनावी तपिश के बीच सैलजा की नाराजगी को जिस तरह बीजेपी ने मुद्दा बनाया है, उसके बाद अब कांग्रेस हुड्डा को नाराज कर जाट समुदाय की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगी. इसलिए राहुल गांधी हुड्डा और सैलजा दोनों को साधकर जाट और दलित दोनों ही समुदाय को अपने साथ जोड़कर रखना चाहती है.
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