Political – हरियाणा ही नहीं जम्मू कश्मीर में भी ‘हारी’ कांग्रेस! स्ट्राइक रेट में BJP के सामने एकदम फुस्स- #INA
उमर अब्दुल्ला और राहुल गांधी
8 अक्टूबर को दो राज्यों के चुनाव नतीजे आए. हरियाणा में कांग्रेस के साथ जो हुआ, उसे तो वह लंबे समय तक न पचा पाएगी और न ही भुला सकेगी. लेकिन जम्मू कश्मीर में भी उसके खुश होने और वाजवान खाने की कोई खास वजह दिखलाई नहीं देती. आप कहेंगे – ऐसा क्यों कह रहे हो भाई? वहां तो कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस के साथ सरकार बनाने जा रही है. हां, ठीक कह रहे हैं आप. ऊपरी तौर पर भले कांग्रेस पार्टी गठबंधन को बहुमत मिलने पर खुशी मना ले मगर चुनावी नतीजों की परतें खोलकर अगर वह भी बारीक अध्ययन करेगी तो पाएगी कि यहां भी उसकी लुटिया डूब गई है. खासकर, बीजेपी के मुकाबले उसका प्रदर्शन तो निराशाजनक की पराकाष्ठा है. कम से कम जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की प्रमुख पार्टियों (बीजेपी, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस) का स्ट्राइक रेट (यानी एक दूसरे के मुकाबले अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन) तो यही कहता है.
दरअसल, जम्मू कश्मीर में 90 सीटोें के लिए तीन चरण में चुनाव हुआ. नतीजों में कुल 56 सीटों पर चुनाव लड़ रही नेशनल कांफ्रेंस के हिस्से आई 42 सीट. यानी ओवरऑल एनसी का स्ट्राइक रेट 75 फीसदी के करीब रहा. लेकिन उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी का स्ट्राइक रेट 15 फीसदी को भी पार नहीं कर सका. 39 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस 6 सीट पर सिमट गई. इससे तो यही लगता है कि नेशनल कांफ्रेंस अगर कांग्रेस के भरोसे होती तो जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की स्थिति तक शायद ही पहुंच पाती. जहां तक बीजेपी की बात है, वह जम्मू की सभी 43 और कश्मीर की 47 में से केवल 19 सीट पर चुनाव लड़ रही थी. इस तरह, बीजेपी ने 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कुल 62 उम्मीदवार उतारे. जिनमें 29 जीत गए. यानी पार्टी 47 फीसदी के स्ट्राइक रेट के साथ एनसी से काफी पीछे मगर कांग्रेस से कई कोस आगे रही. ये तो पूरे प्रदेश का एक लब्बोलुआब हुआ.
अब आइये क्षेत्रवार (जम्मू और कश्मीर का अलग-अलग) इन पार्टियों के प्रदर्शन पर. साथ ही, इस सवाल पर भी कि बीजेपी को जम्मू में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस में किसने ज्यादा जोर से पटखनी दी?
1. जम्मू में BJP दो तिहाई सीट जीत गई, कांग्रेस 29 में से केवल 1 सीट जीत पाई
भारतीय जनता पार्टी का सारा दारोमदार जम्मू ही पर टिका था. कश्मीर में तो वह पहले ही करीब दो तिहाई सीटों पर कैंडिडेट न उतारकर सरेंडर कर चुकी थी. अगर जम्मू को केंद्र में रखकर बीजेपी के प्रदर्शन को देखा जाए तो वह एनसी, कांग्रेस से काफी आगे दिखती है. पार्टी ने जम्मू की सभी 43 सीटों पर अपने कैंडिडेट्स को उतारा था. इनमें 29 जीत गए. यानी बीजेपी का जम्मू में स्ट्राइक रेट 67 फीसदी रहा. वहीं, नेशनल कांफ्रेंस जम्मू की जिन 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. उनमें से 7 सीट जीत गई. कहने का मतलब ये कि एनसी जम्मू में जहां खुद चुनाव लड़ रही थी, उनमें 41 फीसदी सीट जीत पाने में वह सफल रही. जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस (जिससे एनसी को अपेक्षा थी कि वह जम्मू में अच्छा करेगी) जम्मू में केवल 1 सीट जीत सकी. कांग्रेस जम्मू के 29 सीट पर चुनाव लड़ रही थी. इस तरह, देश की सबसे पुरानी पार्टी का जम्मू में स्ट्राइक रेट महज 3 फीसदी रहा.
2. जम्मू में जहां BJP से थी सीधी लड़ाईः कांग्रेस से कई गुना बेहतर NC नजर आई
जम्मू की 43 में से 25 सीटों पर सीधे बीजेपी बनाम कांग्रेस था. इनमें बीजेपी – 19 और कांग्रेस – केवल 1 सीट जीत सकी. 5 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते. लिहाजा, उन्हें अगर एक पल को दरकिनार भी कर दिया जाए तो बीजेपी को हराने के मामले में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट जम्मू में सिर्फ 5 फीसदी रहा. वहीं, उसकी सहयोगी एनसी (जो लगातार अब कश्मीर की पार्टी के तौर पर देखी-समझी जाने लगी है) ने जम्मू की 13 सीटों पर सीधे तौर पर बीजेपी का मुकाबला किया, और 6 सीट जीत गई. इस तरह बीजेपी के खिलाफ जम्मू में एनसी का स्ट्राइक रेट 46 फीसदी रहा. जो कि कांग्रेस की तुलना में 9 गुना है. यानी जम्मू में भी गठबंधन की गाड़ी कांग्रेस नहीं बल्कि नेशनल कांफ्रेंस के सहारे पार लगी है. क्योंकि जम्मू की 4 सीट पर गठबंधन के बावजूद एनसी और कांग्रेस ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा, सो वे बीजेपी से सीधी लड़ाई वाली सीटों की एनालिसिस का हिस्सा नहीं हैं.
3. कश्मीर में PDP, ‘प्रॉक्सी’ के मुकाबले NC का क्लीन स्वीप, कांग्रेस यहां भी पीछे
चूंकि कश्मीर में बीजेपी का कोई खास जनाधार नहीं, यहां हमें दूसरी पार्टियो (मसलन पीडीपी, पीपल्स कांफ्रेंस, अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी, इंजीनियर रशीद और जमात ए इस्लामी के आजाद उम्मीदवारों) के मुकाबले कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का प्रदर्शन समझना होगा. नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीर की 47 सीटों में से 39 पर चुनाव लड़ा. इनमें से 35 सीट वह जीत गई. इस तरह एनसी का घाटी में स्ट्राइक रेट 90 फीसदी रहा, जिसको क्लीन स्वीप कहा जाना चाहिए. जबकि कश्मीर में 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही उसकी साझेदार कांग्रेस केवल 5 सीट जीत सकी. यानी वादी में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 50 फीसदी रहा. यूं तो यह जम्मू की तुलना में 17 गुना है मगर एनसी के कश्मीर में प्रदर्शन की तुलना में करीब आधा है. सो, हरियाणा में तो कांग्रेस हारी ही लेकिन जम्मू कश्मीर में भी वह न सिर्फ BJP बल्कि अपने सहयोगी एनसी के प्रदर्शन के मुकाबले काफी फिसड्डी साबित हुई है.
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