Political – कांग्रेस का मिशन-महाराष्ट्र: संघ के गढ़ से राहुल और खरगे तो शिंदे की जमीन से उद्धव की हुंकार, समझें मायने- #INA

राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नामांकन खत्म होने के साथ ही सियासी चढ़ना शुरू हो गया है. दिवाली का त्योहार बीतने के साथ ही चुनाव प्रचार को सियासी धार देने का प्लान राजनीतिक दलों ने बना लिया है. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन (महायुति) को उसके ही मजबूत गढ़ में मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन (महाविकास आघाड़ी) ने रणनीति बनाई है. इसके तहत ही राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्किकार्जुन खरगे नागपुर से महाराष्ट्र चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे तो उद्धव ठाकर शिवसेना के मजबूत गढ़ माने जाने वाले कोंकण से मिशन-महाराष्ट्र का बिगुल फूकेंगे.

लोकसभा चुनाव के पैटर्न पर ही राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे 6 नवंबर को नागपुर से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद करेंगे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय नागपुर स्थिति है. इस तरह आरएसएस के गढ़ से राहुल गांधी चुनावी हुंकार भर कर सियासी संदेश देने की स्टैटेजी बनाई है. नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन के बाद राहुल गांधी मुंबई में होने वाले महा विकास अघाड़ी के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. एनसीपी (एस) के शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ राहुल गांधी और खरगे मंच शेयर कर एकजुटता संदेश देंगे.

नागपुर में संविधान सम्मेलन से साधे समीकरण

राहुल गांधी नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन में शिरकत महाराष्ट्र चुनाव का बिगुल फूकेंगे. राहुल गांधी और खरगे इस दौरान इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ समर्थकों को संबोधित करते हुए सियासी एजेंडा सेट करने की रणनीति अपनाई है. लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने बीजेपी पर संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने की तैयारी का नैरेटिव सेट किया था. इसका खामियाजा एनडीए को महाराष्ट्र में भुगतना भी पड़ा था और अब उसे फिर से धारने की स्ट्रैटेजी अपनाई है. इसके पीछे कांग्रेस की सियासी रणनीति छिपी हुई है, क्योंकि नागपुर में संघ का एक तरफ मुख्यालय है तो दूसरी तरफ भीमराव अंबेडकर के सामाजिक न्याय का केंद्र रहा है. इस तरह राहुल गांधी नागपुर से चुनावी अभियान को धार देकर सियासी एजेंडा सेट करने का दांव चला है.

राहुल गांधी नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन में शिरकत कर सामाजिक न्याय के एजेंडे को धार देंगे. राहुल गांधी लगातार आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत बढ़ाने की पैरवी कर रहे हैं. ऐसे में राहुल ने सामाजिक न्याय के मुद्दे को धार देने के लिए नागपुर को चुना है, क्योंकि भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक न्याय की आवाज को उठाया था. महाराष्ट्र में सबसे पहले आरक्षण की अलग छत्रपति शाहूजी महाराज ने जगाई थी. राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि नागपुर में दो विचारधाराएं हैं एक विचारधारा प्रगतिशील है,जो बाबा साहब अम्बेडकर की है.दूसरी तरफ आरएसएस है, जो देश को बर्बाद कर रहा है. ऐसे में हमें अंबेडकर की विचारधारा पर चलना होगा. यहीं दीक्षाभूमि पर अंबेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों के साथ 1956 में दशहरा के दिन बौद्ध धर्म अपनाया था.

राहुल गांधी को मिला 2024 में विनिंग फॉर्मूला

लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को बीजेपी को मात देने का फॉर्मूला मिला था. राहुल ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सियासी गेम ही पलट दिया था. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से इंडिया गठबंधन 30 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 13 सीटें जीती थी. बीजेपी 22 से घटकर 8 पर पहुंच गई है. कांग्रेस ने अपनी जीत के इस मंत्र को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी आजमाने की स्ट्रैटेजी बनाई है. दलित और ओबीसी जातियों को साधने के लिए राहुल नागापुर महाराष्ट्र में जातिगत जनगणना कराने के मुद्दे को भी उठा सकते हैं.

लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सियासी जंग फतह करने के बाद से कांग्रेस के हौसले बुलंद है. कांग्रेस को विदर्भ बेल्ट और मराठावाड़ा इलाके से ही ज्यादा सीटें मिली थी. कांग्रेस 2024 विधानसभा चुनाव में भी इन्हीं क्षेत्रों पर फोकस कर रही है और जातिगत समीकरण साधने की कवायद में है. नागपुर जिला विदर्भ में आता है, जो कांग्रेस के लिए काफी मुफीद माना जाता है. विदर्भ में दलित मतदाता बड़ी संख्या में है और कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें भी इसी क्षेत्र से मिली है. कांग्रेस ने इसीलिए विदर्भ पर खास फोकस कर रही है.

नागपुर के साथ कांग्रेस का सियासी कनेक्शन

नागपुर में भले ही आरएसएस का मुख्यालय हो, लेकिन कांग्रेस के लिए एक विशेष स्थान रखता है. 1920 में पार्टी के नागपुर अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की घोषणा की थी. यहीं पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1959 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था. विदर्भ बेल्ट में कांग्रेस मजबूत थी. नागपुर से विधानसभा चुनाव कैंपेन का आगाज कांग्रेस की चुनावी रणनीति का खास हिस्सा माना जा रहा है. इस तरह कांग्रेस अपनी खोए हुए राजनीतिक आधार को दोबारा से पानी की है तो दूसरी तरफ बीजेपी और संघ को सीधे चुनौती देने की रणनीति है.

कांग्रेस संदेश देना चाह रही है कि वो वहां से चोट करना चाहती है, जहां से बीजेपी के लिए एजेंडा तय होता है और बीजेपी इसका अपने ही अंदाज में जवाब दे रही है राहुल गांधी का नागपुर डॉक्यूमेंट कितनी लंबी लकीर खींच पाता है इसके लिए तो काफी इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि नागपुर का चुनाव करके कांग्रेस कैडर का मनोबल बढ़ाने में वो कामयाब जरूर हुए हैं.

शिंदे के गढ़ से उद्धव ठाकरे भरेंगे चुनावी हुंकार

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यक्रम से एक दिन पहले पांच नवंबर को उद्धव ठाकरे चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे कोंकण इलाके के रत्नागिरी जिले से चुनावी हुंकार भरेंगे. उद्धव ठाकरे 5 नवंबर से लेकर 17 नवंबर के बीच महाराष्ट्र में कुल 25 चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगे. इस दौरान वो शिवसेना (यूबीटी) के साथ कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी के उम्मीदवारों के लिए भी रैलियां करेंगे. उद्धव ठाकरे ने मिशन-महाराष्ट्र के लिए कोंकण के इलाके को चुना है, जो उनका मजबूत गढ़ रहा है. सीएम एकनाथ शिंदे से लेकर नारायण राणे का इन इलाकों में दबदबा है. ऐसे में उद्धव ठाकरे की रणनीति अपने विरोधी के गढ़ से चुनाव प्रचार कर सीधे चुनौती देने की स्ट्रैटेजी अपनाई है.

महाराष्ट्र का कोंकण इलाके में 39 विधानसभा सीटें आती हैं. इस इलाके में रायगढ़ और रत्नागिरी जैसे बड़े शहर आते हैं. कोंकण का इलाका शिवसेना का पुराना गढ़ रहा है, लेकिन शिंदे के अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे के अब दोबारा से अपनी राजनीतिक को खड़ी करने की चुनौती है. कोंकण बेल्ट में शिवसेना के चेहरे रहे शिंदे और नारायण राणे दोनों ही बीजेपी के साथ खड़े हैं. उद्धव का साथ छोड़कर शिंदे के साथ जाने वाले ज्यादातर शिवसैनिक इस इलाके के रहे हैं. कोंकण में पूरा चुनाव एक तरह से शिवसेना बनाम शिवसेना ही है. इसीलिए उद्धव ठाकरे कोंकण से चुनावी अभियान का आगाज करके सीधे शिंदे को चुनौती देना चाहते हैं.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button