Political – महाराष्ट्र में महायुति बनाम महा विकास अघाड़ी, जानें किसके पक्ष में कौन सा फैक्टर कर रहा काम- #INA
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. प्रदेश की सभी 288 विधानसभा सीटों पर 4136 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है, जिसका फैसला 9.70 करोड़ मतदाता करेंगे. बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन (महायुति) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन (महा विकास अघाड़ी) के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. इस बार का विधानसभा चुनाव दोनों ही गठबंधनों के लिए सत्ता की लड़ाई नहीं है बल्कि अपने सियासी अस्तित्व और पहचान के लिए भी है.
पांच साल में महाराष्ट्र की सियासत में बहुत कुछ बदल चुका है. शिवसेना और एनसीपी दो-दो धड़ों में बट चुकी है और एक दूसरे के खिलाफ मुकाबले में खड़ी नजर आ रही है. महायुति का हिस्से बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी है तो महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एस) खड़ी नजर आ रही.
कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ रही चुनाव?
महायुति गठबंधन से बीजेपी सबसे ज्यादा 149 सीट पर चुनाव लड़ रही है, तो शिंदे की शिवसेना ने 81 और अजीत पवार की एनसीपी 59 सीट पर चुनावी किस्मत आजमा रही है. बीजेपी ने चार सीट पर छोटे दलों के लिए छोड़ी है, जिसमें रामदास अठावले की आरपीआई, युवा स्वाभिमान पार्टी, जन सुराज्य शक्ति पार्टी और आरएसपी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इसी तरह महा विकास अघाड़ी में 101 विधानसभा सीट पर कांग्रेस तो शरद पवार की एनसीपी (एसपी) 86 सीट और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) 95 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा बसपा-237, वीबीएस-200, AIMIM-17 और सपा 9 सीट पर चुनाव लड़ रही.
ये भी पढ़ें
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति और महा विकास अघाड़ी के बीच भले ही कांटे की टक्कर हो, लेकिन पिछले छह विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. ऐसे में छोटे दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन महायुति और महा विकास अघाड़ी दोनों ही गठबंधन अपने दम पर सरकार बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं. हालांकि, इस बार का महाराष्ट्र का सियासी मिजाज पूरी तरह से एक नहीं है, कहीं महायुति का सियासी पलड़ा भारी है तो कहीं महा विकास अघाड़ी को बढ़त मिलने की संभावना दिख रही है.इस बार सीट वाइज फाइट होती दिख रही है. ऐसे में किसके साथ कौन सा फैक्टर काम कर रहा है?
महा विकास अघाड़ी के पक्ष में कौन सा फैक्टर?
महा विकास अघाड़ी के पक्ष सबसे बड़ा फैक्टर चार महीने पहले हुए महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं. राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से महा विकास अघाड़ी 31 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि महायुति 17 सीट पर सिमट गई थी. कांग्रेस 13, शिवसेना (यूबीटी) 9 और एनसीपी (एस) 8 सीटें जीती थी. कांग्रेस एक सीट से बढ़कर 13 पर और शरद पवार की पार्टी 3 से बढ़कर 8 पर पहुंच गई तो बीजेपी 23 सीट से घटकर 9 पर गई है. इस तरह महाविकास आघाड़ी को तकरीबन 160 विधानसभा सीटों पर बढ़त थी तो महायुति ने 128 सीटों पर बढ़त मिली थी. लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न रहता है तो महा विकास अघाड़ी की बल्ले-बल्ले हो जाएगी.
सहानुभूति का दांव
महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी का विभाजन भी एक फैक्टर है. उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर एकनाथ शिंदे ने सत्ता के साथ-साथ शिवसेना को अपने नाम कर लिया था. इसी तरह शरद पवार के हाथों से एनसीपी को अजीत पवार ने भी छीन लिया था. इसके चलते उद्धव ठाकरे और शरद पवार के प्रति लोगों में सहानुभूति पैदा हुई. लोकसभा चुनाव में यह भावना साफ दिखी थी और विधानसभा चुनाव में भी उद्धव और शरद पवार ने विक्टिम कार्ड को चला है. सहानुभूति का दांव महा विकास अघाड़ी के लिए बड़ा चुनावी ट्रंप कार्ड माना जा रहा है.
