Political – ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के बयान पर क्या खुद फंस गई है BJP? भिड़े महायुति के नेता तो अब दी सफाई- #INA
देवेंद्र फडणसी, पंकजा मुंडे और अजित पवार.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू वोटर्स को एकजुट करने के लिए बंटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी के नारे को बढ़ाया और कहा कि एकजुट रहेंगे तो सेफ रहेंगे, लेकिन महायुति के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, अजित पवार और पकंजा मुंडे ने इस नारे से दूरी बना ली और साफ कहा कि वे इस नारे के खिलाफ हैं. महाराष्ट्र इस पर विश्वास नहीं करता है.
महायुति के नेताओं के बयान के बाद अब उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को सफाई देनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने इस नारे का अर्थ नहीं समझा है कि यह महाविकास अघाड़ी के प्रचार का जवाब था. इसका संदेश एकजुट करना था. पार्टी किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं करती है और न ही मुस्लिम के खिलाफ है.
अजित पवार ने सबसे पहले नारे का किया विरोध
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया था तो सबसे पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इस नारे की खिलाफत की और साफ कहा कि वह बंटेंगे तो कटेंगे का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र फूले, शाहू और अंबेडकर की धरती है. महाराष्ट्र पहले भी इस तरह की बातों को स्वीकार नहीं किया था और अब इसे स्वीकार नहीं करेगा.
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उसके बपाद बीजेपी नेता पंकजा मुंडे का बयान आया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ वाले नारे की कोई जरूरत नहीं है. सच कहूं तो उनकी राजनीति अलग है. वह केवल इसलिए समर्थन नहीं कर सकती, क्योंकि वह उस पार्टी से है, जिसने यह नारा दिया है. उनका मानना है कि उन्हें सिर्फ विकास पर काम करना चाहिए.
पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण ने भी मिलाया सुर
भाजपा सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी बंटेंगे तो कटेंगे के बयान पर खुलकर पार्टी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह नारा अच्छा नहीं है और यह अप्रासंगिक है तथा लोग इसे पसंद नहीं करेंगे. अशोक चव्हाण ने यह भी कहा कि वह “वोट जिहाद – धर्मयुद्ध” की बयानबाजी को ज्यादा महत्व नहीं देते, क्योंकि भाजपा और सत्तारूढ़ महायुति की नीति देश और महाराष्ट्र का विकास है.
अशोक चव्हाण ने कहा कि इस नारे की कोई प्रासंगिकता नहीं है. नारे चुनाव के समय दिए जाते हैं. यह विशेष नारा अच्छा नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसे पसंद करेंगे. भाजपा नेता ने कहा कि हर राजनीतिक पदाधिकारी को बहुत सोच-विचार के बाद निर्णय लेना होता है। हमें यह भी देखना होगा कि किसी की भावनाएं आहत न हों. बता दें कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पिछले सप्ताह कहा था कि “वोट जिहाद” का मुकाबला वोट के “धर्म-युद्ध” से किया जाना चाहिए.
देवेंद्र फडणवीस ने दी सफाई, कही ये बात
दूसरी ओर, बटेंगे तो कटेंगे के बयान पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सफाई दी और कहा कि उनकी पार्टी का ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारा एमवीए के अभियान का जवाब है.
उन्होंने दावा किया कि उनके सहयोगी अशोक चव्हाण, पंकजा मुंडे और अजित पवार भी इस नारे का संदेश नहीं समझ पाए हैं. इस नारे का मूल उद्देश्य सभी के बीच एकता को बढ़ावा देना है और सभी को एकजुट करना है. ऐसा नहीं कि उनकी पार्टी मुसलमानों के खिलाफ है. उनकी सरकार ने सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की है, उन्होंने सवाल किया कि क्या लड़की बहन योजना मुस्लिम महिलाओं के लिए नहीं है? क्या वह उन पर लागू नहीं होती है. वास्तव में यह महाविकास अघाड़ी की तुष्टिकरण की नीति का जवाब है.
क्या बयान देकर फंस गई है बीजेपी?
राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि सहयोगी पार्टी के नेताओं के विरोध के बाद बीजेपी अब चुनाव से ठीक पहले मुश्किल में है और पार्टी नेता को इस पर सफाई देनी पड़ रही है. एनसीपी नेता अजित पवार को आशंका है कि इस बयान से उनके मुस्लिम वोटर्स टूट सकते हैं. इस कारण वह इस बयान से दूरी बनाए हुए हैं, तो अन्य नेताओं का कहना है कि इस बयान का दलितों, आदिवासी और मराठी समुदाय के बीच गलत संदेश जा रहा है. इससे इसकी चुनाव में विपरीत प्रतिक्रिया हो सकती है.
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