Political – हरियाणा में बसपा-इनेलो और AAP की वजह से इन 7 सीटों पर हारी कांग्रेस!- #INA
हरियाणा की वो 7 सीटें, जिनपर बसपा से AAP तक ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
हरियाणा के दंगल में बीजेपी ने कांग्रेस को चित कर दिया है. हार के बाद अब कांग्रेस के नेता समीक्षा की बात कर रहे हैं, लेकिन चुनाव परिणाम के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसकी मानें तो लोकसभा की तरह कांग्रेस ने हरियाणा में अगर विपक्षी दलों का गठबंधन तैयार किया होता तो पार्टी अभी सरकार में होती.
चुनाव आयोग के मुताबिक विधानसभा की 7 ऐसी सीटें हैं, जिस पर इनेलो, बीएसपी और आप की वजह से कांग्रेस की हार हुई है. इन सीटों पर अगर कांग्रेस जीत दर्ज कर लेती तो 48 सीट जीतने वाली बीजेपी 41 पर आकर सिमट जाती.
इनेलो, बीएसपी और आप ने किया खेल?
1. उचान कलां में कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह 32 वोटों से चुनाव हारे हैं. यहां पर आप को 2495 और इनेलो को 2600 वोट मिले हैं. उचाना कलां में बीजेपी को जीत मिली है.
2. दादरी सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को 1900 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. यहां पर इनेलो गठबंधन की तरफ से बीएसपी लड़ रही थी. बीएसपी को इस सीट पर 2300 वोट प्राप्त हुए हैं.
3. असंध सीट पर कांग्रेस के शमशेर गोगी लड़ रहे थे. गोगी यह चुनाव 2306 वोटों से हार गए हैं. यहां बीएसपी 27396 और आप को 4290 वोट मिले हैं. जीत बीजेपी की हुई है.
4. यमुनानगर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार 22 हजार वोट से चुनाव हार गए हैं. यहां पर इनेलो की तरफ से दिलबाग सिंह मैदान में थे. दिलबाग को चुनाव में 36 हजार वोट मिले हैं.
5. अटेली सीट पर राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती मैदान में थी. आरती को 3 हजार वोटों से जीत मिली है. बीएसपी यहां पर दूसरे नंबर पर रही. कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गई. दोनों का गठबंधन होता तो आरती के लिए चुनाव जीतना मुश्किल था.
6. महेंद्रगढ़ सीट पर भूपिंदर सिंह हुड्डा के करीबी राव दान सिंह मैदान में थे. दान सिंह बीजेपी उम्मीदवार से 2600 वोटों से हार गए. यहां पर इनेलो को 3900 वोट मिले हैं.
7. सोहना सीट पर कांग्रेस के रोहताश खटाना मैदान में थे. खटाना बीजेपी उम्मीदवार से 11 हजार वोट से चुनाव हार गए हैं. यहां पर मायावती की पार्टी को 15 हजार वोट मिले हैं.
हरियाणा में कैसे बनती सरकार?
हरियाणा में कांग्रेस को 37 और इनेलो 2 सीटों पर जीत मिली है. अगर इन 7 सीटों पर और कांग्रेस ने गठबंधन के सहयोग से जीत हासिल कर लेती तो संख्या 46 के करीब पहुंच जाती. सरकार बनाने के लिए इतनी ही सीटों की जरूरत थी.
इन पार्टियों के साथ लेने से गठबंधन के वोट बैंक में भी बढ़ोतरी होती. कांग्रेस को 39 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो बीजेपी से करीब एक प्रतिशत कम है. चुनाव में इनेलो को 4 और आप-बीएसपी को 1-1 प्रतिशत वोट मिल हैं. कुल वोट प्रतिशत 45 के करीब पहुंच जाता.
इनेलो और आप ने की थी गठबंधन की पहल
चुनाव से पहले इनेलो और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन की पहल की थी. इनेलो के अभय चौटाला ने कई बार सार्वजनिक मंचों से कहा था कि कांग्रेस अगर गठबंधन के लिए तैयार है, तो हम मिलकर हराएंगे. हालांकि, भूपिंदर सिंह हुड्डा की वजह से यह सफल नहीं हो पाया.
कांग्रेस से बात नहीं बनने के बाद इनेलो ने मायावती का साथ ले लिया. मायावती की पार्टी भी गठबंधन के बूते मैदान में उतर गई.
इसी तरह आम आदमी पार्टी से कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले गठबंधन की पहल की. आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर कई राउंड की मीटिंग भी हुई. हालांकि, आखिर में कांग्रेस ने गठबंधन करने से इनकार कर दिया.
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है. चड्ढा के मुताबिक अगर गठबंधन हुई होती तो दोनों को हार का मुंह नहीं देखना पड़ता.
दिलचस्प बात है कि चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को गठबंधन की भी सलाह दी थी, लेकिन नेताओंं ने राहुल की बात को भी नजरअंदाज कर दिया.
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