Political – उत्तरी महाराष्ट्र का सियासी मिजाज: बीजेपी के गढ़ से पीएम मोदी ने भरी चुनावी हुंकार, RSS के मजबूत नेटवर्क के बाद भी सता रहा डर- #INA
पीएम मोदी
दिवाली और छठ के समाप्त होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिशन-महाराष्ट्र की सियासी जंग को फतह करने के लिए उतर गए हैं. पीएम मोदी शुक्रवार को धुले और नासिक में जनसभा के जरिए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव अभियान का आगाज कर रहे हैं. धुले और नासिक दोनों जिले उत्तर महाराष्ट्र के क्षेत्र में आते हैं. इस तरह यह रैली बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ उत्तर महाराष्ट्र की सीटों पर अपनी पकड़ बनाए रखने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है, लेकिन बदले हुए समीकरण के चलते उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए सियासी टेंशन कम नहीं है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 8 से 14 नवंबर के बीच पीएम मोदी की रैली की रूप रेखा फिलहाल बनाई है. पीएम मोदी शुक्रवार से अपने चुनावी अभियान का आगाज कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में अपनी पहली रैली धुले में संबोधित कर रहे हैं और उसके बाद दूसरी रैली नासिक में रखी गई है. धुले और नासिक की रैली के जरिए पीएम मोदी उत्तर महाराष्ट्र को साधते हुए नजर आएंगे.
पीएम मोदी की रैली का शेड्यूल
पीएम मोदी 9 नवंबर को अकोला और नांदेड़ की रैली से मराठमवाड़ा को साधने की कवायद करेंगे. इसके बाद 12 नवंबर को चंद्रपुर, चिमूर, सोलापुर और पुणे की रैली के जरिए पश्चिम महाराष्ट्र की सीटों को साधने का दांव पीएम मोदी चलेंगे. इसके बाद 14 नवंबर को पीएम मोदी संभाजीनगर, नवी मुंबई और मुंबई में रैलियों को संबोधित करेंगे. इस तरह मुंबई बेल्ट की 36 सीटें साधने का फिलहाल प्लान बनाया गया है, लेकिन इसके बाद भी उनकी रैलियां होनी है.
उत्तर महाराष्ट्र बीजेपी का मजबूत गढ़
उत्तर महाराष्ट्र में कुल 35 विधानसभा सीटें आती हैं. ये इलाका कभी कांग्रेस का मजबूत दुर्ग हुआ करता था, लेकिन बीजेपी और शिवसेना अपनी पकड़ मजबूत बनाने में सफल रही हैं. बीजेपी के महाराष्ट्र के उदय में इस क्षेत्र की अहम भूमिका रही है. 2014 के विधानसभा चुनाव में नॉर्थ महाराष्ट्र की 35 सीटों में से बीजेपी 14, शिवसेना 7, कांग्रेस 7, एनसीपी 5 और अन्य को 2 सीटें मिली थी.
2019 में उत्तर महाराष्ट्र की 35 सीटें में से बीजेपी 20, शिवसेना 6, कांग्रेस 5 सीटें और एनसीपी चार सीटें जीतने में कामयाब रही. शिवेसना के टूट जाने के बाद उद्धव के दो विधायक शिंदे के साथ चले गए थे. इस तरह उद्धव ठाकरे की शिवेसना के छह जबकि शिंदे की शिवसेना के 2 विधायक हैं. शिवेसना और एनसीपी में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ गए विधायकों की संख्या के आधार पर इन दोनों के ताकत का अंदाज लगाया जा सकता है.
उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी की बढ़ी टेंशन
बीजेपी के मजबूत गढ़ और आरएसएस का मजबूत नेटवर्क होने के बाद भी उत्तर महाराष्ट्र के इलाके में बीजेपी सहमी हुई है, क्योंकि यह इलाका प्याज के उपज के लिए जाना जाता है, राज्य के राजनीतिक भाग्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बीजेपी को ये पता है कि नासिक, जलगांव, धुले और नंदुरबार की 35 विधानसभा क्षेत्रों वाले नॉर्थ महाराष्ट्र क्षेत्र में किसानों के बीच अशांति को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. किसानों में असंतोष और बीजेपी के खिलाफ मुस्लिम-मराठा वोटों को एकजुट करने के प्रयास महत्वपूर्ण चुनौतियां बीजेपी के सामने पेश कर सकते हैं.
हालांकि, कभी उत्तर महाराष्ट्र उसके अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटबैंक के जरिए उसका मजबूत गढ़ हुआ करता था. गोपीनाथ मुंडे और एकनाथ खडसे जैसे ओबीसी के दिग्गज नेताओं का अपना अच्छा जनाधार था. बीजेपी ने उनके साथ मिलकर ही माधव समीकरण (माली, धनगर, वंजारी) के कारण इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव जमाया था. 2014 में गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन के बाद इस समीकरण को झटका लगा और 2019 में बीजेपी ने एकनाथ खडसे का टिकट काटा, जिसके चलते चुनाव के बाद वो पार्टी छोड़कर शरद पवार के साथ चले गए.
बीजेपी को OBC वोट साधने की चिंता
गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे भी विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी के नेताओं के प्रति आक्रामक थी. इसके चलते बीजेपी का मजबूत ओबीसी वोटबैंक उससे छिटकता दिखाई दिया. इसका असर पिछले लोकसभा चुनाव में देखने को मिला. इसके अलावा उत्तर महाराष्ट्र में ही नासिक का लासलगांव क्षेत्र देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी है, जो उचित मूल्य को लेकर पहले ही नाराज है. ऐसे में बीजेपी ने पंकजा मुंडे को एमएलसी बनाकर जरूर उनकी नाराजगी को दूर किया है, लेकिन ओबीसी वोटों को साधने की चिंता अभी भी है.
उत्तर महाराष्ट्र में सत्ता विरोधी लहर और किसानों के बीच गुस्से ने क्षेत्र में बीजेपी और उसके सहयोगी को नुकसान पहुंचाया था. 2010 में बीजेपी को महाराष्ट्र के ग्रामीण वोट का 39.5 फीसदी हासिल हुआ था और इस बार के चुनाव में महज 35 फीसदी ग्रामीण वोट मिले हैं. इससे साफ समझा जा सकता है कि कैसे उत्तर महाराष्ट्र के गढ़ को पार्टी के सामने बचाने की टेंशन है. इसलिए पीएम मोदी उत्तर महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल फूंक कर अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गए हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने धुले में जनसभा करके महा विकास अघाड़ी पर जमकर हमले किए.
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