मुस्लिम और दलित केमिस्ट्री
महा विकास अघाड़ी की मराठा, मुस्लिम और दलित की सियासी केमिस्ट्री 2024 के लोकसभा चुनाव में हिट रही है. इस सोशल इंजीनियरिंग के दम पर एक बार फिर से महा विकास अघाड़ी चुनाव में उतरी है. मराठा आरक्षण और संविधान का मुद्दा कारगर रहा था और उसे फिर से दोहराने की कवायद की जा रही है. इसके अलावा राहुल गांधी ने पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे को ही पकड़े रखा था. ऐसे में दलित-मुस्लिम-मराठा का गठजोड़ महा विकास अघाड़ी के लिए अहम भूमिका अदा कर सकता है.
महाराष्ट्र की सियासत के शरद पवार बेताज बादशाह हैं, उनकी लोकप्रियता पूरे प्रदेश में है. इस तरह उद्धव ठाकरे के पास अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की सियासी विरासत है. उद्धव और शरद पवार के सियासी कद का कोई भी नेता महा विकास अघाड़ी के पास नहीं है. इसका सियासी लाभ महा विकास अघाड़ी को चुनाव में मिल सकता है. महाराष्ट्र में ठाकरे और पवार फैक्टर काफी अहम माने जाते हैं, जिसका लाभ कांग्रेस ने पूरी तरह से उठाने का दांव चला है.
महायुति के पक्ष में कौन से फैक्टर अहम?
बीजेपी इस बात को बखूबी जानती है कि अपने दम पर महाराष्ट्र की सियासी बाजी नहीं जीत सकती है. ऐसे में बीजेपी ने एकनाथ शिंदे और अजीत पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी है, जिसे महायुति के नाम से जाना जाता है. इस तरह बीजेपी एक बड़े गठबंधन के साथ चुनाव में उतरी है, लोकसभा में मिली हार से भी सबक लिया है और लोकलुभावन योजना का आक्रमक प्रचार किया. लाडली बहना योजना के जरिए महिला मतदाताओं को साधने की कवायद की है. महायुति ने प्रचार किया कि सरकार बदलने से तमाम लाभों पर संकट गहरा सकता है. 2 करोड़ से अधिक महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये प्रदान करने वाली लाडली बहना योजना एक अहम फैक्टर मानी जा रही.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत महायुति के लिए एक अहम फैक्टर बन सकता है. इस जीत के बाद ही बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को हौसले बुलंद हो गए थे. महाराष्ट्र की चुनावी कमान अमित शाह ने संभाल ली थी और लगातार बैठकें करके जमीनी स्तर पार्टी को मजबूत करने और सियासी समीकरण दुरुस्त करने का काम किया है. इसका लाभ विधानसभा चुनाव में महायुति को मिल सकता है.
ओबीसी पर खास फोकस
लोकसभा चुनाव में बिखरे जातीय समीकरण को भी बीजेपी ने सुधारने की कवायद की है. बीजेपी अपने कोर वोट बैंक ओबीसी पर खास फोकस किया है और जातियों में बंटे हुए हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए हर दांव चला. सीएम योगी ने ‘कटोगे तो बटोगे’ का नैरेटिव सेट किया तो पीएम मोदी ने एक हो तो सेफ का नारा दिया. इतना ही नहीं बीजेपी ने वोट जिहाद के जरिए महा विकास अघाड़ी के समीकरण को बिगाड़ने की कवायद की गई है. हिंदुत्व के एजेंडा सेट किया तो दलित वोटों को भी साधने का दांव चला. महायुति ने संविधान खतरे में है जैसे दावों को निराधार बताया है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने किसी भी नेता को सीएम पद का चेहरा घोषित कर चुनावी मैदान में नहीं उतरी है. एकनाथ शिंदे जरूर सीएम है, लेकिन अमित शाह ने चुनाव के दौरान ही साफ कर दिया था कि नए सीएम का फैसला नतीजे आने के बाद होगा. इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने का विपक्ष द्वारा गढ़ा जा रहा नैरेटिव को भी खत्म कर दिया. फडणवीस या शिंदे के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरने का नुकसान होने का भी खतरा था. इस तरह सीएम की अटकलों को खारिज कर दिया, जिसका लाभ महायुति को मिल सकता है.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link