Political – इधर हुड्डा, उधर शाह की बढ़ी टेंशन… हरियाणा में किन-किन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं बागी?- #INA

अमित शाह और भूपिंदर हुड्डा

हरियाणा के चुनावी रण में एक तरफ बीजेपी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस. दोनों पार्टियों के सीधे मुकाबले को जेजेपी, इनेलो और आप जैसी पार्टियां त्रिकोणीय बनाने में जुटी है, लेकिन इन पार्टियों से ज्यादा बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन अपनों ने ही बढ़ा रखी है. वजह बागियों के सियासी खेल बिगाड़ने की रणनीति है.

कहा जा रहा है कि इस बार हरियाणा में जैसी स्थिति है, उसमें करीब एक दर्जन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का खेल उनके अपने ही खराब कर सकते हैं. दोनों पार्टियों के भीतर यह डर झलक भी रहा है. शुक्रवार को जहां रेवाड़ी के मंच से बीजेपी के अमित शाह ने बागियों को तरजीह न देने की बात कही. वहीं कांग्रेस ने बात नहीं मानने वाले 13 बागियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

कांग्रेस ने 14 बागियों को बाहर किया

अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले 14 बागियों को कांग्रेस ने बाहर कर दिया है. पार्टी ने सबसे पहले अंबाला से चुनाव लड़ रही चित्रा सरवारा को सस्पेंड किया. इसके बाद 13 अन्य बागियों को बाहर का रास्ता दिखाया है.

कांग्रेस ने जिन बागियों को पार्टी से बाहर किया है. उनमें गुहिया से नरेश ढांडे, जींद से प्रदीप गिल, पुंडरी से सजन्न ढुल और सुनिता बैट्टन, निलोखेरी से राजीव गोंदर और दयाल सिरोही, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, उचाना कलां से दिलबाग, दादरी से अजित फोगाट, भिवानी से अभिजीत सिंह, भवानी-खेरा से सतबीर रतेला, पृथला से नीतू मान और कलायत से अनिता ढुल का नाम शामिल हैं.

कहा जा रहा है कि ये सभी बागी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की टेंशन बढ़ा रहे थे. कांग्रेस के ये सभी बागी 6-6 साल के लिए निकाले गए हैं.

Haryana Rebel

सावित्री जिंदल, प्रदीप गिल और चित्रा सरवारा.

बीजेपी के बागियों से शाह भी टेंशन में

एक तरफ जहां बागियों पर शिकंजा कस कांग्रेस माहौल को सेट करने में जुटी है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी बागियों की वजह से टेंशन में दिख रही है. शुक्रवार (27 सितंबर) को इसकी झलक अमित शाह की रैली में देखने को मिली.

रेवाड़ी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि कुछ लोग पार्टी के खिलाफ ही खड़े हो गए हैं. उन लोगों पर ध्यान नहीं देना है. पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के पक्ष में ही मतदान करना है.

पार्टी ने अभी तक किसी भी बागियों पर सख्ती नहीं दिखाई है, लेकिन कहा जा रहा है कि जल्द ही बागी नेताओं पर कार्रवाई हो सकती है.

बागी कैसे बिगाड़ सकते हैं पार्टियों का खेल?

हरियाणा के चुनाव में इस बार कांग्रेस से 29 और बीजेपी से 19 बागी मैदान में है. इनमें कई बागी पूर्व विधायक हैं. बात पहले बीजेपी की करें तो जिन सीटों पर बागियों ने पार्टी की टेंशन बढ़ा रखी है. उनमें मुख्यमंत्री की सीट लाडवा, रेवाड़ी, तोशम, हिसार, भिवानी, पृथला, बेरी, रानिया, पुंडरी और गन्नौर प्रमुख हैं.

पृथला और हिसार सीट पर तो दो-दो बागी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ने के लिए मैदान में हैं. हिसार में उद्योगपति सावित्री जिंदल और गौतम सरदाना निर्दलीय लड़ रहे हैं. इसी तरह पृथला से नयन पाल रावत और दीपक डागर चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं.

रेवाड़ी की 3 सीटों पर भी बागियों की वजह से बीजेपी टेंशन में है. यहां 2019 में बागी पार्टी की खेल बिगाड़ चुके हैं. रेवाड़ी से इस बार सतीश यादव, प्रशांत यादव पार्टी के अधिकृत उम्मदीवार के खिलाफ मैदान में हैं. इन नेताओं की नाराजगी राव इंद्रजीत सिंह से है.

कांग्रेस में इस बार 29 बागी मैदान में हैं. हालांकि, पार्टी के लिए राहत की बात यह है कि ये सभी बागी कुछ ही सीटों पर असरदार हैं. कांग्रेस को जिन-जिन सीटों पर बागियों का डर सता रहा है, उनमें कलायत, पृथला, जींद, उचाना कलां, पुंडरी, भिवानी और अंबाला कैंट सीट शामिल हैं.

कांग्रेस में जिन सीटों पर बागी मैदान में हैं, उनमें अधिकांश हुड्डा गुट के खिलाफ ही लड़ रहे हैं. कलायत से कांग्रेस के चार बागी सतविंदर, अनिता ढुल, दीपक और सुमित मैदान में हैं. इसी तरह पुंडरी से 3 बागी मैदान में थे, लेकिन पार्टी ने एक बागी रणधीर गोलेन को आखिरी वक्त में मना लिया है.

कांग्रेस को उचाना कलां में बागियों का डर सता रहा है. यहां से चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे दुष्यंत चौटाला के खिलाफ मैदान में है, लेकिन यहां से वीरेंद्र घोघड़िया और दिलबाग सांडिल चुनाव लड़ रहे हैं.

2019 में रानिया, अंबाला शहर, अंबाला छावनी जैसी सीटों पर कांग्रेस अपने बागियों की वजह से चुनाव हार गई. इसी तरह रेवाड़ी और पुंडरी जैसी सीटों पर बागियों ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया. ऐसे में दोनों ही पार्टी इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.

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